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छत्तीसगढ़: 50 हजार बच्‍चों ने ORS घोल बनाकर बनाया वर्ल्‍ड रिकॉर्ड

ORS को बच्चों के लिए जीवनरक्षक घोल के रूप में जाना जाता है. उल्‍टी-दस्‍त में यह बच्‍चों में पानी की कमी नहीं होने देता और उनके जीवन को बचाने में अहम भूमिका निभाता है. छत्तीसगढ़ में 50 बच्‍चों ने ORS बनाने का वर्ल्‍ड रिकॉर्ड बनाया है.

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ORS को बच्चों के लिए जीवनरक्षक घोल के रूप में जाना जाता है. उल्‍टी-दस्‍त में यह बच्‍चों में पानी की कमी नहीं होने देता और उनके जीवन को बचाने में अहम भूमिका निभाता है. छत्तीसगढ़ में 50 बच्‍चों ने ORS बनाने का वर्ल्‍ड रिकॉर्ड बनाया है.

छत्तीसगढ़ के 13 जिलों के लगभग 50 हजार बच्चों ने ओआरएस घोल बनाकर रिकॉर्ड बनाया है. इसे गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्‍ड रिकॉर्ड में दर्ज किया जाएगा. छत्तीसगढ़ शिशु अकादमी और महावीर इंटरनेशनल की ओर से यह आयोजन किया गया. ओआरएस-डे के रूप में आयोजित इस कार्यक्रम में 10 से 18 साल के बच्चों ने अन्य बच्चों को ओआरएस घोल बनाना सिखाया.

‘बच्चे सिखाएं बच्चों को’ नामक इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में छात्र शामिल हुए. कार्यक्रम के संयोजक मुकेश शाह ने बताया कि भारत में हर साल 1 से 5 वर्ष तक के लगभग 2 लाख बच्चों की मौत डायरिया के कारण होती है. यही कारण है कि बच्चों को इस संबंध में जानकारी देने के लिए यह आयोजन किया गया.

कार्यक्रम को देखने के लिए गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्‍ड रिकॉर्ड की टीम छत्तीसगढ़ आई हुई थी. स्कूलों में कार्यक्रम देखने के बाद देर शाम वृंदावन हॉल में आयोजित कार्यक्रम में ओआरएस घोल बनाने के रिकॉर्ड का सर्टिफिकेट संस्थान को दिया गया.

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संस्था के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. जयेश कावड़िया ने बताया कि कार्यक्रम में रायपुर से जे.एन. पाण्डेय स्कूल, मिंटू पब्लिक स्कूल, छत्रपति शिवाजी स्कूल, गुजराती स्कूल, बालाजी स्कूल, कन्या शाला सहित अन्य स्कूलों के बच्चे शामिल हुए.

बच्चों ने बच्चों को सिखाया कि 200 एमएल पानी में एक चुटकी नमक को घोल लें. इसके बाद इसमें नमक का 12 गुणा शक्कर मिलाएं. इस प्रकार ओआरएस का घोल घर पर ही तैयार किया जा सकता है.

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