भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अपने महत्वाकांक्षी SpaDeX मिशन के लॉन्च वाहन को सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा के पहले लॉन्च पैड पर पहुंचा दिया है. ISRO ने शनिवार को इस बात की पुष्टि की. SpaDeX मिशन का उद्देश्य अंतरिक्ष में डॉकिंग और अनडॉकिंग तकनीक को विकसित और प्रदर्शित करना है. इसके अलावा यह मिशन अन्य महत्वपूर्ण तकनीकों को भी टेस्ट करेगा. ISRO ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर बताया, 'लॉन्च वाहन को इंटीग्रेट कर लिया गया है और अब इसे पहले लॉन्च पैड पर भेज दिया गया है. यहां सैटेलाइट्स की और इंटीग्रेशन और लॉन्च की तैयारी की जाएगी.'
क्या है SpaDeX मिशन?
SpaDeX (Space Docking Experiment) मिशन ISRO का एक कम लागत वाला तकनीकी मिशन है. इसका उद्देश्य PSLV रॉकेट की मदद से अंतरिक्ष में दो छोटे यानों के डॉकिंग और अनडॉकिंग की प्रक्रिया को पूरा करना है. ISRO के अनुसार यह तकनीक भारत के भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों जैसे चांद पर इंसानी मिशन, चंद्रमा से नमूने लाना, और भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (BAS) के निर्माण और संचालन के लिए बेहद अहम है.
ISRO ने बताया कि यह तकनीक तब जरूरी होती है जब एक ही मिशन के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए कई रॉकेट लॉन्च की जरूरत पड़ती है. अगर यह मिशन सफल होता है, तो भारत दुनिया का चौथा देश बन जाएगा, जो इस तकनीक को हासिल कर चुका है.
मिशन की तैयारी
ISRO ने हाल ही में 9 दिसंबर को PSLV-C59/Probas-3 मिशन को सफलतापूर्वक लॉन्च किया था. ISRO के अध्यक्ष और अंतरिक्ष विभाग के सचिव एस सोमनाथ ने कहा था कि इसी महीने PSLV-C60 के जरिए SpaDeX मिशन लॉन्च किया जाएगा. उन्होंने कहा, 'यह मिशन अंतरिक्ष डॉकिंग के परीक्षण को प्रदर्शित करेगा. रॉकेट तैयार है और दिसंबर में ही इसे लॉन्च करने की तैयारी की जा रही है.'
कैसे काम करेगा SpaDeX?
SpaDeX मिशन के तहत PSLV-C60 रॉकेट के जरिए 220 किलोग्राम वजन वाले दो छोटे यान, SDX01 (चेसर) और SDX02 (टारगेट), को 470 किलोमीटर की गोलाकार कक्षा में भेजा जाएगा. ये यान स्वतंत्र रूप से लॉन्च होंगे और 55 डिग्री के झुकाव के साथ 66 दिनों के लोकल टाइम सर्कल में परिक्रमा करेंगे.
SpaDeX मिशन का मकसद इन दोनों यानों के बीच रॉन्डिवू, डॉकिंग और अनडॉकिंग की प्रक्रियाओं को सफलतापूर्वक अंजाम देना है. यह भारत के अंतरिक्ष इतिहास में एक बड़ी उपलब्धि होगी और भविष्य के अभियानों के लिए रास्ता तैयार करेगा.
क्यों है जरूरी SPADEX मिशन?
अंतरिक्ष में दो अलग-अलग चीजों को जोड़ने की ये तकनीक ही भारत को अपना स्पेस स्टेशन बनाने में मदद करेगी. साथ ही चंद्रयान-4 प्रोजेक्ट में भी हेल्प करेगी. स्पेडेक्स यानी एक ही सैटेलाइट के दो हिस्से होंगे. इन्हें एक ही रॉकेट में रखकर लॉन्च किया जाएगा. अंतरिक्ष में ये दोनों अलग-अलग जगहों पर छोड़े जाएंगे. भविष्य में इसी तकनीक के आधार पर भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन भी बनाया जाएगा.