कभी टी20 क्रिकेट का बादशाह, फिर ‘मिस्टर 360’ कहे जाने वाले सूर्यकुमार यादव इन दिनों एक अजीब मोड़ पर खड़े हैं. पिछले कुछ समय से रन बनाने के लिए जूझ रहे भारतीय कप्तान सूर्यकुमार पर बुधवार को कैनबरा में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मौजूदा सीरीज के पहले टी20 इंटरनेशनल मैच में फॉर्म में लौटने का दबाव रहेगा..
कप्तानी मिली है, सुर्खियां हैं, लेकिन बल्ला खामोश है. मैदान के बाहर उनकी बातों में ठसक है, पर क्रीज पर वो आत्मविश्वास नजर नहीं आता. भारत ने एशिया कप जीता, पाकिस्तान को तीन बार हराया, लेकिन चर्चा उनके रनों से ज्यादा ‘हैंडशेक-गेट’, चुटीले जवाबों और फोटो-फ्रेंडली इमेज को लेकर रही. सवाल यह है - टीम इंडिया को कप्तान चाहिए या रन-मशीन?
कप्तान बने... पर बल्ला तो खामोश रहा
जब से सूर्या ने टी20 टीम की कमान रोहित शर्मा से संभाली है, मैदान पर उनका जोश तो बरकरार है, पर उनकी बल्लेबाजी में जान नहीं दिख रही. एशिया कप के दौरान उन्होंने अपनी ‘फील्ड प्रेसेंस’ से जितना ध्यान खींचा, बल्ले से उतना असर नहीं छोड़ पाए. पाकिस्तान कप्तान सलमान अली आगा से हाथ न मिलाने से लेकर लगातार इंटरव्यू में खुद को 'रोहित की तरह' पेश करने तक... सूर्या ने चर्चा तो खूब बटोरी, पर रनों की चर्चा गायब रही.
अंकड़ों की कहानी- कप्तान की गिरती चाल
कप्तान बनने के बाद सूर्या की बल्लेबाजी का ग्राफ नीचे ही गया है. इस साल अब तक 11 पारियों में उनके बल्ले से 105.26 के स्ट्राइक रेट से सिर्फ 100 रन निकले है. जबकि पूर्णकालिक कप्तान के तौर पर पूरे कार्यकाल में उनके खाते में अब तक 20 पारियों से महज 330 रन (58, 26, 8, 29, 8, 75, 21, 4, 1, 0, 12, 14, 0, 2, 7*, 47*, 0, 5, 12, 1) आए हैं . एक ऐसे खिलाड़ी से जिसने कभी हर गेंदबाजी लाइन-अप को ध्वस्त किया था, यह आंकड़े हैरान करते हैं.
सूर्यकुमार यादव टी20 इंटरनेशल में लगातार 14 पारियों से अर्धशतक नहीं बना पाए हैं. यह उनके करियर का सबसे लंबा 'ड्राई स्पेल' है.
IPL 2025 में मुंबई इंडियंस के लिए उनका बल्ला जरूर चला- 16 पारियों में 717 रन, 65.18 का एवरेज और 167.91 का स्ट्राइक रेट, लेकिन अब खेल फ्रेंचाइजी का नहीं- देश की जिम्मेदारी का है. यहां भावनाएं ज्यादा, मौके कम हैं.
टीम मैनेजमेंट का भरोसा, लेकिन कब तक?
चयन समिति प्रमुख अजीत अगरकर और कोच गौतम गंभीर ने सूर्या के प्रति भरोसा जताया है. सूत्रों के मुताबिक, उन्हें 2026 वर्ल्ड कप तक समर्थन मिला है. गंभीर ने कहा, 'सूर्या की फॉर्म की चिंता नहीं. हमने टीम में अल्ट्रा-अग्रेसिव स्टाइल अपनाया है, इसमें असफल होना भी मंजूर है.' लेकिन ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ शुरू हो रही 5 मैचों की टी20 सीरीज सूर्या के लिए निर्णायक साबित हो सकती है.
तकनीकी कमजोरियां और मानसिक दबाव
एशिया कप में सूर्या बार-बार एक ही गलती दोहराते दिखे- जल्दी शॉट तय कर लेना, स्वीप या फ्लिक में फंसना और अपनी नेचुरल टाइमिंग खो देना. दुबई की धीमी पिचों के बाद अब ऑस्ट्रेलिया की उछाल भरी पिच उनके धैर्य की परीक्षा लेंगी. पाकिस्तान के खिलाफ नाबाद 47 रनों की नाबाद पारी को छोड़ दें, तो बाकी स्कोरलाइन कमजोर रही.
‘मैं आउट ऑफ फॉर्म नहीं, आउट ऑफ रन हूं’
एशिया कप फाइनल के बाद जब सूर्या से फॉर्म पर सवाल पूछा गया, तो उन्होंने मुस्कराकर कहा, 'मैं आउट ऑफ फॉर्म नहीं, आउट ऑफ रन हूं.' लेकिन अब यह लाइन भी उतनी ही खोखली लगने लगी है जितनी उनकी हालिया पारियां.
भारत को अब कप्तान से ‘कोट्स’ नहीं, कवर ड्राइव चाहिए, प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं, पॉवर हिटिंग चाहिए.
अगले साल टी20 वर्ल्ड कप है... और अगर सूर्या का बल्ला नहीं बोला, तो शायद कप्तानी भी चुपचाप हाथ से निकल जाए.. टीम इंडिया को अब अपने कप्तान से सिर्फ एक चीज चाहिए और वह है- रनों की आवाज.