फारस की खाड़ी में एक नया बरमूडा ट्राएंगल सामने आया है, जहां जीपीएस सिग्नल में अजीब तरह की गड़बड़ी हो रही है. इससे जहाजों और विमानों की नेविगेशन सुरक्षा को खतरा हो सकता है. ये दावा यूके मैरीटाइम ट्रेड ऑपरेशंस (UKMTO) ने किया है. संस्था ने कहा कि इस समय यहां जहाजों और विमानों को बैकअप मेथड अपनाना पड़ रहा है.
UKMTO ने कहा कि फारस की खाड़ी में होरमुज जलडमरूमध्य में जीपीएस में गड़बड़ी की खबरें मिली हैं. इससे जहाजों के नेविगेशन सिस्टम पर असर पड़ा है. अगर आपके जहाज के जीपीएस या अन्य नेविगेशन सिस्टम में समस्या आती है, तो कृपया यूके एमटीओ वॉचकीपर्स से संपर्क करें.
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नेविगेशन सिस्टम में 14 मार्च और 4 अप्रैल को गड़बड़ी कई घंटों तक रही, जिससे जहाजों को बैकअप तरीकों का इस्तेमाल करना पड़ा. ये इलाका बंदर अब्बास नाम के ईरानी बंदरगाह के नजदीक है, जहां एक बड़ा नौसैनिक अड्डा है. इसी बीच, सोशल मीडिया पर अटकलें लगाई जा रही हैं कि फारस की खाड़ी के ऊपर अमेरिकी सैन्य विमानों को जीपीएस ब्लॉकिंग का सामना करना पड़ा है.
ईरान ने तैनात किए इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर
कुछ लोगों का कहना है कि ईरान पर आरोप है कि वह अपनी इलेक्ट्रॉनिक युद्ध क्षमताओं का उपयोग करके जीपीएस और संचार सिग्नलों को जाम कर रहा है. मध्य पूर्व में तनाव बढ़ रहा है. ईरान ने फारस की खाड़ी और होरमुज जलडमरूमध्य में अमेरिकी सैन्य विमानों और जहाजों के खिलाफ जीपीएस और संचार जैमिंग का उपयोग शुरू किया है. इससे पता चलता है कि ईरान अब अमेरिकी सेना का सीधे सामना करने को तैयार है.
अमेरिकी रक्षा अधिकारियों का कहना है कि ईरान ने जमीन पर ऐसे सिस्टम लगाए हैं जो उपग्रह नेविगेशन और संचार सिग्नलों में बाधा डाल सकते हैं. इससे अमेरिकी वायु सेना के निगरानी विमानों पर असर पड़ रहा है, जिनमें कुछ खास तरह के विमान और ड्रोन शामिल हैं. ये विमान जीपीएस सिग्नलों और सुरक्षित डेटा लिंक के बिना ठीक से काम नहीं कर सकते.
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कहां हो रहा असर
- अमेरिकी वायु सेना के निगरानी विमानों की क्षमता प्रभावित
- जीपीएस सिग्नलों और संचार लिंक में बाधा
- विवादित हवाई क्षेत्र में संचालन में कठिनाई
ईरान ने इलेक्ट्रॉनिक युद्ध क्षमताओं को बढ़ाया
ईरान ने अपनी इलेक्ट्रॉनिक युद्ध क्षमताओं को बढ़ाने के लिए जमीन-आधारित जैमिंग सिस्टम विकसित किए हैं. ये सिस्टम उपग्रह नेविगेशन और संचार सिग्नलों में बाधा डालने में सक्षम हैं. अमेरिकी रक्षा अधिकारियों ने इस गतिविधि को चिंताजनक बताया है और इसके प्रभावों को कम करने के लिए कदम उठा रहे हैं.
ईरान ने होरमुज जलडमरूमध्य में जीपीएस सिग्नलों को बाधित करने के लिए जैमिंग ऑपरेशन शुरू किया है, जहां दुनिया का 20% से अधिक तेल गुजरता है. इससे सैन्य और नागरिक जहाजों दोनों के लिए सुरक्षा जोखिम बढ़ जाता है, जिसमें नेविगेशन समस्याएं, टकराव और गलत संचार शामिल हैं.
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2011 में भी ऐसा हुआ था
ईरान ने पहले भी अमेरिकी वायु श्रेष्ठता को चुनौती देने के लिए इलेक्ट्रॉनिक युद्ध का उपयोग किया है. 2011 में, ईरान ने एक अमेरिकी स्टेल्थ ड्रोन को पकड़ लिया था. हाल ही में, अमेरिकी नौसेना के जहाजों और ड्रोन ने ईरानी समुद्री क्षेत्रों के पास जीपीएस हस्तक्षेप का अनुभव किया है. ईरान अपनी युद्ध रणनीति के हिस्से के रूप में कम लागत वाले उपकरणों का उपयोग करके पश्चिमी प्रणालियों में कमजोरियों का फायदा उठाने की कोशिश करता है.
क्या होता है बरमुडा ट्रांएगल में?
बरमुडा ट्रांएगल एक ऐसा क्षेत्र है जो उत्तरी अटलांटिक महासागर में स्थित है, जहां कई रहस्यमय और असामान्य घटनाएं हुई हैं. इस क्षेत्र में कई विमान और जहाज गायब हो गए. इसके पीछे के कारणों के बारे में कई सिद्धांत हैं.
बरमुडा ट्रांएगल की सीमाएं फ्लोरिडा, बरमुडा और प्यूर्टो रिको के बीच हैं. इस क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण जलमार्ग हैं, जिनमें से एक है गल्फ स्ट्रीम, जो एक गर्म जलधारा है जो उत्तर की ओर बहती है.
बरमुडा ट्रांएगल में होने वाली घटनाओं के बारे में कई सिद्धांत हैं, जिनमें से कुछ हैं:
1. चुंबकीय असामान्यता: कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि इस क्षेत्र में एक चुंबकीय असामान्यता है, जो कंपास और अन्य नेविगेशन उपकरणों को प्रभावित कर सकती है.
2. मीथेन गैस: कुछ शोधकर्ताओं का मानना है कि इस क्षेत्र में मीथेन गैस के भंडार हैं, जो जहाजों और विमानों को नुकसान पहुंचा सकते हैं.
3. मानव त्रुटि: कई विशेषज्ञों का मानना है कि बरमुडा ट्रांएगल में होने वाली घटनाओं के पीछे मानव त्रुटि एक प्रमुख कारण है, जैसे कि नेविगेशन की गलतियां या उपकरणों की खराबी.
4. प्राकृतिक आपदाएं: इस क्षेत्र में कई प्राकृतिक आपदाएं आती हैं, जैसे कि तूफान, भूकंप और सुनामी, जो जहाजों और विमानों को नुकसान पहुंचा सकती हैं.