तुलसी विवाह हर साल देवउठनी एकादशी या प्रबोधिनी एकादशी के दिन मनाया जाता है. इस दिन भगवान विष्णु चार महीने की शयन के बाद योगनिद्रा से जागते हैं. इसी दिन गोधूली बेला में तुलसी के साथ उनका विवाह कराया जाता है. लेकिन इस वर्ष ऐसा नहीं होगा, क्योंकि इस बार तुलसी विवाह के दिन भद्रा का साया रहने वाला है. पंचांग के अनुसार देवउठनी (प्रबोधनी) एकादशी इस वर्ष 1 नवंबर को मनाई जाएगी. इस दिन एकादशी व्रत और पूजन किया जाएगा. हालांकि, दोपहर के बाद भद्रा काल लगने के कारण उसी संध्या तुलसी विवाह संपन्न करना शुभ नहीं होगा. ऐसे में तुलसी विवाह भद्रा समाप्त होने के बाद अगले शुभ मुहूर्त में किया जाएगा.
कब कराएं तुलसी विवाह
पंचांग के अनुसार इस वर्ष देवउठनी एकादशी की तिथि 31 अक्टूबर की शाम 4:02 बजे से प्रारंभ होकर 1 नवंबर की रात 2:56 बजे तक रहेगी. इसलिए एकादशी व्रत 1 नवंबर को रखा जाएगा, जबकि व्रत का पारण 2 नवंबर को किया जाएगा. इस दिन भद्रा काल दोपहर 3 बजकर 30 मिनट से लेकर रात 2 बजकर 26 मिनट तक रहेगा. चूंकि भद्रा के दौरान कोई भी मांगलिक कार्य नहीं किए जाते, इसलिए तुलसी विवाह 1 नवंबर की रात के बजाय 2 नवंबर को शुभ मुहूर्त में संपन्न किया जाएगा.
शुभ मुहूर्त
ब्राह्म मुहूर्त सुबह 04:50 से 05:42 तक रहेगा. अमृत काल सुबह 09:29 से 11:00 तक रहेगा. अभिजित मुहूर्त सुबह 11:42 से दोपहर 12:26 तक रहने वाला है. विजय मुहूर्त दोपहर 01:55 से 02:39 तक और गोधूली मुहूर्त शाम 05:35 से 06:01 तक रहेगा.
तुलसी विवाह के फायदे
तुलसी विवाह करवाने से विवाह में आने वाली रुकावटें समाप्त होती हैं. ग्रहों का दुष्प्रभाव कम होता है और शीघ्र, शुभ तथा मनचाहा विवाह होने के योग बनते हैं. साथ ही, यह विवाहित जोड़ों के जीवन में प्रेम, आपसी सामंजस्य, विश्वास और समझ बढ़ती है. यह संबंधों में आने वाले मतभेद, तनाव या दूरी को कम करता है और दांपत्य जीवन में सुख, शांति और स्थिरता लाता है.