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विश्व भारती मामला: प्रधानमंत्री को अदालत की अवमानना का नोटिस

कलकत्ता उच्च न्यायालय ने विश्व भारती विश्वविद्यालय परिसर के एक स्कूल के छात्रावास में बिस्तर गीला करने पर पांचवीं कक्षा की छात्रा को उसे चाटने की सजा देने के मामले में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह तथा अन्य अधिकारियों को शुक्रवार को अदालत की अवमानना नोटिस जारी किया.

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मनमोहन सिंह
मनमोहन सिंह

कलकत्ता उच्च न्यायालय ने विश्व भारती विश्वविद्यालय परिसर के एक स्कूल के छात्रावास में बिस्तर गीला करने पर पांचवीं कक्षा की छात्रा को उसे चाटने की सजा देने के मामले में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह तथा अन्य अधिकारियों को शुक्रवार को अदालत की अवमानना नोटिस जारी किया.

प्रधानमंत्री इस विश्वविद्यालय के कुलाधिपति हैं.

मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जे. एन. पटेल तथा न्यायमूर्ति संबुधा चक्रवर्ती की पीठ ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए ये नोटिस जारी किए. नोटिस में कहा गया है कि विश्व भारती ने शारीरिक दंड देकर इस तरह के दंड पर रोक लगाने के न्यायालय के पूर्ववर्ती आदेश का उल्लंघन किया है.

याचिकाकर्ता तापस भांजा ने कहा, 'न्यायालय ने प्रधानमंत्री, जो विश्वविद्यालय के कुलाधिपति हैं, के साथ-साथ कुलपति सुशांत दत्त गुप्ता, रजिस्ट्रार मणि मुकुट मित्रा, वार्डन उमा पोद्दार तथा पश्चिम बंगाल के शिक्षा सचिव बिक्रम सेन को नोटिस जारी करने के लिए कहा है.' मामले की अगली सुनवाई 27 जुलाई को होगी.

कलकत्ता उच्च न्यायालय ने वर्ष 2004 में ही स्कूलों में बच्चों को दिए जाने वाले शारीरिक दंड पर रोक लगाई थी. वर्ष 2009 में न्यायालय ने दिशा-निर्देश तय करते हुए कहा था कि बच्चों को दंडित किए जाने के बजाय समझाया-बुझाया जाना चाहिए.

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घटना शनिवार रात की है, जब पोद्दार ने छात्रावास के निरीक्षण के दौरान बिस्तर गीला करने वाली बच्ची को उसे चाटने की सजा दी. आरोप है कि उन्होंने पेशाब पर नमक छिड़क दिया और सजा के तौर पर उसे चाटने के लिए कहा.

लड़की ने यह बात अपनी मां को बताई, जिसके बाद उसके अभिभावक तथा कई अन्य लोगों ने छात्रावास के परिसर में पहुंचकर पोद्दार से कथित तौर पर बदसलूकी की.

विश्वविद्यालय ने पूर्व छात्र कल्याण संकायाध्यक्ष अरुणा मुखर्जी की अध्यक्षता में मामले की जांच के लिए चार सदस्यीय समिति का गठन किया. रिपोर्ट पर कार्रवाई करते हुए विश्वविद्यालय ने पोद्दार को वार्डन के पद से हटा दिया.

घटना की चौतरफा निंदा हुई और यह प्रधानमंत्री कार्यालय तक भी पहुंची. राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने भी विश्वविद्यालय तथा राज्य सरकार से इस पर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है.

विश्व भारती की स्थापना नोबल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर ने की थी.

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