'अगर आप झूठ नहीं बोल रहे हैं, तो आप उड़ान नहीं भर सकते.' एयरलाइन पायलट अपनी मेंटल हेल्थ समस्याओं को छिपाते हैं. दर्जनों एयरलाइन पायलटों ने रॉयटर्स को बताया कि वे मेंटल हेल्थ समस्याओं का खुलासा करने से हिचकिचाते हैं. यहां तक कि मामूली या इलाज जरूरी समस्याओं का भी, क्योंकि इससे उन्हें नौकरी से निकाले जाने और करियर खत्म करने वाली समीक्षा ( Review) का खतरा रहता है. आज के समय में कई एयरलाइन पायलट मेंटल स्ट्रेस, चिंता या डिप्रेशन जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं, लेकिन फिर भी वे इसके बारे में किसी को नहीं बताते.
इसकी सबसे बड़ी वजह डर है, डर कि अगर उन्होंने इलाज कराया या सच बताया, तो उनकी नौकरी और फ्लाइंग लाइसेंस दोनों छिन सकता है. रॉयटर्स से बात करने वाले दर्जनों पायलटों ने बताया कि वे छोटी या ठीक हो सकने वाली मानसिक दिक्कतों को भी छिपाते हैं. उन्हें लगता है कि अगर उन्होंने डॉक्टर से मदद ली, दवा खाई या किसी से बात की, तो उन्हें फ्लाइट उड़ाने से हटा दिया जाएगा और उनका करियर खत्म हो सकता है.
डर और शर्म न होती, तो शायद उनका बेटा आज जिंदा होता
इस डर की एक दर्दनाक मिसाल ब्रायन विटके की कहानी है. ब्रायन डेल्टा एयरलाइंस के पायलट थे और तीन बच्चों के पिता थे. उनकी मां एनी वर्गास ने बताया कि महामारी के समय ब्रायन ज्यादा घर पर रहने लगे थे और धीरे-धीरे उनका मेंटल हेल्थ बिगड़ता जा रहा था. परिवार ने उन्हें इलाज कराने को कहा, लेकिन ब्रायन ने मना कर दिया. उन्हें डर था कि अगर उन्होंने डिप्रेशन का इलाज कराया, तो उनका लाइसेंस और नौकरी दोनों चली जाएंगी. 14 जून 2022 को ब्रायन ने आत्महत्या कर ली. उनकी मां का कहना है कि अगर मानसिक स्वास्थ्य को लेकर इतना डर और शर्म न होती, तो शायद उनका बेटा आज जिंदा होता.
यात्रियों की सुरक्षा पर भी पड़ सकता है असर
रॉयटर्स की जांच में सामने आया कि कई पायलट इसी वजह से चुप रहते हैं. उन्हें लगता है कि थेरेपी, दवा या मदद मांगने का मतलब है-लंबी जांच, फ्लाईंग पर रोक और करियर पर खतरा. यही कारण है कि पायलटों के बीच एक कहावत है-'अगर आप झूठ नहीं बोल रहे हैं, तो आप उड़ान नहीं भर सकते.'इस स्थिति से न सिर्फ पायलटों की जिंदगी खतरे में पड़ती है, बल्कि यात्रियों की सुरक्षा पर भी असर पड़ सकता है. विशेषज्ञों का मानना है कि अगर पायलट बिना डर के मेंटल हेल्थ का इलाज करा सकें, तो वे ज्यादा सुरक्षित और बेहतर तरीके से अपनी जिम्मेदारी निभा पाएंगे.
मेंटल हेल्थ के बारे में बात नहीं करते लोग
इस रिपोर्ट के लिए रॉयटर्स ने अमेरिका और अन्य देशों की एयरलाइंस में काम करने वाले कम से कम 24 पायलटों से बात की. इन पायलटों ने बताया कि वे अपनी मानसिक परेशानी के बारे में खुलकर बताने से डरते हैं, चाहे समस्या छोटी हो या इलाज से ठीक हो सकने वाली ही क्यों न हो. वजह यह डर है कि कहीं उन्हें तुरंत उड़ान भरने से रोक न दिया जाए और लंबी और महंगी मेडिकल जांच में उनका करियर ही खत्म न हो जाए. पायलटों ने यह भी बताया कि मानसिक स्वास्थ्य को लेकर खुलकर सामने न आने के पीछे कई कारण हैं. इनमें एयरलाइंस के सख्त नियम, सरकारी नियामकों की शर्तें और समाज में फैला मानसिक बीमारी से जुड़ा डर और शर्म शामिल है.
