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स्पीड की चौकड़ी: जोश, जुनून... और जीत की राह पर भारतीय रिले टीम

भारतीय रिले टीम के चार धावक- अम्लान बोरगोहेन, गुरिंदरवीर सिंह, मणिकांत हॉबलिधर और अनिमेष कुजूर... ने हाल ही में 4x100 मीटर रिले में 15 साल पुराना राष्ट्रीय रिकॉर्ड तोड़ा. उन्होंने 2025 नेशनल रिले कार्निवल, चंडीगढ़ में 38.69 सेकंड का समय निकाला.

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भारतीय रिले टीम. ( Photo- Reliance Foundation)
भारतीय रिले टीम. ( Photo- Reliance Foundation)

ओडिशा की एक उमस भरी रविवार शाम, पुरुषों की 100 मीटर दौड़ में चौथे नंबर पर आने के बाद लालू भोई उदास होकर मीडिया के सामने आए. इस स्थानीय खिलाड़ी को उम्मीद थी कि वह पदक जीतेंगे, लेकिन वह महज 0.04 सेकंड से चूक गए. उन्होंने पहले इंडियन कॉन्टिनेंटल टूर में 10.54 सेकंड का समय निकाला.

लालू ने कहा, 'यह हार उनके लिए दुनिया का अंत नहीं है. उनके आसपास ऐसे साथी हैं जो मुश्किल समय में हमेशा मदद के लिए खड़े रहते हैं. अम्लान, गुरिंदरवीर, मणिकांत- ये मुझे भाई की तरह मानते हैं. मेरा प्रदर्शन अच्छा है (निजी सर्वश्रेष्ठ 10.34), वे कहते हैं कि अगर हम एक-दूसरे को आगे नहीं बढ़ाएंगे, तो कौन करेगा? और वे वादा करते हैं कि मुझे भी टॉप लेवल तक पहुंचने में मदद करेंगे.'

ये बातें दर्शाती हैं कि रिलायंस फाउंडेशन के कोच जेम्स हिलियर और मार्टिन ओवेंस ने खिलाड़ियों में कैसी टीम भावना बनाई है. देश के शीर्ष चार धावक- अनिमेष कुजूर, गुरिंदरवीर सिंह, मणिकांत हॉबलिधर और अम्लान बोरगोहेन एक-दूसरे के रिकॉर्ड तोड़ते हुए भारत के सबसे तेज धावक बनने की दौड़ में हैं.

ट्रैक पर दोस्ती की मिसाल

स्प्रिंट एक बेहद कठिन खेल है. 10 सेकंड या उससे कम समय में पूरे शरीर को पूरी ताकत से इस्तेमाल करना पड़ता है. आमतौर पर ट्रैक पर दोस्ती कम ही देखने को मिलती है, लेकिन इन चारों की आपसी दोस्ती और तालमेल अद्भुत है. अलग-अलग ये हैं अनिमेष, गुरी, मणि और अम्लान, लेकिन साथ में ये बन जाते हैं "ब्रदर्स ऑफ डेस्ट्रक्शन".

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रिले में टीम केमिस्ट्री की अहमियत

इनकी दोस्ती ट्रैक के बाहर भी उतनी ही मजबूत है. यह रिश्ता रिलायंस फाउंडेशन के हाई-परफॉर्मेंस माहौल में पनपा है. भारतीय स्प्रिंट में ज्यादातर बड़ी उपलब्धियां व्यक्तिगत रही हैं, लेकिन इस चौकड़ी ने पहचान, लय और भरोसा साथ में बनाया है.

2025 नेशनल रिले कार्निवल, चंडीगढ़ में उन्होंने 2010 कॉमनवेल्थ गेम्स के 38.89 सेकंड के राष्ट्रीय रिकॉर्ड को तोड़ते हुए 38.69 सेकंड का समय निकाला.

कोच हिलियर, जो 4x100 मीटर टीम के डायरेक्टर हैं, कहते हैं- “रिले में सिर्फ तेज दौड़ना काफी नहीं है, बल्कि खिलाड़ियों का एक-दूसरे के साथ तालमेल जरूरी है. आपको पता होना चाहिए कि बैटन कब और कहां देना है.हम चाहते हैं कि खिलाड़ी एक-दूसरे को भी कोच करें.'

ओलंपिक में अमेरिका की पुरुष रिले टीम का सफर

  • 2004, एथेंस- बैटन पास करने में गड़बड़ी, ब्रिटेन के बाद सिल्वर से संतोष.

  • 2008, बीजिंग- बैटन गिरा, हीट से आगे नहीं बढ़ सके.

  • 2012, लंदन- फाइनल में दूसरा स्थान, लेकिन डोपिंग उल्लंघन के कारण डिसक्वालिफाई.

  • 2016, रियो-  बैटन पास में गलती, डिस्क्वालिफाई

  • 2021, टोक्यो- फिर से बैटन पास में गड़बड़ी, हीट में ही बाहर.

हालात इतने खराब हुए कि महान धावक कार्ल लुईस ने अमेरिकी सिस्टम बदलने की मांग कर दी.

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भारत में स्पीड क्रांति

भारत जैसे देश के लिए रिले में असफलता का मतलब सालों की मेहनत पर पानी फिरना है. इसलिए हिलियर कहते हैं- रिले में चार सबसे तेज धावक जरूरी नहीं, बल्कि चार ऐसे धावक जरूरी हैं जो साथ में सबसे तेज हों.

जब हिलियर 2019 में भारत आए, तो शीर्ष धावक 10.5 सेकंड में दौड़ते थे. तब 10.3–10.4 सेकंड को बड़ी उपलब्धि माना जाता था और 10.2 सेकंड पर राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनता था। अब हालात बदल गए हैं.

आज कई अनजाने धावक 10.2 सेकंड में दौड़ रहे हैं. प्रणव ने फेड कप जीता, जबकि उम्मीद थी कि रिलायंस के तीनों धावक टॉप-3 में रहेंगे.

हिलियर का मानना है कि जल्द ही कोई 10.1 सेकंड में दौड़ेगा. वे पहले भी कह चुके हैं कि नीरज चोपड़ा के आने से भारत में भाला फेंक में क्रांति आएगी, और अब कई भारतीय 80+ मीटर भाला फेंक रहे हैं. हाल ही में महाराष्ट्र के 20 वर्षीय शिवम लोहकरे ने इंडियन कॉन्टिनेंटल टूर में दूसरा स्थान हासिल किया.

अगर सब कुछ योजना के मुताबिक रहा तो “ब्रदर्स ऑफ डेस्ट्रक्शन”  2026 एशियाई खेलों में पदक के प्रबल दावेदार होंगे. उनका सर्वश्रेष्ठ समय (38.69 सेकंड) पिछले एशियाई खेलों में उन्हें कांस्य पदक दिला सकता था.

कोच मानते हैं कि उम्मीद बड़ी चीज है, लेकिन ध्यान लक्ष्य पर ही रखना चाहिए. चाहे पदक मिले या न मिले, इन चारों ने भारतीय एथलेटिक्स में टीम भावना और एक बेहतर सिस्टम की नींव रख दी है.
 

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रिपोर्ट: किंशुक कुसारी

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