पेरिस ओलंपिक में गुरुवार को भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने तीसरे स्थान के प्लेऑफ मैच में स्पेन को 2-1 से हराकर ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया. ओलंपिक खेलों में भारतीय पुरुष हॉकी टीम का यह लगातार दूसरा ब्रॉन्ज मेडल है. भारतीय हॉकी टीम ने गुरुवार का मेडल उसी टीम को हराकर जीता जिसे 44 साल पहले हराकर अपना आखिरी गोल्ड जीता था.
44 साल बाद फिर स्पेन को हराकर जीता मेडल
बात है मॉस्को ओलंपिक्स 1980 की. भारतीय हॉकी टीम ने स्पेन की टीम को 4-3 से हराकर ओलंपिक में अपना आठवां और आखिरी गोल्ड मेडल जीता था. ओलंपिक्स में भारत बनाम स्पेन के रिकॉर्ड पर नजर डालें तो भारतीय टीम ने अब तक स्पेन के खिलाफ 7 मुकाबले जीते हैं, दो में हार हुई है और एक मैच ड्रॉ रहा है.
गुरुवार के मुकाबले में कप्तान हरमनप्रीत सिंह (30वें, 33वें मिनट) ने भारत के लिए दो गोल किए, जबकि स्पेन का एकमात्र गोल कप्तान मार्क मिरालेस ने 18वें मिनट में पेनल्टी स्ट्रोक से किया. इस शानदार जीत के बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत तमाम नेताओं और हस्तियों ने भारतीय हॉकी टीम को बधाई दी.
गोलकीपर ने पूरा किया वादा
भारतीय टीम के यादगार प्रदर्शन में गोलकीपर पीआर श्रीजेश का अहम रोल रहा. अपना आखिरी टूर्नामेंट खेल रहे अनुभवी गोलकीपर पी आर श्रीजेश पूरे टूर्नामेंट में चट्टान की तरह भारतीय गोल की रक्षा करते रहे, पदक का रंग बदलने का सपना टूटने के बावजूद उन्होंने कहा था कि अब उनके पास आखिरी मौका है और पदक अभी भी जीता जा सकता है और उन्होंने अपना वादा पूरा किया.
2021 में मिला था मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार
श्रीजेश को 2021 में मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया था और वह 'वर्ल्ड गेम्स एथलीट ऑफ द ईयर' का पुरस्कार जीतने वाले भारत के केवल दूसरे खिलाड़ी हैं. उन्होंने 2021 और 2022 में में लगातार दो बार एफआईएच 'गोलकीपर ऑफ द ईयर' का पुरस्कार जीता. उन्होंने पिछले साल एशियाई खेलों में शानदार प्रदर्शन किया जिससे भारतीय टीम स्वर्ण पदक जीतकर पेरिस ओलंपिक 2024 का टिकट पक्का करने में सफल रही.