कॉग्निवेरा इंटरनेशनल पोलो कप का रोमांचक मुकाबला 25 अक्टूबर को दिल्ली के जयपुर पोलो ग्राउंड में खेला जाएगा. यह मुकाबला एनसीआर में हाई-लेवल पोलो की वापसी का प्रतीक है. इस मुकाबले में भारत का सामना पोलो की सबसे ताकतवर टीम अर्जेंटीना से होगा. यह 16-गोल मुकाबला होगा, जो फिलहाल भारत की सबसे ऊंची हैंडिकैप श्रेणी है.
यह मैच सिर्फ खेल नहीं, बल्कि विरासत का प्रतीक भी है. पोलो की उत्पत्ति भारत के मणिपुर में लगभग दो हजार साल पहले 'सगोल कांगजई' नाम से हुई थी. ब्रिटिश इसे 19वीं सदी में औपचारिक रूप से संगठित कर दुनिया तक ले गए, जिसमें अर्जेंटीना भी शामिल था. अब इतिहास मानो पूरा चक्र पूरा कर रहा है.
भारत में पोलो का इतिहास राजघरानों और सेना से जुड़ा है. आधुनिक दौर में इंडियन पोलो एसोसिएशन (IPA) की स्थापना 1892 में हुई थी. 1930 के दशक तक जयपुर टीम ने विश्व स्तर पर दबदबा कायम कर लिया था. 1990 के दशक में कॉरपोरेट प्रायोजन और निजी क्लबों की भागीदारी ने इस खेल में नई जान फूंक दी.
इंडियन पोलो एसोसिएशन के सचिव कर्नल विक्रमजीत सिंह काहलों (वीएसएम) ने बताया, 'यह भारतीय नेशनल टीम है जो एक बेहद मजबूत अर्जेंटीनी आमंत्रित टीम के खिलाफ खेलेगी.'
अर्जेंटीना की टीम में ऐसे पेशेवर खिलाड़ी शामिल हैं, जो भारत में लगातार खेलते रहे हैं और यहां की परिस्थितियों से भली-भांति परिचित हैं. कर्नल काहलों ने कहा, 'चूंकि अर्जेंटीना पोलो का पावरहाउस है, हमने सोचा कि 5 साल बाद जब दिल्ली में इंटरनेशनल पोलो दोबारा शुरू हो रहा है, तो क्यों न सर्वश्रेष्ठ टीम को बुलाया जाए, लेकिन समान स्तर पर.'
कर्नल काहलों ने कहा, '1900 के शुरुआती दौर में यह खेल मुख्य रूप से सेना के अफसरों तक सीमित था क्योंकि यह काफी महंगा था. लेकिन 90 के दशक से कॉरपोरेट्स के जुड़ने और निजी खिलाड़ियों के आने से पोलो में तेजी से विस्तार हुआ. अब हर टीम में एक-दो पेशेवर खिलाड़ी होते हैं, जिससे प्रतिस्पर्धा का स्तर काफी ऊंचा हो गया है.'
VIDEO | Delhi: Star Indian Polo player Simran Singh Shergill on match against Argentina, says, "Our match against Argentina is on October 25. They are a very good team, world champions. Big thanks to Indian Polo Association and our sponsors for organising this event. We will be… pic.twitter.com/N13Su6pvyE
— Press Trust of India (@PTI_News) October 23, 2025
दुनिया के मंच पर भारत की स्थिति
तरक्की के बावजूद भारत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शीर्ष टीमों की बराबरी नहीं कर पाया है. भारत जोन ई (एशिया, अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया) में वर्ल्ड कप क्वालिफायर खेलता है, जहां दक्षिण अफ्रीका, पाकिस्तान और ऑस्ट्रेलिया जैसी मजबूत टीमें हैं. भारत ने 2017 में विश्व कप के लिए क्वालिफाई किया था, लेकिन 2022 में जगह नहीं बना सका.
