हिंदू धर्म में मार्गशीर्ष महीना बहुत ही पवित्र और शुभ माना गया है. इसे अगहन मास भी कहते हैं. यह महीना भगवान श्रीकृष्ण को बहुत प्रिय है.पंचांग के अनुसार, इस बार मार्गशीर्ष महीना 6 नवंबर से शुरू होकर 4 दिसंबर (गुरुवार) को खत्म होगा. माना जाता है कि इस महीने में की गई पूजा, दान और भक्ति का फल कई गुना ज्यादा मिलता है. भगवान श्रीकृष्ण ने गीता में कहा है – “मासानां मार्गशीर्षोऽहम्” यानी “महीनों में मैं मार्गशीर्ष हूं. इस महीने में भगवान की पूजा, दान और भक्ति करने से घर में सुख, शांति और समृद्धि आती है. इस समय सच्चे मन से किया गया हर अच्छा काम बहुत शुभ माना जाता है.
इस महीने में क्या करें
सुबह जल्दी उठें
कोशिश करें सूर्योदय से पहले उठें. ताजे पानी से नहाए. यदि सम्भव हो तो गंगाजल मिला कर नहाएं. नहाने के बाद साफ कपड़े पहनकर शांत जगह पर बैठें. 5–10 मिनट “ॐ श्रीकृष्णाय नमः” या “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” का जप करें. इससे मन शांत होता है और दिन अच्छा गुजरता है.
तुलसी के पौधे में जल चढ़ाएं
तुलसी का पौधा घर पर हो तो उसके पास रोज थोड़ा पानी डालें. सुबह या शाम के समय तुलसी के सामने एक छोटा दीया (घी या तेल का) जलाएं और प्रार्थना करें. दीप जलाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है
जरूरतमंदों को दान करें
मार्गशीर्ष में दान का विशेष महत्व है. किसी जरूरतमंद को खाना खिलाएं या अनाज, चावल या दाल दान करें. दान करते समय मन में दया और सम्मान रखें.
श्रिमद्भगवद् गीता का पाठ करें या सुनें
गीता का छोटा-सा पाठ हर दिन करें .अगर पूरा पढ़ना मुश्किल हो तो रोज एक-एक अध्याय का सार पढ़ें या गीता के चुनिंदा श्लोक (जैसे 2.47, 18.66) सुनें. गीता सुनने से जीवन के बारे में समझ बढ़ती है, मनोबल आता है और कर्म करने की प्रेरणा मिलती है.
सात्त्विक भोजन करें
मार्गशीर्ष में हल्का और पवित्र भोजन खाएं .नशा या बहुत भारी भोजन से बचें. साथ ही मानसिक रूप से भी संयम रखें . गुस्सा, चिड़चिड़ापन, ईर्ष्या, अफवाहें फैलाना इनसे दूर रहें.
मार्गशीर्ष मास में क्या नहीं करना चाहिए.
इस महीने में मांस, मदिरा या किसी भी तरह के तामसिक चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए. मान्यता के अनुसार इस मास में जीरे का सेवन वर्जित है. इसलिए भोजन में इसका इस्तेमाल ना करें. इस दौरान गुस्सा, आलस्य, झूठ, छल-कपट ना करें. और ना ही किसी को अपशब्द कहें. मार्गशार्ष मास श्रीकृष्ण की भक्ति का समय है. इसलिए इस दौरान अहंकार, गु्स्सा, आलस्य, झूठ, छल-कपट और ईष्या ना करें, ना ही किसी को अपशब्द कहें. गुरु -माता पिता और वरिष्ठ जनों का आदर करें. इस महीने में पितरों को याद करना भी बेहद शुभ होता है.