दुनिया के हर कोने में किसी अपने के दुनिया छोड़कर जाने के बाद लोग शोक मनाते हैं. वो जाने वाला कभी वापस लौटकर नहीं आता. शोक वक्त के साथ साथ कम होता जाता है और लोग एक बार फिर अपनी जिंदगी पहले की तरह जीना शुरू कर देते हैं. लोग अपने दुख को स्वीकार कर लेते हैं. धीरे धीरे उस इंसान को भूलने भी लगते हैं. चाहे फिर वो जीवित रहते उनकी कितनी ही बड़ी आदत क्यों न बन गया हो. लेकिन क्या हो अगर लोग शोक मनाना ही बंद कर दें? किसी की मौत के बाद लोग उस दर्द को स्वीकार ही न करें?
आप सोच रहे होंगे कि भला ये कैसे हो सकता है. लेकिन एक शख्स ने दावा किया है कि ऐसा साल 2024 में हो सकता है. ये बात भविष्य देखने का दावा करने वाले एक शख्स ने किया है. शख्स का नाम एथोस सैलोमे (Athos Salomé) है. वह ब्राजील में रहते हैं. अपनी भविष्यवाणियों को लेकर उन्हें जीवित नास्त्रेदमस भी कहा जाता है. उनकी कई भविष्यवाणी सच हुई हैं. इसमें पिछले साल महारानी एलिजाबेथ द्वितीय की मौत से लेकर एलन मस्क के ट्विटर को एक्स में बदलना भी शामिल है.
2024 के लिए की भविष्यवाणी
एथोस ने अब साल 2024 के लिए एक चौंकाने वाली भविष्यवाणी की है. इसे लेकर उन्होंने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट से पोस्ट किया. उन्होंने लिखा कि 2024 में एक क्रांति आएगी, जिसमें लोग AI की मदद से बातें कर पाएंगे. ये कल्पना से परे की यात्रा होगी. कल्पना करें कि अपने किसी मृत रिश्तेदार या दोस्त से बात कर पाएं और पिछले जन्म से जुड़े सीक्रेट जान सकें. ये सब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में इनोवेशन की वजह से संभव हो पाएगा.
उन्होंने कहा कि ये तकनीक महज एक वैज्ञानिक सफलता नहीं है, बल्कि मानव यात्रा को समझने की दिशा में एक बड़ा कदम है. यह अस्तित्व के रहस्यों को सामने लाने, आराम और हमारे जीवन के मिशन की गहन समझ प्रदान करने का वादा करती है. लेकिन हम इसके लिए कितने तैयार हैं? विशेषज्ञ इस पहलू के चिकित्सीय प्रभाव और नैतिक मुद्दों पर नजर रख रहे हैं और उन पर बहस कर रहे हैं. हम आध्यात्मिक और अस्तित्व संबंधी क्रांति लाने की कगार पर हैं.
एथोस सैलोमे ने अपने पोस्ट में आगे लिखा कि हैरानी की बात ये है कि यह तकनीक एक सीक्रेट इंटरनेशनल सहयोग का परिणाम है. टेस्ट पहले से चल रहे हैं, इस आइडिया पर काम हो रहा है कि हम एक मांस और हड्डी से कहीं अधिक हैं, हम एक शाश्वत एनर्जी हैं. वो आगे लिखते हैं कि सवाल यही है कि क्या हम मानव इतिहास के लिए एक नया पन्ना खोलने वाले हैं या उन ताकतों के अधीन हो गए हैं, जिन्हें हम नहीं समझ पा रहे? 2024, वो साल है, जो सब कुछ बदलने का वादा करता है!
क्या ऐसा वाकई में संभव है?
ऐसी तमाम रिपोर्ट्स भरी पड़ी हैं, जिनमें कहा गया है कि कुछ कंपनियां और विशेषज्ञ इस पर काम कर रहे हैं. इसमें कोई अंधविश्वास नहीं है बल्कि मृत शख्स का डिजिटल वर्जन तैयार किया जाएगा, जो जीवित लोगों से बात करने की क्षमता रखता हो. इसमें बड़े स्तर पर लैंग्वेज मॉडल जैसे जीपीटी-4, स्पीच सिंथेसिस और AI जनरेशन टूल्स का इस्तेमाल होगा. स्ट्रेट टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, चीन की कुछ फ्यूनेरल कंपनियां अब लोगों को मृत अपने के डिजिटल अवतार से बात कराने की व्यवस्था कर रही हैं.

कई ने इसी साल की शुरुआत से ये सेवा शुरू कर दी है. चीन में किंग मिंग फेस्टिवल (या टॉम्ब स्वीपिंग डे) के वक्त सार्वजनिक छुट्टी होती है. इसे टॉम्ब स्वीपिंग डे भी कहा जाता है. इस दिन लोग मृतकों को याद करते हैं और उनके प्रति सम्मान जाहिर करते हैं. इससे भी पहले 2022 के जनवरी महीने में शंघाई फुशौयुन कपंनी ने अपना पहला AI सहायता प्राप्त अंतिम संस्कार आयोजित किया था. जब एक मृत चीनी सर्जन के सहयोगियों और छात्रों को अंतिम संस्कार के लिए स्क्रीन पर उसकी डिजिटल प्रतिकृति के साथ चैट करने का अवसर मिला.
अमेरिका में सोमनियम स्पेस और डीपब्रेन जैसी कंपनियों ने पहले से ही लोगों की डिजिटल "कॉपी" बनाने पर केंद्रित AI आधारित सेवाएं विकसित कर ली हैं. ताकि बाकी लोग इनकी मौत के बाद इनसे बात कर पाएं.
एंटरप्रेन्योर और कंप्यूटर वैज्ञानिक प्रतीक देसाई ने कहा था, 'अपने माता-पिता, बड़ों और प्रियजनों को नियमित रूप से रिकॉर्ड (फोन में) करना शुरू कर दें. ट्रांस्क्रिप्ट डाटा, नए वॉइस सिंथेसिस और वीडियो मॉडल के साथ इसकी 100 फीसदी संभावना है कि फिजिकल बॉडी छोड़ने के बाद वे हमेशा आपके साथ रहेंगे. साल के अंत तक यह संभव हो जाना चाहिए.'