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Govardhan Puja 2025 kab hai: अमावस्या तिथि में नहीं होती गोवर्धन पूजा! जानें कब ये पर्व मनाना होगा सही

Govardhan Puja 2025 kab hai: दिवाली की वजह से लोगों को गोवर्धन पूजा की तिथि को लेकर भी काफी कंफ्यूजन है. कुछ लोगों का मत है कि गोवर्धन पूजा 21 अक्टूबर को होगी तो वहीं कुछ का मानना है कि यह पर्व 22 अक्टूबर को मनाया जाएगा. तो चलिए जानते हैं कि गोवर्धन पूजा की सही तिथि क्या है.

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गोवर्धन पूजा 2025 शुभ मुहूर्त (Photo: AI Generated)
गोवर्धन पूजा 2025 शुभ मुहूर्त (Photo: AI Generated)

Govardhan Puja 2025 kab hai: 21 अक्टूबर यानी आज भी कार्तिक मास की अमावस्या तिथि है. मतलब यह है कि अमावस्या तिथि आज शाम 5 बजकर 54 मिनट पर समाप्त होगी और उसके ठीक बाद शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि की शुरुआत हो जाएगी. तो ऐसे में पंचांग के मुताबिक, अमावस्या तिथि के कारण गोवर्धन पूजा 21 अक्टूबर को न करके 22 अक्टूबर को ही जाएगी. 

ज्योतिषियों के अनुसार, गोवर्धन पूजा अमावस्या तिथि में करना बहुत ही अशुभ माना जाता है, इस पर्व के लिए प्रतिपदा तिथि का लगना बहुत ही जरूरी माना जाता है. हालांकि, हर वर्ष गोवर्धन पूजा दीवाली के अगले दिन की जाती है यानी दीपावली के पंच पर्व में यह त्योहार चौथे दिन मनाया जाता है. चलिए अब जानते हैं कि गोवर्धन पूजा करना किस मुहूर्त में शुभ रहेगा और क्या रहेगी अन्नकूट पूजा की विधि.

गोवर्धन पूजा 2025 तिथि (Govardhan Puja 2025 Tithi) 

द्रिक पंचांग के अनुसार, हर वर्ष कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि को गोवर्धन पूजा का पर्व मनाया जाता है. इस बार इस त्योहार की तिथि 21 अक्टूबर यानी आज शाम 5 बजकर 54 मिनट पर शुरू होगी और तिथि का समापन 22 अक्टूबर की रात 8 बजकर 16 मिनट पर होगा. 

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गोवर्धन पूजा 2025 शुभ मुहूर्त (Govardhan Puja 2025 Shubh Muhurat)

द्रिक पंचांग के अनुसार, गोवर्धन पूजा का पहला मुहूर्त 22 अक्टूबर को सुबह 6 बजकर 26 मिनट से लेकर सुबह 8 बजकर 42 मिनट तक रहेगा.
 
दूसरा मुहूर्त दोपहर 3 बजकर 29 मिनट से शुरू होकर शाम 5 बजकर 44 मिनट तक रहेगा. 

पूजन का तीसरा मुहूर्त गोधूली वेला में बनेगा, जो कि शाम 5 बजकर 44 मिनट से लेकर शाम 6 बजकर 10 मिनट तक रहेगा. यानी इन तीनों मुहूर्त में आप गोवर्धन पूजा कर सकते हैं.

गोवर्धन पूजा कैसे करें? (Govardhan Puja Ki Pujan Vidhi)

इस दिन सुबह जल्दी उठकर घर और आंगन की सफाई करें.  फिर गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत का प्रतीक बनाएं.  इसमें छोटे-छोटे टीले बनाकर गाय, बछड़े, पेड़-पौधे और तालाब जैसी आकृतियां बनाई जाती हैं, जो प्रकृति और समृद्धि का प्रतीक मानी जाती हैं. इसके बाद पूजा स्थल को तैयार करें और दीपक जलाकर भगवान श्रीकृष्ण का ध्यान करें.  पूजन के लिए फूल, जल, अक्षत, मिठाई, तुलसी पत्र, दूध, दही, घी, गुड़, और अन्न जैसी वस्तुएं रखें.  श्रीकृष्ण और गोवर्धन पर्वत का विधिवत पूजन करें. 

इसके बाद भगवान को अन्नकूट का भोग लगाएं, यानी तरह-तरह के व्यंजन जैसे पूड़ी, सब्जी, मिठाई, चावल और खीर इत्यादि बनाकर अर्पित करें. ऐसा माना जाता है कि जितना अधिक अन्न भगवान को अर्पित किया जाता है, घर में उतनी ही अधिक समृद्धि आती है. पूजन के बाद गोवर्धन पर्वत के चारों ओर सात बार परिक्रमा करें और श्रीकृष्ण की आरती करें. आरती के बाद प्रसाद बांटें और घर के सभी सदस्यों के साथ आनंदपूर्वक पर्व मनाएं. इस दिन गायों की पूजा और सेवा करना बहुत शुभ माना जाता है. 

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गोवर्धन पूजा का महत्व (Govardhan Puja Significance)

गोवर्धन पूजा का महत्व बहुत गहरा है. यह दिन उस दिव्य घटना की याद दिलाता है जब भगवान श्रीकृष्ण ने इंद्र के घमंड को तोड़ने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठा लिया था. इस पूजा से हमें यह संदेश मिलता है कि अहंकार का अंत निश्चित है और प्रकृति तथा भगवान की कृपा ही सच्चा सहारा है. इस दिन गोवर्धन पर्वत की प्रतीकात्मक पूजा कर लोग अपनी कृतज्ञता और श्रद्धा व्यक्त करते हैं.

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