27 घंटे की कमरतोड़ सफर के बाद टीम इंडिया के हाथ लगी तो सिर्फ़ निराशा. न्यूज़ीलैंड क्रिकेट बोर्ड ने इतनी भी ज़हमत नहीं उठाई कि खिलाड़ियों की सहूलियत का कुछ ध्यान रखें. भारतीय टीम के पास भारी-भरकम लगेज का अंबार था, लेकिन उन्हें अपना सामान ख़ुद ढोना पड़ा.