Vastu Tips: वास्तु शास्त्र के अनुसार, धार्मिक परंपराओं में कुछ तिथियां ऐसी मानी गई हैं जिनमें रोटी बनाना अशुभ माना जाता है. मान्यता यह है कि भोजन केवल पेट की जरूरत नहीं, बल्कि अन्न के रूप में देवी अन्नपूर्णा और समृद्धि के रूप में देवी लक्ष्मी का रूप है. इसलिए, भोजन बनाते समय घर का वातावरण पवित्र होनी चाहिए, तभी अन्न शुभ फल देता है. चलिए वास्तु शास्त्र के द्वारा जानते हैं कि किन मौकों पर रोटी बनाने से बचना चाहिए.
मृत्यु के समय न बनाएं रोटी
वास्तु शास्त्र के अनुसार, जब भी किसी घर में मृत्यु हो जाए तो उस दौरान रोटी नहीं बनानी चाहिए. मान्यता यह नहीं कि अन्न अपवित्र हो जाता है, बल्कि मृत्यु के समय घर का वातावरण शोक से भरा होता है. ऐसे समय में मन स्थिर होना चाहिए, इसलिए इस दौरान अन्न ग्रहण करना या पकाना उपयुक्त नहीं माना जाता है. इसी कारण से तेरहवीं संस्कार के पूरा होने के बाद ही घर में रोटी बनानी चाहिए.
शीतला अष्टमी
वास्तु शास्त्र के अनुसार, शीतला अष्टमी के दिन माता शीतला को ठंडे यानी बासी भोजन का भोग लगाया जाता है. मान्यता है कि इस दिन चूल्हा नहीं जलाना चाहिए, इसलिए घर में भोजन या रोटी बनाने की मनाही होती है. इस दिन माता को भोग चढ़ाने के बाद वही बासी प्रसाद परिवार के सदस्य ग्रहण करें, जिसे शुभ और रोगों से सुरक्षा देने वाला माना गया है.
शरद पूर्णिमा
शरद पूर्णिमा के दिन भी घर में रोटी नहीं बनानी चाहिए. यह वही पावन तिथि है जब मां लक्ष्मी का प्राकट्य हुआ था. मान्यता है कि इस रात चंद्रमा की अमृत वर्षा भोजन में दिव्यता घोल देती है, इसलिए इस दिन खीर और पूड़ी बनाकर माता को भोग लगाया जाता है. रोटी बनाने से शुभता में कमी आती है, इसलिए इसे वर्जित माना गया है.
दिवाली
दिवाली को सनातन धर्म में सबसे महत्वपूर्ण और शुभ त्योहार माना जाता है. मान्यता है कि इस दिन घर-घर में मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु का आगमन होता है. इसलिए दिवाली पर साधारण रोटी बनाने की बजाय विशेष पकवान तैयार किए जाते हैं. कहा जाता है कि इस पवित्र तिथि पर रोटी पकाना शुभता को कम करता है और मां लक्ष्मी को अप्रसन्न कर सकता है. इसी कारण लोग दिवाली पर मिठाइयां, खीर, मालपुए, पूड़ी और अन्य व्यंजन बनाकर देवी की कृपा और समृद्धि की कामना करते हैं.
श्राद्ध पक्ष
वास्तु शास्त्र के अनुसार, श्राद्ध के दिनों में भी घर में रोटी नहीं बनानी चाहिए. इन तिथियों को पितरों का स्मरण और सम्मान करने के लिए रखा जाता है, इसलिए साधारण खाने के बजाय पितरों के विशेष पकवान बनाए जाते हैं और श्रद्धा से अर्पित किए जाते हैं. ऐसा माना जाता है कि इस दिन बनाया गया भोजन सीधे पितरों तक पहुंचता है और उनके आशीर्वाद से घर में शांति और सुख-समृद्धि बनी रहती है.