इंग्लैंड के खिलाफ लीड्स टेस्ट की पहली पारी में भारतीय टीम ने 417 रन बनाए. कप्तान शुभमन गिल ने सबसे ज्यादा 147 रनों का योगदान दिया. वहीं सलामी बल्लेबाज यशस्वी जायसवाल (101) और टीम के उप-कप्तान ऋषभ पंत (134 रन) भी शतकीय प्रहार करने में सफल रहे. भारतीय टीम के बड़े स्कोर का जवाब इंग्लिश टीम ने भी शानदार ढंग से दिया है. दूसरे दिन (21 जून) जब स्टम्प की घोषणा हुई, उस वक्त इंग्लैंड का स्कोर पहली पारी में तीन विकेट के नुकसान पर 209 रन था. ओली पोप 100 और हैरी ब्रूक बिना खाता खोले नॉटआउट थे.
अगर खेल के दूसरे दिन भारतीय खिलाड़ियों कैच नहीं टपकाए होते, तो मेहमान टीम की स्थिति मजबूत होती. जब बेन डकेट 15 रनों पर खेल रहे थे तो पहले यशस्वी जायसवाल और फिर रवींद्र जडेजा ने उनका कैच टपकाया. डकेट ने उन 2 जीवनदानों के बाद 47 रन और जोड़े. डकेट और ओली पोप के बीच 122 रनों की पार्टनरशिप हुई. फिर यशस्वी जायसवाल ने 31वें ओवर की आखिरी गेंद पर ओली पोप का भी कैच ड्रॉप कर दिया. पोप उस समय 60 रनों पर थे.
भारतीय टीम की खराब फील्डिंग से महान बल्लेबाज सुनील गावस्कर काफी खफा नजर आए. गावस्कर ने कहा कि इस मैच के बाद भारतीय खिलाड़ी को फील्डिंग मेडल नहीं देना चाहिए. बता दें कि भारतीय टीम के फील्डिंग कोच टी. दिलीप ने 'बेस्ट फील्डर मेडल' देने का रिवाज शुरू किया. यह मेडल मैच में बतौर फील्डर सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले भारतीय खिलाड़ी को मिलता है.
सुनील गावस्कर ने दूसरे दिन के खेल की समाप्ति के बाद कहा, 'मुझे नहीं लगता कि इस बार कोई मेडल दिया जाएगा. टी. दिलीप मैच के बाद मेडल देते हैं. यह सच में काफी निराशाजनक था. यशस्वी जायसवाल बहुत अच्छे फील्डर हैं, लेकिन इस बार वह एक भी कैच पकड़ नहीं पाए.'
भारतीय टीम के बैटिंग कोच सितांशु कोटक भी मैदान पर खिलाड़ियों के प्रदर्शन से नाखुश दिखे. कोटक ने मैच के बाद कहा, 'छोड़े गए कैच और वो नो-बॉल वाकई निराशाजनक थे. आम तौर पर हमारी फील्डिंग काफी अच्छी होती है. बतौर सपोर्ट स्टाफ और एक टीम के रूप में हम इसे बुरा दिन कहेंगे. ये हमारी आदत नहीं है. कुल मिलाकर हमने अच्छी गेंदबाजी की, बस कुछ ओवर थोड़े खराब रहे. पिच में थोड़ी बहुत मदद थी और हमने उसका पूरा फायदा उठाने की कोशिश की.'