कई सालों तक लोगों को डराने वाले बरमूडा ट्रायएंगल का सच अब सामने आ चुका है. 100 साल से भी ज्यादा समय से अटलांटिक महासागर के एक विशेष हिस्से को अलौकिक शक्तियों का अड्डा माना जाता रहा. अब वैज्ञानिकों ने सालों के विश्लेषण के बाद वहां गायब हुए जहाजों और विमानों की असली वजह बताई है.
अटलांटिक महासागर के बीच बरमूडा, फ्लोरिडा और प्यूर्टोरिको के बीच एक त्रिभुजाकार क्षेत्र है. इसे बरमूडा ट्रायएंगल कहा जाता है. इस इलाके में कुछ ऐसे हादसे हुए कि इसे अलौकिक शक्तियों का अड्डा माना जाने लगा. यहां अब तक 20 प्लेन और कई सारे जहाज गायब हो चुके हैं. इस बरमूडा ट्रायएंगल के रहस्य को लेकर कई तरह के दावा किए जाने लगे.
बरमूडा ट्रायएंगल से जुड़े मिथक
कुछ ने इस इलाके में एलियन के होना का दावा किया, जो समुद्री जहाजों और विमानों को समुद्र के अंदर खींच लेते थे. वहीं कुछ ने इसे ब्लैक हॉल का रास्ता बताया. कईयों ने इस क्षेत्र में समुद्र के अंदर खोए हुए प्राचीन शहर अटलांटिस के होने की बात कही और उसके रहस्यमयी तकनीक को जहाजों के गायब हो जाने के लिए जिम्मेदार ठहराया.
बिना निशान के गायब हो गए कई जहाज और विमान
अब बरमूडा, फ्लोरिडा, प्यूर्टो रिको के बीच के क्षेत्र में के इस रहस्य का सच सामने आ गया है. जहां इतने सारे जहाज और विमान बिना किसी निशान के गायब हो गए. इसका एलियंस या खोए हुए शहर अटलांटिस से कोई लेना-देना नहीं है.
विमानों और जहाजों के गायब होने के पीछे ये थी वजह
द इंडिपेंडेंट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, एक ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिक ने कुछ साल पहले खुलासा किया था कि जहाजों के लापता होने की उच्च संख्या के पीछे कोई अलौकिक वजह नहीं है. इस क्षेत्र में होने वाली दुर्घटनाओं के पीछे साधारण मानवीय भूल, खराब मौसम जिम्मेदार है.
सिडनी विश्वविद्यालय से फेलोशिप प्राप्त ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिक कार्ल क्रुजेलनिकी का कहना है कि बरमूडा ट्रायएंगल कहीं से खतरनाक इलाका नहीं है. अमेरिकी राष्ट्रीय महासागरीय एवं वायुमंडलीय प्रशासन (NOAA) भी क्रुजेलनिकी से सहमत है.
दोनों का कहना है कि इसमें कोई रहस्य नहीं है. लंबे समय से सुर्खियां बटोरने वाले समुद्र के 700,000 वर्ग किलोमीटर के इस क्षेत्र में कोई रहस्यमयी ताकत नहीं है.
हादसे के पीछे के मौसमीय कारण
वैज्ञानिकों का कहना है कि अटलांटिक महासागर में गल्फ स्ट्रीम की धारा अचानक मौसम में परिवर्तन और समुद्र में उथल-पुथल पैदा कर सकती है. वहीं द्वीपों, भित्तियों और उथले पानी की जटिल भौगोलिक स्थिति इस इलाके में जहाजों के परिचालन को कठिन बना देती है.
वहीं बरमूडा त्रिभुज पृथ्वी पर उन कुछ स्थानों में से एक है, जहां कम्पास चुंबकीय उत्तर के बजाय सही उत्तर की ओर इंगित कर सकता है, जिससे संभावित भ्रम की स्थिति पैदा हो सकती है.
विमानों के गायब होने के आंकड़े भी हैं सामान्य
क्रुजेलनिकी ने कहा कि यह भूमध्य रेखा के करीब है. दुनिया के एक समृद्ध हिस्से - अमेरिका के पास है. इसलिए यहां बहुत अधिक यातायात रहता है. इसलिए जब , आप गायब होने वाली घटनाओं की संख्या की तुलना बरमूडा त्रिभुज से गुजरने वाले जहाजों और विमानों की बड़ी संख्या से करते हैं, तो आप पाते हैं कि इस क्षेत्र में कुछ भी असामान्य नहीं है.
क्रुजेलनिकी कहा कि लंदन के लॉयड्स और अमेरिकी तटरक्षक बल के अनुसार , प्रतिशत के आधार पर बरमूडा त्रिभुज में लापता होने वाले जहाजों और विमानों की संख्या विश्व में किसी भी समुद्री इलाके में होने वाली दुर्घटनाओं के बराबर है.
यहां से शुरू हुई बरमूडा ट्रायंगल की कहानी
गल्फ न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार 1918 में ब्राजील से बाल्टीमोर जाते समय एक यूएसएस साइक्लोप्स इसी इलाके में गायब हो गया था. इस घटना के 27 साल बाद 'फ्लाइट 19' की दुर्घटना ने इस इलाके को लेकर लोगों के बीच एक मिथक तैयार कर दिया.
