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AI से कैसे टोल कटेगा, FASTag और GPS बेस्ड टोल से काफी अलग होगा नया सिस्टम? ये है तीनों सिस्टम में अंतर

AI बेस्ड टोल कलेक्शन को लेकर केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने बताया है कि यह सिस्टम अगले साल के अंत तक लागू हो जाएगा. यह सिस्टम FASTag से काफी अलग होगा, इसके लिए कार में चिप या कोई अन्य सिस्टम आदि लगवाने की जरूरत नहीं होगी.

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आ रहा है AI बेस्ड Toll सिस्टम. (Photo:Getty Images)
आ रहा है AI बेस्ड Toll सिस्टम. (Photo:Getty Images)

आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (AI) अब टोल गेट पर भी एंट्री करने जा रहा है. अब भारत के हाइवे और टोल गेट पर टोल चार्जेस काटने का काम AI बेस्ड सिस्टम से होगा. केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने बुधवार को राज्यसभा में बताया है कि सेटेलाइट बेस्ड टोल कलेक्शन सिस्टम साल 2026 के अंत तक लागू हो जाएगा. 

दरअसल, प्रश्नकाल के दौरान सवालों के जवाब देते हुए मंत्री ने कहा कि न्यू टोल बेस्ड सिस्टम टेक्नोलॉजी सेटेलाइट और AI बेस्ड होगा. इसके लिए कार या अन्य व्हीकल मालिक को टोल गेट पर रुकने की जरूरत नहीं होगी. वह 80 किलोमीटर की स्पीड से भी टोल गेट पार कर सकेंगे. 

सरकारी रेवेन्यू को होगा फायदा 

मंत्री ने कहा कि AI Toll सिस्टम से 1500 करोड़ रुपये के फ्यूल सेविंग होगी और सरकारी रेवेन्यू में 6,000 करोड़ शामिल होंगे. AI बेस्ड टोल कलेक्शन सिस्टम फास्टैग और जीपीएस बेस्ड टोल सिस्टम से अलग होगा. 

यह भी पढ़ें: टोल बूथ पर रुकने का झंझट खत्म! आ रहा है AI टोल सिस्टम, नितिन गडकरी ने समझाया पूरा प्लान

AI टोल सिस्टम कैसे काम करेगा?

AI बेस्ड टोल कलेक्शन सिस्टम, असल में MLFF (Multi-Lane Free Flow) सिस्टम है. इस सिस्टम के तहत हाइवे पर टोल बूथ नहीं होंगे. इसके लिए एक लोहे का स्ट्रक्चर तैयार होगा, जिसको गैन्ट्री कहा जाता है.

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गैन्ट्री पर हाई रेजोल्यूशन कैमरा और सेंसर होंगे, जो कार की नंबर प्लेट को डिटेक्ट करेंगे और एनालाइज करेंगे. यह सिस्टम एंट्री और एग्जीट दोनों पर होगा, इसके बाद टोल चार्ज वसूला जाएगा. यह पूरा काम ऑटोमैटिक होगा और कार को टोल टैक्स के लिए कहीं रोकने की जरूरत नहीं होगी. 

AI बेस्ड टोल फास्टैग और GPS बेस्ड सिस्टम से कितना अलग है? 

सर्विस का नाम  FASTag (मौजूदा) GPS/GNSS (सैटेलाइट) AI आधारित (MLFF)
टेक्नोलॉजी  RFID (रेडियो फ्रीक्वेंसी) सैटेलाइट ट्रैकिंग कैमरा और AI विजन
रुकने की जरूर थोड़ा रुकना पड़ता है  नहीं रुकना पड़ेगा  नहीं रुकना पड़ेगा 
डिवाइस  विंडशील्ड पर स्टिकर व्हीकल में OBU (डिवाइस) सिर्फ नंबर प्लेट हो 
टोल रेट  फिक्स्ड रेट  जितनी दूरी उतना चार्ज  जितनी दूरी उतना चार्ज 
बैरियर  टोल गेट लगे होते हैं गेट फ्री टेक्नोलॉजी  गेट फ्री टेक्नोलॉजी 

मौजूदा FASTag सिस्टम का क्या होगा? 

मौजूदा टोल कलेक्शन सिस्टम FASTag बेस्ड है, जिसमें व्हीकल के विंड स्क्रीन पर एक रेडियो फ्रिक्वेंसी (RFID) टैग लगाना होता है. इस सिस्टम के तहत एक छोटी चिप होती है. यह स्टिकर चिप प्रीपेड वॉलेट या बैंक अकाउंट से लिंक होता है. 

FASTag बेस्ड स्टिकर वाली कार जैसे ही टोल गेट पर पहुंचती है, गेट के ऊपर लगे सेंसर RFID चिप को डिटेक्ट करते हैं. इसके बाद गेट ओपन हो जाते हैं. हालांकि फास्टैग में बैलेंस माइनस में है तो वह ब्लैक लिस्ट हो जाता है. इसकी वजह से टोल गेट ओपन नहीं होता है. ऐसे में आपको टोल चार्ज कैश में पेमेंट करनी पड़ती है. 

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AI और GPS टोल अलग-अलग सिस्टम हैं. 

GPS आधारित सिस्टम (GNSS) के लिए व्हीकल में एक विशेष ट्रैकिंग डिवाइस (OBU) की जरूरत होगी. वहीं, AI सिस्टम मुख्य रूप से बाहरी कैमरों और आपकी गाड़ी की मौजूदा नंबर प्लेट की मदद से काम करता है. यह AI सिस्टम उन गाड़ियों के लिए भी यूजफुल होगा, जिनके अंदर GPS नहीं लगा है. 

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