scorecardresearch
 

कभी 'चोकर्स' कहलाई, अब ‘फाइटर्स’ की तरह लड़ी... नई पहचान लेकर लौटी साउथ अफ्रीकी टीम

दक्षिण अफ्रीका ने तीन बार वर्ल्ड कप फाइनल तक पहुंचने का कारनामा किया- दो बार टी20 वर्ल्ड कप में और अब पहली बार वनडे वर्ल्ड कप में- लेकिन हर बार टीम खिताब जीतने से चूक गई. हालांकि इस बार फर्क था... हार में निराशा नहीं, गर्व झलक रहा था.

Advertisement
X
साउथ अफ्रीकी टीम अब हर नाकामी के बाद और मजबूत होकर लौटी है... (Photo PTI)
साउथ अफ्रीकी टीम अब हर नाकामी के बाद और मजबूत होकर लौटी है... (Photo PTI)

कभी यह टीम बड़े मौकों पर बिखर जाती थी, 'चोकर्स' का टैग जैसे उनकी जर्सी का हिस्सा बन गया था. लेकिन अब वही दक्षिण अफ्रीका हर हार के बाद और मजबूत होकर लौट रही है. 2023 में टी20 वर्ल्ड कप फाइनल, फिर 2024 में एक और फाइनल, और अब 2025 में वनडे वर्ल्ड कप- तीनों में मंजिल हाथ से फिसली, मगर इस बार फर्क था. इस बार हार में निराशा नहीं, गर्व झलक रहा था.

2023 में जब दक्षिण अफ्रीकी टीम पहली बार टी20 वर्ल्ड कप फाइनल में पहुंचा थी, तब वे बस इस सफर का हिस्सा बनकर ही खुश थीं. अगले साल उन्होंने ऑस्ट्रेलिया को हराकर फाइनल तक का रास्ता बनाया, लेकिन थक चुकी थीं और अब तीसरी बार, लेकिन पहली बार वनडे वर्ल्ड कप फाइनल में- सब कुछ सही लग रहा था, मानो इस बार किस्मत साथ देगी. मगर मंजिल एक बार फिर हाथ से फिसल गई.

याद रखने वाली बात यही है कि वे हारीं, लेकिन हारी हुई नहीं थीं... उन्होंने खुद को शर्मसार नहीं किया, न ही किसी दबाव में ढह गईं. उन्होंने बस एक बेहतर टीम से मुकाबला किया- एक ऐसी टीम से, जो अपने ‘नियति वाले दिन’ का इंतजार कर रही थी, खेल में कभी-कभी यही होता है.

... लेकिन हार के उस पल ने दिल तोड़ दिया

Advertisement

मारिजाने कैप- शायद अपने आखिरी वर्ल्ड कप में.... डगआउट में बैठी थीं, आंखों में आंसू और कंधे पर रखे किसी के दिलासा भरे हाथ को अनदेखा करती हुईं. लॉरा वोलवार्ट और नादिन डीक्लर्क पास-पास बैठी थीं, चेहरे पर सदमे की लकीरें, जबकि मुस्कान दिखाने की कोशिश जारी थी. ताजमिन ब्रिट्स अकेली बैठी थीं, निगाहें कहीं नहीं, बस ‘क्या होता अगर…’ जैसे सवालों में खोईं.

वोलवार्ट का जिक्र अलग से होना चाहिए -

वह किसी भी एक वनडे वर्ल्ड कप संस्करण में सबसे ज्यादा रन बनाने वाली बल्लेबाज बन चुकी हैं और कुल वर्ल्ड कप इतिहास में दूसरे नंबर पर हैं. सेमीफाइनल और फाइनल में शतक, पूरे टूर्नामेंट में 8 कैच और कप्तान के रूप में लगातार निखरता आत्मविश्वास — शायद वह इस सबके बदले एक ट्रॉफी की हकदार थीं. मगर खेल कभी-कभी निर्दयी होता है.

कप्तान वोलवार्ट हार को गरिमा से स्वीकार करती हैं. उन्होंने कहा, 'आज हमें आउटप्ले किया गया, लेकिन हम इस पूरे टूर्नामेंट को याद रखेंगे, क्योंकि इसमें बहुत कुछ अच्छा रहा.'

उन्होंने याद दिलाया कि टीम ने एक समय 5 मैच लगातार जीते- जो इस ग्रुप के लिए बड़ी बात थी. हम बस लगातार प्रदर्शन की तलाश में हैं, जो हमें अक्सर द्विपक्षीय सीरीज में नहीं मिलती. इस बार हमने साबित किया कि बड़े टूर्नामेंट में हम खुद को ऊपर उठा सकते हैं

Advertisement

यह वही टीम थी, जिसने टूर्नामेंट से पहले खेले गए 13 वनडे में सिर्फ 6 जीते थे. इंग्लैंड से सीरीज हारी थी और भारत व श्रीलंका के साथ त्रिकोणीय सीरीज के फाइनल में जगह नहीं बना पाई थी. लेकिन उसी टीम ने ग्रुप स्टेज में भारत और श्रीलंका दोनों को हराया और इंग्लैंड के खिलाफ 69 पर ऑलआउट होने के बाद सेमीफाइनल में 125 रनों से जीत हासिल की.

गलतियों से उबरना और आगे बढ़ना....

कोच मंडला मशिंबयी, जो सिर्फ दस महीने पहले पद संभाल चुके हैं, ने कहा, 'हम सीखते हुए बढ़ रहे हैं. जब किसी ने हमें मौका नहीं दिया, हमने खुद को दिया. टीम की यह प्रगति देखना मेरे लिए विनम्र अनुभव है.' वोलवार्ट ने भी कहा कि अलग-अलग मैचों में अलग खिलाड़ियों ने जिम्मेदारी उठाई.

उपमहाद्वीप की परिस्थितियों में स्पिन के खिलाफ खेलना और हमारे गेंदबाजों का प्रदर्शन, दोनों गर्व का विषय रहे. हमारे सीमर्स ने यहां शानदार गेंदबाजी की.

फिर भी, इस हार के बीच एक रोशनी है

2023 से अब तक यह टीम लगातार इतिहास रच रही है- पहली बार किसी सीनियर दक्षिण अफ्रीकी टीम ने वर्ल्ड कप फाइनल खेला था.अब वे वहां तक पहुंचने की आदत डाल चुकी हैं, जीतना अभी बाकी है. लेकिन अब जब दक्षिण अफ्रीकी टीम फाइनल तक पहुंचना सीख गई है, सवाल ये है- ट्रॉफी कब जीतेगी टीम? अभी जवाब बस इतना है- इस बार नहीं.

Advertisement

---- समाप्त ----
Live TV

Advertisement
Advertisement