क्या है फ्लाइट 19 की घटना
क्रुजेलनिकी ने बताया कि बरमूडा त्रिभुज की अटकलों को शुरू करने में सबसे अधिक योगदान 'फ्लाइट 19' के खो जाने की घटना ने दिया. 'फ्लाइट 19' - यह पांच अमेरिकी नौसेना टीबीएम एवेंजर टारपीडो बमवर्षकों की उड़ान थी, जो 5 दिसंबर 1945 को फ्लोरिडा के फोर्ट लॉडरडेल से अटलांटिक महासागर के ऊपर दो घंटे के नियमित प्रशिक्षण मिशन के लिए रवाना हुए थे.
बेस से रेडियो संपर्क टूटने के बाद, पांचों विमान गायब हो गए. उनका या उनके 14 चालक दल के सदस्यों का कोई सुराग नहीं मिला. इससे भी अधिक भयावह बात यह है कि बाद में यह दावा किया गया कि उस रात उड़ान 19 को खोजने के लिए खोज और बचाव अभियान पर भेजा गया पीबीएम-मेरिनर समुद्री विमान भी अपने 13 चालक दल के साथ गायब हो गया.
हैंगओवर के साथ उड़ा रहे थे विमान
1945 की वो घटना जिसने बरमूडा ट्रायंगल को कुख्यात बना दिया. उसको लेकर क्रुजेलनिकी ने कहा कि उड़ान में एकमात्र वास्तविक अनुभवी पायलट इसके लीडर, लेफ्टिनेंट चार्ल्स टेलर थे. उनकी मानवीय भूल ने ही इस त्रासदी में भूमिका निभाई. वह हैंगओवर के साथ विमान उड़ाने पहुंचे थे.
क्रुजेलनिकी ने बताया कि दुर्घटना के पहले डॉक्यूमेंट से पता चलता है कि लेफ्टिनेंट टेलर को लगा कि उनका कंपास खराब हो गया है और वे फ्लोरिडा कीज के ऊपर हैं - जो अमेरिकी मुख्य भूमि के दक्षिण-पश्चिम में फैले द्वीपों की एक श्रृंखला है. जबकि वास्तव में बाद में ग्राउंड स्टाफ द्वारा किए गए विश्लेषण से पता चला कि वे दक्षिण-पूर्व में, बहामास के एक द्वीप के पास थे.
आखिर क्यों नहीं मिले हादसे के निशान
बिना निशान के विमानों के गायब होने वाली बात पर भी क्रुजेलनिकी ने असहमति जताई है. उन्होंने कहा कि 1945 में जब विमान गायब हुए थे, तब इसे कई लोगों ने फटते हुए देखा था.
विस्फोट के कई गवाह थे. एक तेल की परत और मलबा मिला भी था.दुर्घटना के बाद, अमेरिकी नौसेना ने अन्य सभी पीबीएम-मेरिनर समुद्री विमानों को उड़ान भरने से रोक दिया. क्योंकि इस विमान को पहले ही खतरनाक रूप से'उड़ता गैस टैंक' घोषित कर दिया था.
वहीं अटलांटिक महासागर के बीच गहरे पानी में विमानों और शवों को ढूंढना कठिन काम होता है. ऐसे में अगर मलबे नहीं मिले तो यह बड़ी बात नहीं है.
सालों तक अटकलों का बाजार रहा गर्म
जानकारी या तथ्य-जांच के अभाव में, फ्लाइट 19 के बारे में लोग तरह-तरह के अटकलें लगाने लगे. इसको लेकर लोग सालों तक अफवाह फैलाते रहे. फिर 1964 के बाद,लेखक विंसेंट गैडिस ने द डेडली बरमूडा ट्रायंगल नामक लेख में बिना किसी सबूत के गायब होने वाले जहाजों और विमानों को लेकर अलग ही रहस्यमयी सिद्धांतों को आगे बढ़ाया.
फिल्मों में भी इसके मिथक को दी गई हवा
1977 तक बरमूडा त्रिभुज को इतनी व्यापक लोकप्रियता मिल चुकी थी कि स्टीवन स्पीलबर्ग ने अपनी काल्पनिक फिल्म क्लोज एनकाउंटर्स ऑफ द थर्ड काइंड में इसका संदर्भ शामिल किया , जिसमें फ्लाइट 19 के चालक दल को एलियंस द्वारा अपहरण किए जाने के रूप में दर्शाया गया था.
बाद में कई सिद्धांतों ने विमानों और जहाजों के बरमूडा त्रिभुज के भीतर किसी प्रकार के ब्लैक होल या टाइम वॉर्प में गायब हो जाने जैसी बेतुकी धारणाओं को खारिज करते हैं.
कैसे नाम पड़ा 'बरमूडा ट्रायंगल'?
'बरमूडा ट्रायंगल' शब्द का पहली बार इस्तेमाल 1964 में लेखक विंसेंट गैडिस ने आर्गोसी पत्रिका के एक लेख में किया था. उन्होंने इसे एक ऐसे क्षेत्र के रूप में वर्णित किया था, जिसने सैकड़ों जहाजों और विमानों को बिना किसी निशान के नष्ट कर दिया था. यानी गायब होने के बाद इसके कोई निशान नहीं मिले.
बाद में कई जहाजों के मिले हैं अवशेष
गल्फ न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, बरमूडा के आसपास सैकड़ों डूबे जहाजों के अवशेष मिले हैं. ये प्राकृतिक आपदाओं के कारण बीच समुद्र में डूब गए और इनके अवशेष खोज पाना मुश्किल रहा है. हाल में इस इलाके से कई विमानों के भी मलबे बरामद हुए हैं, जिससे पता चलता है कि यहां बिना निशान के कोई जहाज या विमान नहीं डूबे हैं.