पितृपक्ष चल रहा है. इस साल पितृपक्ष 7 सितंबर से शुरू हुआ था, जिसका समापन 21 सितंबर को सर्वपितृ अमावस्या के दिन होगा. हिंदू धर्म में इन 15 दिनों का विशेष महत्व बताया गया है. पितृपक्ष में लोग अपने पितरों का श्राद्ध करते हैं. पिंडदान और तर्पण करके पितरों का आशीर्वाद लेते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि ईसाई धर्म में भी एक ऐसा खास दिन होता है, जिसमें लोग अपने पूर्वजों को याद करते हैं. इस दिन को ऑल सोल्स डे कहा जाता है.
हर साल 2 नवंबर को ईसाई धर्म के लोग ऑल सोल्स डे (All Souls’ Day) मनाते हैं. इस दिन ईसाई समुदाय के लोग अपने पूर्वजों और दिवंगत प्रियजनों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते हैं. लोग कब्रिस्तानों पर जाकर फूल, माला और मोमबत्तियां जलाते हैं.
यह परंपरा भारतीय संस्कृति के पितृपक्ष की तरह है, जिसमें हिंदू परिवार अपने पितरों को याद कर श्राद्ध, तर्पण और दान करते हैं. दोनों ही परंपराओं का उद्देश्य पूर्वजों के प्रति सम्मान प्रकट करना और उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करना है.
ऑल सोल्स डे का इतिहास
ऑल सोल्स डे सबसे पहले 998 ईस्वी में फ्रांस में मनाया गया था, जिसके बाद यह परंपरा पूरे ईसाई जगत में फैल गई. ऑल सोल्स डे की शुरुआत सबसे पहले क्लूनी के संत ओडिलो ने मृतकों की आत्माओं की स्मृति और शांति के लिए की थी. उनकी पहल धीरे-धीरे पूरे पश्चिमी चर्च द्वारा अपनाई गई और समय के साथ यह परंपरा पूरे यूरोप में फैल गई. यह परंपरा देखते ही देखते ईसाई जगत की सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक परंपराओं में से एक बन गई, जिसे आज भी श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया जाता है.
क्यों कहा जाता है इसे आत्माओं का दिवस?
ईसाई धर्म में ऑल सोल्स डे को आत्माओं का दिवस भी कहा जाता है. धार्मिक मान्यता है कि इस दिन लोग अपने पूर्वजों और गुजर चुके प्रियजनों के लिए प्रार्थना करते हैं. प्रार्थना के जरिए ईसाई समुदाय यह विश्वास प्रकट करता है कि उनके पूर्वज ईश्वर की शरण में सुख और शांति से हैं.
ऐसे मनाया जाता है ऑल सोल्स डे
इस दिन ईसाई परिवार अपने दिवंगत पूर्वजों की याद में विशेष प्रार्थना करते हैं. चर्चों में रेक्वियम मास (विशेष प्रार्थना सभा) आयोजित होती है. लोग कब्रिस्तानों में जाकर फूल, माला और मोमबत्तियां अर्पित करते हैं. कई लोग अपने घरों में भी प्रार्थना करते हैं. अपने प्रियजनों की आत्मा की शांति के लिए मोमबत्ती जलाते हैं. यह दिन पूरी तरह श्रद्धा, स्मरण और आत्माओं के सम्मान को समर्पित होता है.