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जब टीम इंडिया के दो बल्लेबाजों ने थामी नई गेंद, इंग्लैंड के खिलाफ गावस्कर-सोलकर ने की गेंदबाजी की ओपन‍िंंग

भारतीय क्रिकेट के इतिहास में 51 साल पहले आज ही का दिन (17 जनवरी) था, जब इंग्लैंड को चेन्नई टेस्ट में 4 विकेट से करारी शिकस्त दी थी. इस जीत से हटकर मैच में कुछ ऐसी बातें हुईं, जो काफी खास रहीं...

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Eknath Solkar and Sunil Gavaskar (File- Getty)
Eknath Solkar and Sunil Gavaskar (File- Getty)

Gavaskar and Solkar open with the ball: भारतीय क्रिकेट के इतिहास में 51 साल पहले आज ही का दिन (17 जनवरी, 1973) था, जब उसने इंग्लैंड को चेन्नई टेस्ट (तत्कालीन मद्रास)  में 4 विकेट से करारी शिकस्त दी थी. यह जीत तो खास थी ही, लेकिन इससे भी हटकर मैच में कुछ ऐसी बातें हुईं, जो दिलस्चस्प रहीं. 

उस टेस्ट में ऐसा पहली बार हुआ था, जब भारतीय गेंदबाजी की शुरुआत एकनाथ सोल्कर और सुनील गावस्कर ने की थी. खास बात यह थी कि दोनों स्पेशलिस्ट बॉलर नहीं थे. इस टेस्ट के शुरुआती 3 ओवर इन दोनों ने ही किए थे. पहला ओवर बाएं हाथ के गेंदबाज एकनाथ सोल्कर ने डाला था (सोलकर मध्यम गति और स्पिन दोनों तरह की गेंदें डालते थे), जबकि दूसरे छोर से सुनील गावस्कर को लगाया गया था. हालांकि गावस्कर भी स्पेशलिस्ट बॉलर नहीं थे, वह दाएं हाथ से मध्यम और स्पिन गेंदें करते थे.

मैच में सोलकर-गावस्कर ने 5 ओवर डाले

तब भारतीय टीम के कप्तान अजीत वाडेकर ने एकनाथ और गावस्कर से पूरे टेस्ट में सिर्फ 5 ओवर गेंदबाजी ही कराई थी. दोनों को कोई विकेट नहीं मिला था. पहली पारी में एकनाथ ने दो ओवर में 13 रन और गावस्कर ने एक ओवर गेंदबाजी करते हुए 6 रन दिए थे. दूसरी पारी में भी कप्तान वाडेकर ने एकनाथ से ही बॉलिंग की शुरुआत कराई थी और तब उन्होंने दो ओवर किए और कोई रन नहीं दिया था.

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इस टेस्ट में भगवत चंद्रशेखर ने 7 विकेट, इरापल्ली प्रसन्ना ने 6 विकेट और बिशन सिंह बेदी ने 6 विकेट निकाले थे. सलीम दुर्रानी ने दूसरी पारी में एक विकेट झटका था. एकनाथ और गावस्कर को मैच में कोई विकेट नहीं मिला था. एकनाथ ने पूरे टेस्ट करियर में 1070 रन देकर 18 विकेट झटके, जबकि गावस्कर ने 206 रन देकर सिर्फ 1 ही विकेट लिया.

इस टेस्ट से हुई थी नवाब पटौदी की वापसी

इस टेस्ट में एक खास बात यह भी थी कि करीब 3 साल बाद मंसूर अली खान की वापसी हुई थी. वे जूनियर नवाब पटौदी के नाम से फेमस हैं. इससे पहले नवाब पटौदी ने दिसंबर 1969 में टेस्ट खेला था, तब वह भारत के कप्तान थे. इसके बाद भारत सरकार ने उनका शाही खिताब (पटौदी) छीन लिया था. आखिरकार करीब 3 साल बाद क्रिकेट में उनकी वापसी हुई थी.

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