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ML Jaisimha : जब इस स्टाइलिश क्रिकेटर ने ब्रिस्बेन में किया धमाका, जीत की दहलीज पर पहुंची थी भारतीय टीम

1959-1971 के दौरान भारत के लिए 39 टेस्ट खेल चुके एमएल जयसिम्हा की बल्लेबाजी शैली सुर्खियों में रही थी. टाई बांधने का उनका वो अंदाज... मैदान पर कवर ड्राइव लगाने की उनकी शैली के क्या कहने.

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M L Jaisimha (Getty)
M L Jaisimha (Getty)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • एमएल जयसिम्हा ने 39 टेस्ट मैचों भारत का प्रतिनिधित्व किया था
  • 1968 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ ब्रिस्बेन टेस्ट में की थी यादगार बल्लेबाजी

1959-1971 के दौरान भारत के लिए 39 टेस्ट खेल चुके एमएल जयसिम्हा की बल्लेबाजी शैली सुर्खियों में रही थी. टाई बांधने का उनका वो अंदाज... मैदान पर कवर ड्राइव लगाने की उनकी शैली के क्या कहने. विनम्रता, गर्मजोशी और उदारता के लिए वह हैदराबाद के कई क्रिकेटरों के लिए एक बड़ी प्रेरणा थे, जिनमें मोहम्मद अजहरुद्दीन भी शामिल थे, जिन्होंने जय की कई चीजों की नकल की थी.

जससिम्हा ने आज ही के दिन (24 जनवरी, 1968) खत्म हुए ब्रिस्बेन टेस्ट में अपनी बल्लेबाजी से भारत को जीत की दहलीज पर ला खड़ा किया था. दरअसल, 1967-68 के ऑस्ट्रेलिया दौरे के शुरुआती दोनों टेस्ट (एडिलेड और मेलबर्न) गंवाने के बाद उन्हें रिप्लेसमेंट के तौर पर गाबा में खेले गए तीसरे टेस्ट में शामिल किया गया था. उन्होंने इस मौके को भुनाया और दोनों पारियों में उम्दा बल्लेबाजी की. 

भारत को ब्रिस्बेन टेस्ट में जीत के लिए 395 रनों का लक्ष्य मिला था. छठे नंबर पर उतरे जयसिम्हा ने शतकीय प्रहार कर भारत को जीत की ओर ले जा रहे थे. लेकिन टीम 355 रनों पर आउट हो गई और ऑस्ट्रेलिया ने 39 रनों से यह गाबा टेस्ट जीत लिया. जयसिम्हा 101 रन बनाकर आउट होने वाले आखिरी बल्लेबाज थे. भारत ने भले ही इस टेस्ट को गंवा दिया, लेकिन जयसिम्हा ने अपनी बल्लेबाजी (74 और 101 रन) से सुर्खियां बटोरीं, हालांकि भारत जीत से वंचित रहा. 

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आखिरकार इसके 53 साल बाद 2021 में पहली बार गाबा में टेस्ट जीत की मिली. जब अजिंक्य रहाणे की कप्तानी में टीम ने ब्रिस्बेन में जीत का परचम लहराया. भारत ने 328 रनों का लक्ष्य 7 विकेट खोकर हासिल किया. तब ऋषभ पंत (नाबाद 89 रन) ने भारत को जीत तक पहुंचाया था. 

महान बल्लेबाज सुनील गावस्कर भी जसिम्हा से बहुत ज्यादा प्रभावित थे और उन्हें अपना हीरो मानते थे. गावस्कर ने तो अपने बेटे रोहन को शुरुआत में 'रोहन जयविश्वा' नाम दिया था. गावस्कर ने यह नाम अपने तीन फेवरेट खिलाड़ियों को जोड़कर बनाया था, जिसमें रोहन कन्हाई, एमएल जयसिम्हा और गुंडप्पा विश्वनाथ जुड़े हुए थे.

...फेमस हुआ उठे हुए कॉलर वाला लुक 

मजे की बात है कि जयसिम्हा के कलाई के स्ट्रोकप्ले को मोहम्मद अजहरुद्दीन और वीवीएस लक्ष्मण जैसे योग्य उत्तराधिकारी मिले. और अजहरुद्दीन ने तो बाद में भी जयसिम्हा के उठे हुए कॉलर को अपने स्टाइल में शामिल कर लिया. हालांकि इस बारे में अजहरुद्दीन का कुछ और ही कहना है.

दरअसल, आज की पीढ़ी उठे हुए कॉलर वाले लुक को मोहम्मद अजहरुद्दीन का अपना खास स्टाइल मानती हो, लेकिन इसके पीछे की कहानी कुछ और ही है. अजहर से पहले हैदराबाद के ही मशहूर क्रिकेटर एमएल जयसिम्हा को चढ़े हुए कॉलर के साथ क्रिकेट खेलते देखा जा चुका था.

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2016 में एक इंटरव्यू के दौरान जब अजहरुद्दीन से कॉलर चढ़ाकर मैदान पर उतरने के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा था, 'प्वाइंट पर फील्डिंग करने के दौरान धूप लगने से मेरी गर्दन की त्वचा में समस्या होती थी. इसलिए मैंने खुद को इससे बचाने के लिए कॉलर को उठाने का फैसला किया जो बाद में आदत बन गई.'

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