हिंदू धर्म में मार्गशीर्ष अमावस्या का विशेष महत्व बताया गया है. यह तिथि भगवान विष्णु की उपासना, पितरों के तर्पण और दान-पुण्य के कार्यों के लिए अत्यंत शुभ मानी जाती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन यदि श्रद्धा और नियमपूर्वक पूजा-अर्चना की जाए तो व्यक्ति के जीवन से नकारात्मकता दूर होती है और घर में सुख-समृद्धि का वास होता है. इस वर्ष मार्गशीर्ष अमावस्या 20 नवंबर, दिन गुरुवार को पड़ रही है. इस दिन पवित्र नदियों में स्नान, व्रत, दान, और विष्णु भगवान की आराधना करने का विशेष महत्व है. शास्त्रों के अनुसार, इस दिन तिल के तेल का दीपक जलाना अत्यंत शुभ माना गया है. तिल का तेल शनि देव से जुड़ा माना जाता है, और इसे जलाने से ग्रहों की बाधाएं, नकारात्मक ऊर्जा, तथा दुर्भाग्य का प्रभाव कम होता है.
तिल के तेल का दीपक क्यों जलाया जाता है?
माना जाता है कि तिल का दीपक जलाने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और वे आशीर्वाद देते हैं. तिल का तेल बुरी शक्तियों को दूर करने में मददगार साबित होता है. इस दिन शनि देव को प्रसन्न करने के लिए तिल के तेल का दीपक जलाना शुभ होता है. साथ ही इससे शनि की साढे़साती और ढैय्या के दुष्प्रभाव से छुटकारा मिलता है. कुंडली में शनि मजबूत होते हैं.
कितने दीये जलाएं
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, इस विशेष अमावस्या पर तिल के तेल के 11 दीपक जलाना अत्यंत शुभ माना गया है. हर दीपक का अपना अलग महत्व और स्थान होता है, जो व्यक्ति के जीवन में सुख, समृद्धि और शांति लाने में सहायक है.
कहां जलाएं दीपक
पहला दीया – भगवान महादेव के सामने जलाना चाहिए. शिव जी के सामने तिल का दीपक जलाने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और जीवन में स्थिरता आती है.
दूसरा दीया – दूसरा दीया शनिदेव के सामने जलाना चाहिए. शनिदेव के सामने दीपक जलाने से शनि दोष, साढ़ेसाती या ढैय्या के प्रभाव कम होते हैं.
तीसरा दीया – तीसरा पितृ देव के लिए जलाना चाहिए. पितरों की स्मृति में दीपक जलाने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है और घर में पितृदोष का निवारण होता है.
चौथा दीया- इसे घर के मुख्य द्वार पर जलाना चाहिए. दरवाजे पर दीपक जलाने से नकारात्मक ऊर्जा घर में प्रवेश नहीं करती और सकारात्मकता का वास होता है.
पांचवां दीया- पांचवा दीया पीपल के पेड़ के नीचे जलाएं, कहा जाता है कि पीपल में पितरों और देवताओं दोनों का वास होता है. यहां दीपक जलाने से पितरों की कृपा और देव आशीर्वाद दोनों प्राप्त होते हैं.
छठा दीया- इसे घर की छत पर जलाना चाहिए. छत का संबंध राहु ग्रह से होता है. यहां दीपक जलाने से राहु-केतु के अशुभ प्रभाव कम होते हैं.
अन्य दीपक घर के विभिन्न कोनों में जैसे रसोईघर, तुलसी के पास, पूजा स्थान या आंगन में रख सकते हैं.