Jyotish Shastra: अक्सर लोग अपनी कुंडली में नीच, अस्त या पीड़ित ग्रहों को देखकर निराश हो जाते हैं. और उच्च ग्रह देखकर खुश होते हैं. जबकि आपकी कुंडली में कुछ ग्रहों का नीच होना अच्छा है. ग्रह नीच या उच्च किस अवस्था में अच्छा फल देगा या किसी ग्रह का अस्त होना कैसे आपके लिए फायदेमंद होगा, ये सब आपकी लग्न और राशि के आधार पर तय होता है. एक व्यक्ति की कुंडली में बृहस्पति जैसे ग्रह का उच्च होना नुकसानदायक हो सकता है. आइए जानते हैं.
कुंडली में 6, 8 12 (षष्ठ, अष्टम और द्वादश) त्रिक भाव होते हैं. किसी भी व्यक्ति की कुंडली में इन भावों का बली होना अच्छा नहीं है. इन भावों के स्वामी यदि नीच अवस्था या अस्त हैं तो यह व्यक्ति की पीड़ा, परेशानी और स्वास्थ्य को ठीक रखने के अनुकूल हैं. इसके विपरीत इन भावों के स्वामी उच्च अवस्था में जहां भी बैठेंगे, उस भाव से संबंधित पीड़ा और परेशानी अवश्य देंगे.
वृषभ, मकर, तुला जैसे लग्न में देवगुरू बृहस्पति यदि बली होकर किसी भाव में बैठ जाएं तो दिक्कत कर सकते हैं. इसी तरह मेष, कर्क, वृश्चिक लग्न में यदि बुध बली अवस्था में किसी भी भाव में हों तो यह बुध की दशा या अन्तर्दशा में परेशानी पैदा कर सकते हैं. धनु लग्न में चंद्रमा का उच्च होकर किसी भी भाव में बैठना दिक्कत दे सकता है.
इसी तरह लोग सिर्फ ग्रहों की उच्च अवस्था देखकर अंगुली में रत्न धारण कर लेते हैं. लग्न और राशि के साथ किसी भी ग्रह का रत्न धारण करने से पहले उसके भावों की अवस्था को भी जांचना आवश्यक है. अन्यथा लाभ की जगह आपको नुकसान झेलना पड़ सकता है.
इसलिए किसी भी कुंडली में लग्न और राशि को समझे बिना ग्रहों की उच्चता और नीचता पर अंतिम निर्णय लेकर हताश न हों. सम्भव है कि आपकी कुंडली में कोई ग्रह नीच का है तो यह आपके लिए शुभ संकेत है.