खंबु ग्लेशियर (Khumbu Glacier) हिमालय पर्वतमाला में स्थित एक प्रमुख और विश्वविख्यात हिमानी है. यह ग्लेशियर नेपाल के सोलूखुम्बु जिले में स्थित है और माउंट एवरेस्ट (सगरमाथा) की दक्षिणी ढलानों से निकलता है. खंबु ग्लेशियर की लंबाई लगभग 17 किलोमीटर है, जिससे यह विश्व के सबसे ऊंचे क्षेत्र में स्थित सबसे बड़े ग्लेशियरों में से एक माना जाता है.
खंबु ग्लेशियर एवरेस्ट बेस कैंप (5,364 मीटर) के पास से होकर गुजरता है और ल्होत्से तथा नुप्त्से पर्वतों के बीच से नीचे की ओर बहता है. यह हिमानी खुम्बू क्षेत्र का हिस्सा है, जो सागरमाथा राष्ट्रीय उद्यान में आता है.
खंबु ग्लेशियर एवरेस्ट बेस कैंप ट्रेक का महत्वपूर्ण हिस्सा है. हर साल हजारों पर्वतारोही और पर्यटक इस ग्लेशियर के पास से होकर गुजरते हैं.
यह ग्लेशियर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को समझने के लिए वैज्ञानिकों के लिए एक महत्त्वपूर्ण अध्ययन का क्षेत्र रहा है. खंबु ग्लेशियर के पिघलने की गति से ग्लोबल वार्मिंग के असर को मापा जा सकता है. यह ग्लेशियर स्थानीय नदियों और अंततः गंगा जैसी महान नदियों के जल स्रोतों में योगदान देता है.
जलवायु परिवर्तन के कारण खंबु ग्लेशियर तेजी से पिघल रहा है. इससे ग्लेशियर झीलें बन रही हैं, जो “ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड्स” (GLOFs) नामक बाढ़ जैसी आपदा ला सकती हैं. इससे स्थानीय समुदायों और पारिस्थितिकी तंत्र को खतरा है.
हिमालय के ग्लेशियरों का पिघलना विनाशकारी बाढ़ के खतरे को बढ़ाता है. लगभग 200 करोड़ लोगों के लिए मीठे पानी के संसाधनों को कम करता है. भारत और नेपाल जैसे देशों में जलवायु अनुकूलन की चुनौतियां बहुत बड़ी हैं. ग्लेशियरों के पिघलने से नदियों में पानी की कमी हो सकती है... और ये लगातार हो रहा है.
सबसे पहले एवरेस्ट फतह करने वाले तेनजिंग नोर्गे के गांव थमे शेरपा विलेज में 16 अगस्त 2024 को भयानक आपदा आई. ग्लेशियर और हिमालय की स्टडी करने वाले वैज्ञानिकों ने बताया कि इस गांव के ऊपर खुंभू ग्लेशियर है, जिसमें चार ग्लेशियल लेक्स बनी हैं. उसमें से तीन नंबर ग्लेशियल लेक टूट गई.
एवरेस्ट के नीचे बसे थमे गांव में भयानक आपदा आई है. एकदम केरल के वायनाड जैसी. बस यहां पर ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड की वजह से पूरा गांव कीचड़ और मलबे में दब गया है. सुंदर हरा-भरा गांव इस समय गंदे भूरे पीले रंग के मलबे में दबा हुआ है. थमे गांव के आधे से ज्यादा मकान कीचड़ में दब गए हैं. तबाह हो गए हैं.
वैश्विक गर्मी की वजह से पूरे हिमालय के जल चक्र पर असर पड़ रहा है. जिससे नेपाल के ग्लेशियर, नदियां, बारिश, बर्फ की परतों का बुरा हाल हो रहा है. नेपाल में अगला जलवायु संकट 'जल संकट' है. इम्जा ग्लेशियर 30 सालों में पिघलकर 2 किलोमीटर लंबी झील में बदल गया है. यानी बुरी हालत होने वाली है.