मेंटल हेल्थ की मदद लेने को लेकर अब भी झिझक
ब्रायन विटके की मां एनी वर्गास ने कहा- आम लोगों की तरह पायलटों की भी अपनी परेशानियां होती हैं और अपनी समस्या से जूझने की वजह से उन्हें सजा नहीं मिलनी चाहिए.' वर्गास ने बताया कि उन्होंने अपने बेटे की कहानी इसलिए शेयर की है ताकि विमानन उद्योग में मेंटल हेल्थ को लेकर बनी चुप्पी और डर का कल्चर खत्म किया जा सके. रॉयटर्स ने विटके की पत्नी से भी इस जानकारी की पुष्टि की. डेल्टा एयरलाइंस ने कहा कि ब्रायन विटके उनकी टीम के एक अहम सदस्य थे और उनकी मौत बेहद दुखद है.
कंपनी ने यह भी माना कि पायलटों के बीच मेंटल हेल्थ की मदद लेने को लेकर अब भी सामाजिक झिझक और डर मौजूद है. डेल्टा समेत कई बड़ी अमेरिकी एयरलाइंस अपने कर्मचारियों के लिए गोपनीय सहकर्मी सहायता कार्यक्रम और काउंसलिंग (Confidential peer support programs and counseling) की सुविधा देती हैं, हाल ही में डेल्टा ने पायलटों के लिए एक नया सहायता कार्यक्रम भी शुरू किया है, जिसमें इलाज, कोचिंग और मेडिकल सर्टिफिकेट से जुड़ी जरूरतों को ध्यान में रखा गया है.
हर छह महीने में मेडिकल टेस्ट जरूरी
एयरलाइन कंपनी का कहना है कि वह पायलटों की मदद के लिए लगातार नए और बेहतर समाधान देने की कोशिश कर रही है. आम तौर पर दूसरे पेशों में लोग बिना अपने बॉस या किसी सरकारी संस्था को बताए इलाज या काउंसलिंग ले सकते हैं. लेकिन एयरलाइंस फील्ड में ऐसा नहीं है. यहां नियम काफी सख्त हैं.पायलटों को उड़ान भरने के लिए FAA (फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन) का मेडिकल सर्टिफिकेट जरूरी होता है.
इसके लिए उन्हें शारीरिक और मानसिक दोनों तरह की जांच से गुजरना पड़ता है. कई पायलटों को हर छह महीने में मेडिकल टेस्ट कराना होता है. अगर किसी पायलट को चिंता या अवसाद (डिप्रेशन) की समस्या हो, तो उसे उड़ान से रोका जा सकता है. हल्की समस्या होने पर जल्दी मंजूरी मिल जाती है, लेकिन गंभीर मामलों में FAA की लंबी जांच होती है, जिसमें एक साल या उससे ज्यादा समय लग सकता है.
‘ग्राउंड’ कर दिए जाने का डर'
FAA ने कहा है कि वह पायलटों की मेंटल हेल्थ को गंभीरता से लेता है और मेडिकल साइंस के हिसाब से अपने नियमों को समय-समय पर अपडेट करता रहता है. हालांकि, पायलटों के मन में अब भी डर बना रहता है. जर्मनविंग्स एयरलाइंस के उस हादसे को एक दशक बीत चुका है, जिसमें एक पायलट ने मानसिक बीमारी के चलते विमान को पहाड़ से टकरा दिया था.
इसके बावजूद, रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, आज भी पूरी दुनिया में पायलटों के मेंटल हेल्थ को लेकर कोई एक जैसी नीति नहीं बन पाई है. यूरोप में एविएशन सेफ्टी एजेंसी ने एयरलाइंस को निर्देश दिया है कि वे पायलटों के लिए सहकर्मी सहायता (पीयर सपोर्ट) कार्यक्रम चलाएं और मेडिकल जांच करने वालों पर कड़ी निगरानी रखें. इसके बावजूद, मानसिक स्वास्थ्य को लेकर डर और सामाजिक झिझक आज भी पायलटों के सामने सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है.
