सनातन धर्म में काशी को एक ऐसा पवित्र और चमत्कारी धाम माना गया है, जिसके बारे में कहा जाता है कि यह स्वयं भगवान शंकर की इच्छा और संकल्प से प्रकट हुई भूमि है. काशी को कोई साधारण जमीन का टुकड़ा नहीं माना जाता, बल्कि एक दिव्य लोक के रूप में देखा जाता है. पुराणों में जिक्र मिलता है कि काशी भगवान शिव के त्रिशूल पर स्थित है. इसका अर्थ यह है कि यह पवित्र नगरी जन्म और मृत्यु के बंधन से परे, अनन्त और अविनाशी है. शास्त्रों में इस बात का जिक्र है कि काशी में वास करने मात्र से ही मोक्ष की प्राप्ति होती है.
काशी में विराजते हैं शिव
प्रेमानंद महाराज ने भी हाल ही में अपने प्रवचन में काशी की इसी अलौकिक महिमा का वर्णन किया है. वे बताते हैं कि काशी वह भूमि है जहां स्वयं महादेव हर पल अपने भक्तों के साथ रहते हैं. काशी के विश्वनाथ जी केवल पूजनीय देवता नहीं, बल्कि इस पावन शहर के हर निवासी के संरक्षक, मार्गदर्शक हैं. प्रेमानंद महाराज कहते हैं कि भगवान विश्वनाथ प्रतिदिन किसी न किसी रूप में अपने भक्तों से मिलते हैं, उन्हें आशीष देते हैं और उनके सुख-दुख का ध्यान रखते हैं. यही काशी की सबसे बड़ी खासियत है. यहां भगवान और भक्त के बीच कोई दूरी नहीं रहती.
काशी को लेकर कई कहानियां प्रचलित है और एक कहानी के अनुसार, भगवान शिव सर्दियों में काशी में रहने आते थे. पहले वो तपस्वी थे, तो हिमालय पर रह लेते थे लेकिन जब उन्होंने देवी पार्वती से शादी की, तो उन्होंने मैदानी इलाकों में आने का फैसला किया और वे काशी आये.
वाराणसी से भोलेनाथ का कनेक्शन बहुत पुराना है. यही वजह है कि बनारस की गलियों में भोलेनाथ के मंदिर हैं. भगवान भोलेनाथ के सबसे प्रसिद्ध और चर्चित मंदिरों में से काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग. श्री काशी विश्वनाथ मंदिर भगवान शिव का प्रमुख निवास स्थान है, जो गंगा नदी के तट पर स्थित है.
अन्नपूर्णा भी करती हैं वास
प्रेमानंद महाराज आगे कहते हैं कि काशी, माता अन्नपूर्णा का भी पवित्र धाम है. प्रेमानंद महाराज ने अपने प्रवचन में बताया कि माता अन्नपूर्णा हर दिन यह देखती हैं कि काशी में कोई भी व्यक्ति भूखा न सोए. उनकी असीम कृपा से इस भूमि पर अन्न की कभी कमी नहीं होती.
सिर्फ मोक्ष का मार्ग नहीं है काशी
प्रेमानंद महाराज कहते हैं कि काशी केवल मोक्ष का मार्ग नहीं, बल्कि आध्यात्मिक ऊर्जा, ज्ञान, संस्कृति और सकारात्मकता का भी जरिया है. यहां आने वाला व्यक्ति अनुभव करता है कि जैसे समय धीमा पड़ गया हो, हवा में एक अद्भुत शांति घुल गई हो, और जीवन महादेव की छाया में पवित्रता से भर उठा हो. काशी में मृत्यु भी अंत नहीं मानी जाती, बल्कि अमरत्व की ओर बढ़ने का द्वार समझी जाती है.