इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उत्तरप्रदेश सरकार से अनुशंसा की है कि सरकारी नौकरियां चाहने वाली महिलाओं की अधिकतम उम्र सीमा में छूट दी जाए. इसके अलावा महिला उम्मीदवारों के लिए 20 फीसदी आरक्षण की भी अनुशंसा की गई है.
न्यायमूर्ति सुनील अंबवानी और न्यायमूर्ति जयश्री तिवारी की खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि ‘आरक्षण और उम्र में छूट देना नीतिगत मामला है जिस पर राज्य सरकार को निर्णय करना है.’
प्रीति शर्मा एवं अन्य की याचिका पर सुनवाई के दौरान आदेश को 27 जनवरी 2011 को पारित किया गया. प्रीति एवं अन्य ने अदालत से आग्रह किया था कि वह उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग को निर्देश जारी करे कि अधिकतम उम्र सीमा 35 वर्ष पार करने के बावजूद उन्हें इस वर्ष होने वाले प्रतियोगिता परीक्षा में उपस्थित होने की अनुमति दी जाए.
अदालत ने इस तरह का निर्देश देने से इंकार कर दिया लेकिन कहा, ‘महिलाओं की जैविक एवं सामाजिक जरूरतों और परिवार में उनके परंपरागत स्थान को देखते हुए कहा जा सकता है कि वह पुरुषों से अलग श्रेणी में आती हैं.’ स्कूल के समय से ही अधिकतर लड़कियों को स्कूल जाने से पहले घर का काम करना पड़ता है.
अदालत ने कहा, ‘लड़कों की तुलना में लड़कियों का अधिकतर समय घर के कामकाज में लगता है. लड़कों की तुलना में उन्हें पढ़ने का काफी कम समय मिलता है.’