Dussehra 2025: हर साल आश्विन शुक्ल दशमी तिथि को दशहरे का त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है. रामायण के अनुसार, इसी दिन भगवान राम ने लंकापति रावण का वध किया था. इसलिए इस दिन जगह-जगह पर रावण का पुतला दहन किया जाता है. विजय दशमी का यह पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है.
रावण अत्यंत शक्तिशाली और अहंकारी था. अपनी मायावी शक्तियों के बल पर वो पूरी सृष्टि पर राज करने का दम रखता था. लेकिन क्या आप जानते हैं कि भगवान राम के अलावा तीन और भी ऐसे योद्धा रहे हैं, जिनके हाथों रावण ने करारी मात खाई थी. आइए इनके बारे में जानते हैं.
रावण और बाली युद्ध
रामायण के 34वें सर्ग में रावण और बालि के युद्ध का व्रर्णन किया गया है. इसमें बताया गया है कि जब रावण ने बाली को युद्ध के लिए ललकारा तो उसने कैसे उसे अपनी काख में दबाकर समुद्र की परिक्रमा की थी.
श्लोक-
हस्तग्राहं तु तं मत्वा पादशब्देन रावणम्।
पराङ्मुखो ऽपि जग्राह वाली सर्पमिवाण्डजः
ग्रहीतुकामं तं गृह्य रक्षसामीश्वरं हरिः।
खमुत्पपात वेगेन कृत्वा कक्षावलम्बिनम्।।
तं चापीडयमानं तु वितुदन्तं नखैर्मुहुः।
जहार रावणं वाली पवनस्तोयदं यथा।।
अथ ते राक्षसामात्या ह्रियमाणं दशाननम्।
मुमोक्षयिषवो वालिं रवमाणा अभिद्रुताः ।।
अन्वीयमानस्तैर्वाली भ्राजते ऽम्बरमध्यगः ।
अन्वीयमानो मेघौघैरम्बरस्थ इवांशुमान्।।
अर्थ- पैरों की आहट से जब बाली ने जान लिया कि रावण उसके हाथ की पकड़ के भीतर आ गया है, तब बालि ने पीछे मुड़े बिना ही रावण को ठीक वैसे ही पकड़ लिया. जैसे गरुड़ सांप को पकड़ लेता है.
जो रावण खुद बाली को पकड़ने आया था, उसे बाली ने पकड़ कर अपनी बाजू में दबा लिया और आकाश में उड़ने लगा. बाली बार-बार रावण को दबा कर पीड़ित करता था और उसे नोंचते-खसोटते वैसे ही लिए जाता था, जैसे पवनदेव बादलों को उड़ाकर ले जाते हैं.
जब बाली ने बलपूर्वक रावण को काबू कर लिया तो रावण के मंत्री उसे छुड़ाने की इच्छा से चिल्लाते हुए बाली के पीछे बड़ी जोर से दौड़ पड़े. बाली रावण को आगे लिए जा रहा था और रावण के मंत्री उसके पीछे दौड़ रहे थे. उस वक्त ऐसा लग रहा था मानो आकाश में बादल सूर्य के पीछे-पीछे दौड़ रहे हैं.
सहस्रबाहु से युद्ध में हार
हैहय वंश का राजा सहस्रबाहु ऋषि दत्तात्रेय की कृपा से अत्यंत शक्तिशाली हो गया था. भागवत पुराण के अनुसार, रावण समुद्र के किनारे शिवलिंग स्थापित कर महादेव की उपासना कर रहे थे. उस स्थान से थोड़ी ही दूर सहस्रबाहु मौजूद थे. सहस्रबाहु ने अपने हाथों से नर्मदा के बहाव को रोक दिया, जिससे उसका जल इधर-उधर बिखरने लगा. नतीजतन रावण की पूजन सामग्री नदी में बह गई और उसका ध्यान भंग हो गया. इसके बाद क्रोध में आकर रावण ने सहस्रबाहु को चेतावनी दे डाली. लेकिन रावण उसकी अद्भुत शक्तियों से अवगत नहीं था. सहस्रबाहु के एक ही प्रहार से रावण मूर्छित होकर जमीन पर गिर गया.
महादेव से हारा रावण
रावण भगवान शिव का बहुत बड़ा भक्त था. लेकिन अपने अहंकार में वो इस कदर चूर था कि एक बार कैलाश पर्वत को ही अपने साथ ले जाने का प्रयास करने लगा. वह पर्वत को अपने हाथों से उखाड़ने लगा. तभी भगवान शिव ने अपने एक अंगूठे से पर्वत को दबा दिया. रावण का हाथ पर्वत के नीचे दब गया और वो दर्द से चीखने-चिल्लाने लगा. इस तरह भगवान शिव के एक इशारे से ही रावण का घमंड पल भर में टूट गया. उसे समझ आ गया कि भगवान शिव की शक्ति उसके सामर्थ्य से कहीं अधिक है. इसके बाद रावण ने भगवान शिव की स्तुति की और शिव तांडव स्तोत्र की रचना कर क्षमा मांगी.