पुरातन काल से मंदिर दर्शन के साथ-साथ हर घर में नित्य-प्रतिदिन पूजा की जाती है. मंदिर में पाठ, पूजा-आरती, मंत्र जाप आदि शामिल होता है. इनमे मंत्र सबसे ज्यादा प्रभावशाली मानते जाते हैं , क्योंकि ये मन को तुरंत एकाग्र कर देते हैं और शीघ्र प्रभाव देते हैं. माला का प्रयोग इसलिए भी किया जाता है ताकि मंत्र जप की संख्या में त्रुटि न हो सके. माला में लगे हुये दानों को मनका कहा जाता है. सामान्यतः माला में १०८ मनके होते हैं परन्तु कभी कभी इसमें २७ अथवा ५४ मनके भी होते हैं.
अत: हमें मंदिर में भगवान के दर्शन के समय अभिवादन हेतु सिर झुकाकर नमस्कार करना चाहिए तथा मंत्र जाप करते समय निम्न बातों का ध्यान अवश्य रखना चाहिए. यदि परमात्मा के समक्ष बैठकर जाप करना हो तो निम्न ढंग से करें -
जमीन पर शुद्ध ऊनी आसन बिछाकर बैठें.
पद्मासन या सुखासन (पालथी लगाकर) बैठें.
कमर से झुकें नहीं. चेहरे को भी सीधा रखें.
माला दाहिने हाथ की उंगलियों पर अंगूठे के पोर से फेरें.
नाखून का स्पर्श माला को न हो, इसकी पूरी सावधानी रखें.
प्लास्टिक की माला न फेरें.
माला फेरते समय इधर-उधर तांकझांक न करें.
माला नाभि से नीचे नहीं, नाक के ऊपर नहीं जानी चाहिए एवं सीने से 4 अंगुल दूर सामने रखें.
जाप करते समय आंखें परमात्मा के सामने या दो भौंहों के बीच, या नाक पर रखें या फिर आंखें मूंद लें.
जाप करते समय माला नीचे न गिराएं. जमीन पर न रखें, आसन पर या डिब्बी में रखें.