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टिकट काउंटर महाराष्ट्र में, ट्रेन गुजरात में! भारत का वो अनोखा स्टेशन जहां एक कदम बढ़ते ही बदल जाता है राज्य

भारत में एक ऐसा रेलवे स्टेशन है जहां कदम बढ़ाते ही राज्य बदल जाता है. यहां मुसाफिर टिकट महाराष्ट्र में खरीदते हैं और ट्रेन गुजरात से पकड़ते हैं. जो कि न सिर्फ अपनी लोकेशन, बल्कि अपने इतिहास और बनावट के कारण भी खास है.

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नवापुर स्टेशन (Photo: indiarailinfo.com)
नवापुर स्टेशन (Photo: indiarailinfo.com)

कल्पना कीजिए कि आप स्टेशन पर टिकट खरीदने के लिए लाइन में लगे हैं और आप महाराष्ट्र में खड़े हैं, लेकिन जैसे ही आप ट्रेन पकड़ने के लिए प्लेटफॉर्म पर आगे बढ़ते हैं, आप गुजरात पहुंच जाते हैं! सुनने में यह किसी फिल्म की कहानी जैसा लगता है, लेकिन भारत के नक्शे पर एक ऐसा रेलवे स्टेशन सच में मौजूद है.

यह स्टेशन किसी जादू से कम नहीं है क्योंकि यहां की एक-एक ईंट और पटरी दो राज्यों के बीच बंटी हुई है. हम बात कर रहे हैं नवापुर रेलवे स्टेशन की, जहां मुसाफिर एक ही पल में दो राज्यों की सैर कर लेते हैं. अगर आप भी कुछ अलग और मजेदार देखना चाहते हैं, तो इस स्टेशन के नजारे आपको हैरान कर देंगे.

एक ही प्लेटफॉर्म पर दो राज्यों का बसेरा

भारत में हजारों रेलवे स्टेशन हैं, कोई अपनी खूबसूरती के लिए मशहूर है तो कोई अपनी भीड़ के लिए. लेकिन नवापुर रेलवे स्टेशन की कहानी सबसे हटके है. यह स्टेशन ठीक महाराष्ट्र और गुजरात की सीमा (बॉर्डर) पर बना हुआ है. इसकी बनावट ऐसी है कि स्टेशन का आधा हिस्सा महाराष्ट्र में आता है और आधा गुजरात में. यही वजह है कि यहां आने वाला हर यात्री इस बात को लेकर रोमांचित रहता है कि वह कब एक राज्य से दूसरे राज्य की सीमा में प्रवेश कर गया.

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कहां है यह अनोखी जगह?

नवापुर रेलवे स्टेशन की लोकेशन बहुत दिलचस्प है. इसका महाराष्ट्र वाला हिस्सा नंदुरबार जिले में पड़ता है, जबकि गुजरात वाला हिस्सा तापी जिले की सीमा में आता है. यह स्टेशन मुंबई-दिल्ली की मुख्य रेल लाइन पर स्थित है, इसलिए यहां से गुजरने वाली ट्रेनों और यात्रियों की संख्या काफी ज्यादा रहती है. यहां आकर आपको एहसास होता है कि राज्यों की सीमाएं सिर्फ कागजों पर नहीं, बल्कि जमीन पर कितनी करीब हो सकती हैं.

आखिर क्यों खास है नवापुर का यह बंटवारा

नवापुर स्टेशन को जो चीज सबसे ज्यादा मजेदार बनाती है, वह है यहां का काम करने का तरीका. दरअसल यहां मुसाफिर महाराष्ट्र की तरफ बनी खिड़की से अपना टिकट खरीदते हैं, लेकिन ट्रेन में सवार होने के लिए उन्हें गुजरात की सीमा तक पैदल चलकर जाना पड़ता है. यहां तक कि प्लेटफॉर्म पर रखी कुर्सियां भी बंटी हुई हैं, जिनका आधा हिस्सा एक राज्य में है और आधा दूसरे में. इतना ही नहीं इस स्टेशन पर होने वाले अनाउंसमेंट भी दो अलग-अलग भाषाओं में होते हैं, जो पर्यटकों के लिए एक यादगार अनुभव बन जाता है.

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इतिहास के पन्नों में नवापुर

यह स्टेशन आज का नहीं, बल्कि अंग्रेजों के जमाने का बना हुआ है. जब इस रेलवे लाइन को बिछाया गया था, तब राज्यों की सीमाएं वैसी नहीं थीं जैसी आज हैं. बाद में जब राज्यों का पुनर्गठन हुआ और महाराष्ट्र व गुजरात अलग हुए, तो यह स्टेशन ठीक बॉर्डर के बीचों-बीच आ गया. रेलवे ने इसकी इस ऐतिहासिक और अनोखी पहचान को आज भी बरकरार रखा है, जो पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है.

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कैसे पहुंचें और क्या देखें?

नवापुर स्टेशन मुंबई, सूरत, अहमदाबाद और दिल्ली जैसे बड़े शहरों से रेल मार्ग के जरिए अच्छी तरह जुड़ा हुआ है. इस प्लेटफॉर्म पर पैसेंजर से लेकर एक्सप्रेस तक हर तरह की ट्रेनें रुकती हैं. मुसाफिर अक्सर उस खास 'पीली रेखा' को देखना नहीं भूलते, जो स्टेशन के बीचों-बीच खींचकर दोनों राज्यों को अलग करती है.

वैसे, नवापुर अकेला ऐसा स्टेशन नहीं है. राजस्थान और मध्य प्रदेश की सीमा पर स्थित भवानी मंडी स्टेशन भी इसी तरह दो राज्यों का मजा एक साथ देता है. लेकिन नवापुर का अपना एक अलग ही स्वैग और संस्कृति है, जो इसे भारत का सबसे यादगार रेलवे स्टेशन बनाती है.

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