अब मेंटल हेल्थ से जुड़ी दवाइयां लेने की इजाजत
अमेरिका में विमानन नियामक संस्था एफएए (FAA) ने अब मेंटल हेल्थ से जुड़ी बीमारियों के इलाज में इस्तेमाल होने वाली कुछ दवाओं को मंजूरी दे दी है. पहले जिन दवाओं की इजाजत नहीं थी, अब उनकी लिस्ट बढ़ा दी गई है. इसके अलावा, एडीएचडी जैसी समस्या से जूझ रहे पायलटों के लिए भी एक अलग रास्ता बनाया गया है, ताकि वे इलाज के साथ-साथ उड़ान भरने की प्रक्रिया में लौट सकें.एयरलाइंस और पायलट यूनियनों ने भी गोपनीय सहायता कार्यक्रमों को बढ़ाया है, जहां पायलट बिना डर के अपनी परेशानी साझा कर सकें.
ऑस्ट्रेलिया में नागरिक उड्डयन सुरक्षा प्राधिकरण (CASA) ने नियम थोड़े लचीले बनाए हैं. वहां अगर किसी पायलट को अवसाद या चिंता है, तो इलाज के दौरान भी, सुरक्षा शर्तों के साथ, उसे उड़ान भरने की अनुमति दी जा सकती है. CASA की मेडिकल प्रमुख केट मैंडरसन के अनुसार, आमतौर पर वहां मेडिकल मामलों की समीक्षा 20 दिनों के भीतर पूरी कर ली जाती है.
लाइसेंस खोने के डर से इलाज नहीं कराते पयलट
लेकिन, हकीकत यह है कि नियमों और लोगों की सोच के बीच अब भी बड़ा फर्क है. साल 2023 में अमेरिका और कनाडा के 5,170 पायलटों पर हुए एक स्टडी में आधे से ज्यादा पायलटों ने माना कि वे सिर्फ लाइसेंस खोने के डर से इलाज कराने से बचते हैं. इसी डर को पायलटों के बीच प्रचलित एक कहावत बयान करती है- अगर आप सच नहीं छिपा रहे हैं, तो आप प्लेन नहीं उड़ा सकते.' अब पायलट यूनियन और कई संगठन एफएए से मांग कर रहे हैं कि ऐसे नियम बनाए जाएं, जिससे मानसिक समस्या बताने वाले पायलटों की नौकरी सुरक्षित रहे और वे जल्दी काम पर लौट सकें. सितंबर में अमेरिकी संसद ने एफएए को निर्देश दिया कि दो साल के भीतर इन सुधारों को लागू किया जाए.
उड़ान की अनुमति का लंबा इंतजार
अमेरिकी पायलट एलिजाबेथ कार्ल के लिए ये सुधार बेहद जरूरी हैं. 2021 में, उन्होंने ट्रेनिंग के दौरान बताया था कि वे चिंता की दवा की हल्की खुराक ले रही हैं. इसके बाद उन्हें उड़ान से रोक दिया गया. छह महीने इंतजार के बाद उन्हें मेंटल हेल्थ एक्सपर्ट से मिलने की अनुमति मिली और फिर उनकी फाइल की जांच में एक साल से ज्यादा समय लग गया.
आखिरकार, रिपोर्ट पुरानी बताकर दोबारा जांच का आदेश दे दिया गया. कार्ल कहती हैं कि दवा में थोड़ा सा बदलाव भी पूरी प्रक्रिया को फिर से शुरू कर सकता है, जो लंबी और महंगी होती है.उनके शब्दों में लोग डर के मारे अपनी समस्या को नजरअंदाज करते हैं और ऐसा दिखाते हैं जैसे कुछ हुआ ही नहीं.'एफएए का कहना है कि वह अपनी नीतियों को लगातार बेहतर बना रहा है और पायलटों को इलाज कराने के लिए प्रोत्साहित करता है. एजेंसी के मुताबिक, ज्यादातर मामलों में इलाज कराने से पायलट को हमेशा के लिए उड़ान से अयोग्य नहीं ठहराया जाता.
