एशिया कप 2025 के फाइनल में, जब तिलक वर्मा ने अपनी तूफानी पारी खेलकर भारत को चैम्पियन बनाया, तो क्रिकेट जगत में उनकी गूंज हर कोने में सुनाई दी. उस रात उनका बल्ला मानो सिर्फ जीत लिखने के लिए उठा हो...
एशिया कप फतह के बाद जब तिलक वर्मा हैदराबाद लौटे, तो उनके स्वागत के लिए फैन्स उमड़ पड़े. एयरपोर्ट से लेकर गलियों तक उनके प्रशंसकों का उत्साह देखने लायक था. क्रिकेटर की इस ऐतिहासिक सफलता पर परिवार, दोस्त और स्थानीय लोग सभी भावुक और गर्वित नजर आए. उनके उत्साह और ऊर्जा ने पूरे शहर को जीत के जश्न में डुबो दिया और तिलक की इस उपलब्धि को यादगार बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी गई. तिलक ने खुद इंस्टाग्राम पर इस अद्भुत पल का वीडियो शेयर किया.
ये तो थी मैदान के चैम्पियन की बात... लेकिन मैदान के बाहर भी यह युवा खिलाड़ी उतना ही निडर और जुनूनी है. दरअसल, तिलक ने ऐसा कारनामा किया है, जिसने साबित कर दिया कि वह सिर्फ क्रिकेटर नहीं, बल्कि जुनून, धैर्य और आत्म-अभिव्यक्ति का जीवंत प्रतीक हैं.
20 साल की उम्र में उन्होंने 7 दिनों में आर्म स्लीव टैटू बनवाकर दिखाया, जो उनके जुनून और खुद पर भरोसे की कहानी कहती है. ये टैटू उनकी आस्था, भावनाओं और रिश्तों का जीवंत कैनवास है. उन्होंने यह भी सिद्ध किया कि समर्पण और धैर्य से कोई भी लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है.
2022 में तिलक पहली बार बेंगलुरु के Aliens Tattoo Studio पहुंचे और अपने माता-पिता के पोर्ट्रेट टैटू बनवाए. वहीं उनकी नजर अवॉर्ड-विनिंग टैटू आर्टिस्ट सिद्धेश गवड़े के काम पर पड़ी. उस मुलाकात ने तिलक को इतना प्रेरित किया कि उन्होंने तय किया कि उनकी पूरी आर्म स्लीव सिर्फ सिद्धेश ही बनाएंगे.

7 दिनों में 6 प्रतीक: तिलक की टैटू स्लीव की गहरी कहानी
तिलक वर्मा की आर्म स्लीव केवल डिजाइन नहीं है, बल्कि उनकी जिंदगी, आस्था और आत्मविश्वास की जीवंत डायरी है. सात दिनों में पूरी हुई इस स्लीव में छह प्रमुख प्रतीक शामिल हैं, जिनमें हर एक का गहरा अर्थ और व्यक्तिगत जुड़ाव है.
1. भगवान शिव, स्थान: बाइसेप्स
भगवान शिव की छवि तिलक की आध्यात्मिकता और आस्था का प्रतीक है. शिव की मुद्रा और त्रिशूल जीवन में संतुलन, सर्जनात्मकता और विनाश के बीच सामंजस्य का संदेश देते है. यह टैटू तिलक की भीतरी शक्ति, धैर्य और आत्मनिरीक्षण को दिखाता है.
2. भगवान गणेश, स्थान: बांह के निचले भाग पर दूसरा पोर्ट्रेट
'प्रथमपूज्य' भगवान गणेश की छवि जीवन में हर चुनौती को पार करने और नई शुरुआत करने की प्रेरणा देती है. मैदान में हर कठिन गेंद का सामना करने जैसी उनकी मानसिकता को टैटू में दिखाया गया. यह उनके साहस और जुझारूपन का प्रतीक है.
3. ‘ॐ नमः शिवाय, स्थान: सीने पर
यह पवित्र मंत्र तिलक की आध्यात्मिक खोज और मानसिक स्थिरता का प्रतीक है. ‘ॐ नमः शिवाय’ का उच्चारण ऊर्जा और सकारात्मकता को दर्शाता है. टैटू में मंत्र को सुंदर, जटिल स्क्रिप्ट में उकेरा गया.
4. गुड़हल के फूल, स्थान: हाथ के अंदर की तरफ
लाल गुड़हल फूल भगवान गणेश को अर्पित किए जाते हैं. यह टैटू उनके आध्यात्मिक और सांस्कृतिक जुड़ाव को दर्शाता है. फूल जीवन में सौंदर्य, ऊर्जा और जीवंतता का प्रतीक हैं.
5. “Unwavering Self Trust” – खुद पर भरोसा और दृढ़ संकल्प
स्थान: हाथ के अंदरूनी हिस्से पर पहाड़ी नजारे के साथ
यह टैटू तिलक के खुद पर भरोसा और अडिग रहने की शक्ति को दर्शाता है. हर चुनौती में डटे रहने और खुद पर विश्वास रखने का संदेश देता है.
6. पालतू कुत्ता Trigger - स्थान: बाईं टांग पर
ट्रिगर- तिलक का पहला पालतू कुत्ता, उनके जीवन में मित्रता और नि:स्वार्थ प्रेम का प्रतीक है. दोनों के साथ-साथ चलने की छवि... क्योंकि यह तिलक की टांग पर अंकित है.
हर दिन 6-7 घंटे तक सुई की तीव्र चुभन सहते हुए भी तिलक वर्मा ने अपना हौसला नहीं खोया... अपने इरादे को अडिग रखा और अपने जुनून को पूरा किया. इस प्रक्रिया का एक झलक इस इंस्टाग्राम वीडियो में देखने को मिलती है, जहां उनके धैर्य, समर्पण और उत्साह का हर पल साफ झलकता है -
दर्द से दोस्ती
टैटू बनवाते समय उनकी बांह सूज गई, दर्द बढ़ गया, लेकिन तिलक ने हार नहीं मानी. उन्होंने थोड़े आराम के बाद फिर से स्टूडियो लौटकर अपने इरादों को पूरा किया.
स्टूडियो की टीम ने भी उनके इस जुनून को सलाम किया- कभी बातचीत में उन्हें व्यस्त रखा, तो कभी माहौल को हल्का-फुल्का बनाया. नतीजा यह रहा कि 7 दिनों की कठिन प्रक्रिया आखिरकार पूरी हुई और एक ऐसी टैटू स्लीव तैयार हुई, जो जितनी खूबसूरत है उतनी ही गहरी.