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Saubhagya Sundari Teej: मार्गशीर्ष माह में कब रखा जाएगा सौभाग्य सुंदरी तीज व्रत, जानें तिथि, महत्व और पूजा विधि

Saubhagya Sundari Teej:पौराणिक कथा के अनुसार, माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तप किया था. उनके तप और निष्ठा से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें अपनी अर्धांगिनी के रूप में स्वीकार किया. तभी से यह व्रत वैवाहिक जीवन की स्थिरता, प्रेम और सौहार्द का प्रतीक माना जाता है.

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कुंवारी कन्याओं के लिए भी शुभ है यह व्रत. (Photo: AI Generated)
कुंवारी कन्याओं के लिए भी शुभ है यह व्रत. (Photo: AI Generated)

Saubhagya Sundari Teej:  हिंदू धर्म में सुहागिन महिलाओं के लिए व्रत और त्योहारों का विशेष महत्व होता है. पति की लंबी उम्र, सुख-समृद्धि और वैवाहिक जीवन की मंगलकामना के लिए महिलाएं वर्षभर कई व्रत करती हैं, जैसे हरतालिका तीज, हरियाली तीज, करवा चौथ आदि. इन्हीं में से एक महत्वपूर्ण व्रत है सौभाग्य सुंदरी तीज व्रत, जो अखंड सौभाग्य और वैवाहिक सुख की प्राप्ति के लिए रखा जाता है. यह पवित्र व्रत मार्गशीर्ष महीने के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को रखा जाता है. इस वर्ष यह तिथि  8 नवंबर को पड़ रही है. 

व्रत का धार्मिक महत्व

सौभाग्य सुंदरी तीज के दिन भगवान शिव और माता पार्वती (गौरी) की पूजा-अर्चना की जाती है. पौराणिक मान्यता के अनुसार, इस दिन माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तप किया था. उनके तप से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें अपनी अर्धांगिनी के रूप में स्वीकार किया. इसीलिए इस व्रत को करने से दांपत्य जीवन में सौहार्द, प्रेम और समृद्धि बनी रहती है. 

कुंवारी कन्याओं के लिए भी शुभ

यह व्रत केवल विवाहित महिलाओं के लिए ही नहीं, बल्कि कुंवारी लड़कियां भी इसे रख सकती हैं. माना जाता है कि जो कन्या यह व्रत करती है, उसे मनचाहा और योग्य जीवनसाथी प्राप्त होता है. साथ ही  विवाह में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं.

पूजा विधि और मुहूर्त

प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें. व्रत का संकल्प लेकर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करें. बेलपत्र, अक्षत, पुष्प, दूध, दही, शहद आदि से अभिषेक करें. माता पार्वती को सुहाग सामग्री (सिंदूर, चूड़ी, बिंदी, काजल, आदि) अर्पित करें. शाम को कथा सुनें और आरती करें. व्रत के पश्चात दान-दक्षिणा देने से विशेष पुण्य प्राप्त होता है. 

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व्रत कथा 

पौराणिक कथा के अनुसार, देवी पार्वती ने शिव जी को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तप किया था. उनकी अटूट श्रद्धा और समर्पण देखकर भगवान शिव ने उन्हें वरदान दिया कि वे सदा उनके साथ रहेंगी. इसलिए जो स्त्री इस व्रत को श्रद्धा और निष्ठा से करती है, उसके जीवन में कभी सौभाग्य की कमी नहीं रहती. 

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