फ्लाइट क्रैश के बाद मेंटल हेल्थ पर चर्चा तेज
हाल ही में एयर इंडिया की एक फ्लाइट दुर्घटना के बाद पायलटों की मानसिक सेहत पर फिर से चर्चा तेज हो गई. दुर्घटना के बाद कुछ पायलटों ने बीमारी की छुट्टी ली, और एयरलाइन ने मेंटल हेल्थ से जुड़े ऐप्स का इस्तेमाल करने की सलाह दी. कुल मिलाकर, यह साफ है कि पायलटों की मानसिक सेहत एक गंभीर मुद्दा है. डर और बदनामी की वजह से कई पायलट मदद नहीं मांग पाते, जबकि सही समय पर इलाज न सिर्फ उनकी, बल्कि यात्रियों की सुरक्षा के लिए भी जरूरी है.
'आज का पायलट बेहतर है’
जब किसी पायलट को किसी मेंटल हेल्थ की वजह से उड़ान भरने से रोक दिया जाता है, तो इसका असर उसकी कमाई पर बहुत बुरा पड़ता है. पहले तो बीमारी की छुट्टी लेनी पड़ती है और बाद में कई बार पायलट को विकलांगता पेंशन पर डाल दिया जाता है, जिससे उसकी आय काफी कम हो जाती है.33 साल के अमेरिकी पायलट ट्रॉय मेरिट ने दिसंबर 2022 में खुद ही उड़ान भरना बंद कर दिया था. उन्हें एहसास हो गया था कि अवसाद और चिंता की वजह से वे सुरक्षित तरीके से विमान नहीं उड़ा पा रहे हैं. इसके बाद उन्होंने इलाज शुरू किया और दवाइयां लेनी शुरू कीं.
दोबारा उड़ान भरने की परमिशन के लिए मेरिट को छह महीने तक लगातार दवा लेनी पड़ी और कई मानसिक और दिमागी जांच करानी पड़ी. इनमें से कुछ जांच का खर्च बीमा में शामिल नहीं था.उनके मुताबिक, इस पूरी प्रक्रिया में करीब 11,000 डॉलर (लगभग 9 लाख रुपये) खर्च हो गए. एफएए (अमेरिकी विमानन एजेंसी) की एक समिति ने माना है कि इलाज का ज्यादा खर्च भी एक बड़ी वजह है, जिसके कारण पायलट मेंटल हेल्थ का इलाज कराने से डरते हैं. रिपोर्ट में बताया गया कि अच्छी बीमा योजनाओं के बावजूद मेंटल हेल्थ से जुड़ी जांच और इलाज का खर्च अक्सर पूरी तरह कवर नहीं होता.
18 महीने तक फ्लाइंग की परमिशन नहीं मिली
मेरिट को करीब 18 महीने तक उड़ान भरने की अनुमति नहीं मिली और इस दौरान वे विकलांगता बीमा के सहारे रहे. उनका कहना है कि अगर कोई पायलट ठीक हो चुका है, तो उसे दोबारा मेडिकल सर्टिफिकेट के लिए महीनों इंतजार नहीं करना चाहिए. उनके मुताबिक, एफएए को ऐसे मामलों की समीक्षा 30 दिनों में कर लेनी चाहिए.
मेरिट ने कहा- अगर पायलट इलाज से बचते हैं, तो वे अपनी सेहत को नजरअंदाज करने लगते हैं. यही हालात आगे चलकर कॉकपिट में गंभीर समस्याएं पैदा कर सकते हैं.'उन्होंने यह भी कहा कि वे इस बात का सुबूत हैं कि मेंटल हेल्थ का इलाज कराने से पायलट लंबे समय में और बेहतर बनते हैं. ठीक होने के बाद उन्होंने बड़े विमानों की ट्रेनिंग ली और शंघाई व हांगकांग जैसी लंबी दूरी की उड़ानें भरने की तैयारी की, जो पहले उन्हें बहुत मुश्किल लगती थीं. मेरिट ने साफ शब्दों में कहा, “आज मैं पहले से कहीं बेहतर पायलट हूं.'