Maa Lakshmi: हर कोई चाहता है कि उसके घर में सुख-समृद्धि बनी रहे और इसके लिए लोग मां लक्ष्मी को प्रसन्न करना चाहते हैं. लोग इसके लिए अनेकों उपाय भी करते हैं, लेकिन हमारे पुराणों में मां लक्ष्मी के स्वभाव और उनके निवास से जुड़ी कई गहरी बातें बताई गई हैं. ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार मां लक्ष्मी शुद्धता, भक्ति और सदाचार से प्रसन्न होती हैं.
शुद्धता, भक्ति और सदाचार से होती हैं प्रसन्न
पुराण में बताया गया है कि जहां शंख की ध्वनि नहीं होती, तुलसी का वास नहीं रहता, भगवान शिव की पूजा नहीं होती और ब्राह्मणों का सम्मान या पूजा नहीं की जाती, वहां मां लक्ष्मी निवास नहीं करतीं. इसका अर्थ यह है कि जिस स्थान पर पूजा-पाठ, भक्ति और धार्मिक मर्यादाओं का पालन नहीं होता, वहां धन और समृद्धि टिक नहीं पाती.
भक्तों की निंदा
इसके अलावा यह भी कहा गया है कि जिस जगह भक्तों की निंदा की जाती है, वहां मां लक्ष्मी कभी नहीं ठहरतीं. जो लोग ईश्वर में विश्वास रखने वालों का अपमान करते हैं, उनके जीवन से धीरे-धीरे सुख और शांति चली जाती है. इसी तरह, जिस घर में एकादशी के दिन भगवान श्रीहरि की पूजा नहीं होती और जहां जन्माष्टमी के दिन अन्न ग्रहण किया जाता है, वहां भी लक्ष्मी जी प्रसन्न नहीं होतीं.
क्रूर लोगों के घर में नहीं रुकती मां लक्ष्मी
पुराणों में यह भी जिक्र है कि जो लोग अशुद्ध हृदय वाले, क्रूर, हिंसक और निंदा करने वाले होते हैं, उनके हाथ का जल पीने से भी मां लक्ष्मी डरती हैं. ऐसे लोगों के घर में वे निवास नहीं करतीं और वहां से चली जाती हैं. इसका भाव यह है कि बुरा आचरण और नकारात्मक सोच धन को भी दूर कर देती है.
कायर और निराशावादी
आगे बताया गया है कि जो व्यक्ति शूद्रों से यज्ञ कराता है, कायर का अन्न खाता है, नाखूनों से धरती कुरेदता है, हमेशा निराशावादी रहता है, सूर्योदय के समय भोजन करता है, दिन में सोता है और सदाचार का पालन नहीं करता, ऐसे घर से भी मां लक्ष्मी चली जाती हैं. यहां इन बातों के माध्यम से अनुशासन, परिश्रम और अच्छे आचरण का महत्व समझाया गया है.
भगवान में आस्था ना रखने वाले
वहीं दूसरी ओर, पुराण यह भी बताते हैं कि जहां भगवान श्रीहरि की चर्चा होती है, उनके गुणों और लीलाओं का वर्णन किया जाता है, वहां मां लक्ष्मी विराजमान होती हैं.जिस घर में भगवान श्रीकृष्ण और उनके भक्तों का यश गाया जाता है, वहां उनकी प्राणप्रिया भगवती लक्ष्मी जरूर निवास करती हैं.