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Makar Sankranti 2023: शरशय्या पर इतने दिन लेटे रहने के बाद भीष्म पितामह ने क्यों त्यागे थे प्राण?

Makar Sankranti 2023: आज के दिन मकर संक्रांति का पर्व मनाया जा रहा है. इस दिन सूर्य उत्तरायण होता है. मकर संक्रांति से ही ऋतु में परिवर्तन होने लगता है. जिसके कारण रातेें छोटी होने लगती है और दिन बड़े होने लगते हैं. साथ ही मकर संक्रांति का संपर्क महाभारत से भी माना जाता है. आइए जानते हैं उस पौराणिक महत्व के बारे में.

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मकर संक्रांति 2023
मकर संक्रांति 2023

Makar Sankranti 2023: भारत में धार्मिक और सांस्कृतिक नजरिए से मकर संक्रांति का बड़ा ही महत्व है. मकर संक्रांति के दिन सूर्य धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं. इस दिन से सूर्यदेव उत्तरायण दिशा की ओर बढ़ने लगते हैं. इसलिए मकर संक्रांति पर दान पुण्य का बड़ा महत्व माना जाता है. इस दिन तिलों का दान भी किया जाता है. इससे शनिदेव और भगवान सूर्य की कृपा मिलती है. आज पूरे देश में मकर संक्रांति का त्योहार मनाया जा रहा है. मकर संक्रांति का अद्भुत जुड़ाव महाभारत काल से भी है. 58 दिनों तक बाणों की शैया पर रहने के बाद भीष्म पितामह ने अपने प्राणों को त्यागने के लिए सूर्य के उत्तरायण होने का इंतजार किया था. 

ये है कथा 

18 दिन तक चले महाभारत के युद्ध में भीष्म पितामह ने 10 दिन तक कौरवों की ओर से युद्ध लड़ा. रणभूमि में पितामह के युद्ध कौशल से पांडव व्याकुल थे. बाद में पांडवों ने शिखंडी की मदद से भीष्म को धनुष छोड़ने पर मजबूर किया और फिर अर्जुन ने एक के बाद एक कई बाण मारकर उन्हें धरती पर गिरा दिया. चूंकि भीष्म पितामह को इच्छा मृत्यु का वरदान प्राप्त था. इसलिए अर्जुन के बाणों से बुरी तरह चोट खाने के बावजूद वे जीवित रहे. भीष्म पितामह ने ये प्रण ले रखा था कि जब तक हस्तिनापुर सभी ओर से सुरक्षित नहीं हो जाता, वे प्राण नहीं देंगे. साथ ही पितामह ने अपने प्राण त्यागने के लिए सूर्य के उत्तारायण होने का भी इंतेजार किया, क्योंकि इस दिन प्राण त्यागने वालों को मोक्ष की प्राप्ति होती है. 

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भगवान श्रीकृष्ण ने बताया महत्व 

महाभारत में भगवान श्रीकृष्ण ने भी उत्तरायण का महत्व बताते हुए कहा था कि 6 माह के शुभ काल में जब सूर्य देव उत्तरायण होते हैं और धरती प्रकाशमयी होती है, उस समय शरीर त्यागने वाले व्यक्ति का पुनर्जन्म नहीं होता है. ऐसे लोग सीधे ब्रह्म को प्राप्त होते हैं, यानी उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है. यही कारण है कि भीष्म पितामह ने शरीर त्यागने के लिए सूर्य के उत्तरायण होने तक का इंतजार किया.

तिल दान का महत्व

इस दिन जो भी भक्त पूजा, यज्ञ और दान के अलावा खाने में तिल का उपयोग करते हैं, उनसे सूर्य देव प्रसन्न होते हैं और सुख समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करते हैं. यही वजह है कि मकर संक्रांति पर तिल के दान और खाने में इनका उपयोग करना शुभ माना जाता है. 

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