दूसरी ओर अर्जेंटीना इस खेल की बादशाह है- 5 बार की विश्व चैम्पियन और वर्तमान में विश्व रैंकिंग के शीर्ष 9 में से 8 खिलाड़ी अर्जेंटीना के हैं. वहां पोलो एक संस्कृति की तरह पला-बढ़ा है.
भारत के लिए यह मुकाबला चुनौती और अवसर दोनों है. भारतीय टीम में सिमरन शेरगिल, शमशीर अली, सवाई पद्मनाभ सिंह और सिद्धांत शर्मा जैसे दिग्गज खिलाड़ी शामिल हैं. इनमें जयपुर के सवाई पद्मनाभ सिंह (27) खास भूमिका निभा रहे हैं, जो देश में पोलो की लोकप्रियता बढ़ाने के लिए लगातार प्रयासरत हैं.
अर्जेंटीना की टीम में जुआन ऑगस्टिन गार्सिया ग्रोसी, साल्वाडोर जॉरेटचे, मटियास बाउटिस्टा एस्पासांडिन और निकोलस जॉर्ज कोरटी माडरना जैसे अनुभवी खिलाड़ी हैं.
पोलो की सबसे बड़ी चुनौती – दृश्यता (Visibility)
भारत में पोलो की सबसे बड़ी समस्या दृश्यता.है. कॉग्निवेरा आईटी सॉल्यूशंस के एमडी और सीईओ कमलेश शर्मा ने कहा, 'पहली बार जब मैंने पोलो देखा तो मुझे रोमांच हुआ. लगा कि यह खेल सबको देखना चाहिए. लेकिन अफसोस कि भारत में यह दिखाई ही नहीं देता.'
उनका मानना है कि पोलो का भविष्य दिखाई देने पर निर्भर है. अगर लोग इसे देखेंगे तो खेलने वाले भी बढ़ेंगे, दर्शक भी बढ़ेंगे.
एरीना पोलो- पोलो का टी20 अवतार
कर्नल काहलों का ध्यान इस वक्त एरीना पोलो पर है. यह तेज और छोटे मैदानों में खेला जाने वाला प्रारूप है, जिसे वे पोलो का 'टी20 संस्करण' कहते हैं. उन्होंने बताया, 'एरीना पोलो में कम जगह और कम घोड़ों की जरूरत होती है. इसलिए यह ज़्यादा व्यावहारिक और लोकप्रिय बनने की संभावना रखता है.'
पारंपरिक पोलो मैदान को 20–25 एकड़ जगह चाहिए, जबकि एरीना पोलो के लिए काफी कम. उन्होंने कहा, 'हमारी कोशिश है कि मौजूदा मैदानों की गुणवत्ता बेहतर करें और एरीना पोलो को बढ़ावा दें.'
एरीना पोलो दर्शकों के लिए भी ज्यादा अनुकूल है. यह लाइट्स में खेला जा सकता है, दर्शक स्टेडियम में बैठकर पॉपकॉर्न खाते हुए फुटबॉल या बास्केटबॉल की तरह मैच का मजा ले सकते हैं.
वर्तमान में चेन्नई, हैदराबाद, अहमदाबाद, भावनगर, चंडीगढ़, दिल्ली और जयपुर में एरीना पोलो क्लब सक्रिय हैं. इंडियन पोलो एसोसिएशन अब इस प्रारूप के और टूर्नामेंट जोड़ने की दिशा में काम कर रही है.
विरासत और विश्व के श्रेष्ठ खिलाड़ियों का संगम
फिलहाल सबकी निगाहें 25 अक्टूबर पर हैं, जब जयपुर पोलो ग्राउंड में 5 साल बाद फिर से अंतरराष्ट्रीय पोलो मुकाबला खेला जाएगा. यह आयोजन सिर्फ एक मैच नहीं, बल्कि भारत के पोलो पुनर्जागरण की दिशा में एक कदम है. राष्ट्रीय कोच कन्नवजीत सिंह संधू टीम के साथ तैयारी में जुटे हैं. कर्नल काहलों को उम्मीद है कि हम 2026 विश्व चैम्पियनशिप के फाइनल के लिए क्वालिफाई करेंगे.