गंभीर डिप्रेशन से पीड़ित एक व्यक्ति ने 30 साल बाद पहली बार खुशी का अनुभव किया है. यह संभव हुआ एक विशेष मस्तिष्क पेसमेकर उपकरण से, जो उसके मस्तिष्क के विभिन्न हिस्सों को सक्रिय करता है. मिनेसोटा विश्वविद्यालय के डेमियन फेयर ने कहा कि उसने वर्षों बाद पहली बार खुशी महसूस की.
यह 44 वर्षीय व्यक्ति, जिसका नाम टॉम है, 13 वर्ष की उम्र से अवसाद से जूझ रहा था. 20 तरीकों से अधिक उपचारों के बावजूद कोई स्थायी राहत नहीं मिली थी. लेकिन इस नई तकनीक ने डिप्रेशन के इलाज में एक क्रांतिकारी कदम है, जो पारंपरिक तरीकों की सीमाओं को पार करती है.
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डिप्रेशन का इलाज: पारंपरिक तरीकों की चुनौतियां
डिप्रेशन एक आम मानसिक स्वास्थ्य समस्या है, जो दुनिया भर में लाखों लोगों को प्रभावित करती है. अधिकांश मामलों में एंटीडिप्रेसेंट दवाएं या थैरेपी से राहत मिल जाती है, लेकिन कई लोगों में 'ट्रीटमेंट रेजिसटेंट डिप्रेशन' होता है.

मतलब दो प्रकार की एंटीडिप्रेसेंट दवाओं के बाद भी कोई सुधार न होना. ऐसे मामलों में, इलेक्ट्रोकनवल्सिव थैरेपी (ECT) का सहारा लिया जाता है, जिसमें दिमाग को कमजोर इलेक्ट्रिक शॉक दिया जाता है. लेकिन ECT भी अक्सर असफल रहता है.
डेमियन फेयर ने कहा कि हर व्यक्ति के लिए मस्तिष्क का एक ही हिस्सा निशाना बनाया जाता है. लेकिन हर मस्तिष्क अलग होता है, इसलिए सही क्षेत्रों को टारगेट न करने से राहत नहीं मिलती. टॉम ने दवाओं, थैरेपी और ECT सहित 20 से अधिक उपचार आजमाए, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. वह सुसाइड करना चाहता था.
नई तकनीक: व्यक्तिगत मस्तिष्क पेसमेकर
मिनेसोटा विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने टॉम के लिए एक व्यक्तिगत उपकरण विकसित किया, जो हृदय के पेसमेकर की तरह काम करता है. अध्ययन नेचर मेडिसिन जर्नल में प्रकाशित हुआ है, जिसमें जियाद नाहास, डेमियन फेयर और अन्य विशेषज्ञ शामिल हैं.

कैसे काम करती है?
मस्तिष्क मैपिंग: शोधकर्ताओं ने टॉम के मस्तिष्क का 40 मिनट का एमआरआई किया. इससे डिप्रेशन से जुड़े चार मस्तिष्क नेटवर्क्स (डिफॉल्ट मोड, सैलेंस, एक्शन-मोड और फ्रंटोपैरिएटल) की सीमाओं का पता चला. टॉम का सैलेंस नेटवर्क, जो बाहरी उत्तेजनाओं को संसाधित करता है, सामान्य से चार गुना बड़ा था. यह उसके लक्षणों का कारण हो सकता था.
इलेक्ट्रोड प्रत्यारोपण: सर्जरी में सिर में दो छोटे छेद करके चार क्लस्टर इलेक्ट्रोड डाले गए, जो इन नेटवर्क्स की सीमाओं पर रखे गए. तीन दिन बाद, बाहरी तारों से कमजोर करंट भेजे गए. प्रत्येक नेटवर्क को अलग-अलग उत्तेजित करने पर अलग प्रभाव पड़ा...
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स्थायी उपकरण: टॉम की रिएक्शन के आधार पर इलेक्ट्रोड को कॉलरबोन के नीचे दो छोटी बैटरियों से जोड़ा गया. यह मस्तिष्क पेसमेकर हर 5 मिनट में 1 मिनट के लिए विभिन्न नेटवर्क्स को उत्तेजित करता है.
सर्जरी के 7 सप्ताह बाद टॉम के आत्महत्या के विचार समाप्त हो गए. 9 महीने बाद, हैमिल्टन डिप्रेशन रेटिंग स्केल के अनुसार वह पूरी तरह से ठीक होने की कगार पर चला गया. सुधार दो वर्षों से अधिक समय तक चला, हालांकि COVID-19 के बाद हल्का डिप्रेशन फिर आया.

परिणाम और लाभ
टॉम ने कहा कि यह ऐसा था जैसे कोई दीवार गिर गई हो. मैं अब सारे इमोशंस को जी पा रहा हूं. जियाद नाहास ने कहा कि वह अब परिवार के साथ रोड ट्रिप पर जा सका और जीवन का आनंद ले रहा है. मनोचिकित्सा में इलाज दुर्लभ हैं, लेकिन यह आसान होता जा रहा है. यह तरीका पहले के इलाजों की तुलना में ज्यादा बेहतर है. क्योंकि इसमें कम कम्प्यूटेशनल संसाधन और कम अस्पताल में रहना पड़ता है.
A man who had severe depression for more than 30 years has "experienced joy" after undergoing bespoke brain stimulation. https://t.co/IWwndElDzp
— New Scientist (@newscientist) August 27, 2025
भविष्य की संभावनाएं और चुनौतियां
शोधकर्ता अब दूसरे व्यक्ति में प्रत्यारोपण कर चुके हैं. तीसरे की योजना बना रहे हैं. दो वर्षों में डबल-ब्लाइंड क्लिनिकल ट्रायल शुरू होगा. लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि बड़े पैमाने पर परीक्षण जरूरी हैं. किंग्स कॉलेज लंदन के मारियो जुरुएना ने कहा कि रैंडमाइज्ड कंट्रोल्ड ट्रायल से सुरक्षा और प्रभाव की पुष्टि होनी चाहिए.
टॉम का बड़ा सैलेंस नेटवर्क सफलता का कारण हो सकता है, लेकिन सभी मरीजों में ऐसा नहीं होगा. यह तकनीक डिप्रेशन को कम कर सकती है, क्योंकि यह साबित करती है कि डिप्रेशन मस्तिष्क की जैविक समस्या है, न कि नैतिक कमजोरी.