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RAJASTHAN में किस बात पर राजी हुए डॉक्टर? खत्म हुई हड़ताल, 10 पॉइंट्स में जानें सब कुछ

RTH कानून के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे राजस्थान के डॉक्टरों ने अपनी हड़ताल खत्म कर दी है. सभी डॉक्टर कल सुबह से अस्पताल वापस लौट सकते हैं. राजस्थान सरकार ने समझौता इंडियन मेडिकल एसोसिएशन, यूनाइटेड प्राइवेट क्लीनिक्स एंड हॉस्पिटल्स और प्राइवेट हॉस्पिटल्स एंड नर्सिंग होम्स सोसायटी के साथ किया है.

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तस्वीर उस समय की है, जब पूरे राजस्थान में आरटीएच कानून के खिलाफ डॉक्टर धरने पर थे. (फाइल फोटो)
तस्वीर उस समय की है, जब पूरे राजस्थान में आरटीएच कानून के खिलाफ डॉक्टर धरने पर थे. (फाइल फोटो)

राइट टू हेल्थ (RTH) कानून के खिलाफ पिछले करीब दो हफ्ते से आंदोलन कर रहे राजस्थान के डॉक्टरों ने आखिरकार आज (4 अप्रैल) हड़ताल वापस ले ली है. हालांकि, फिलहाल इसकी औपचारिक घोषणा नहीं की गई है. लेकिन शाम तक ऐलान होने की संभावना है. 

सरकार और डॉक्टरों के बीच समझौता होने के बाद आज शाम या फिर कल सुबह से डॉक्टर दोबारा अस्पताल लौट सकते हैं. हड़ताल खत्म करने का करार राजस्थान सरकार, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA), प्राइवेट हॉस्पिटल्स एंड नर्सिंग होम्स सोसायटी (PHNHS) और यूनाइटेड प्राइवेट क्लीनिक्स एंड हॉस्पिटल्स (UPCHAR) के बीच हुआ है.

पिछले 15 दिनों से राजस्थान सरकार और राज्य के डॉक्टरों के बीच चला आ रहा विवाद आखिरकार अचानक कैसे सुलझ गया? ये सवाल सभी के मन में उठ रहे हैं तो आइए 10 पॉइंट्स में जानते हैं कि आखिरकार आरटीएच (right to health) कानून को लेकर किन मुद्दों पर सरकार और डॉक्टरों के बीच सहमति बनी है.

1. आरटीएच कानून के तहत किसी भी सरकारी या प्राइवेट अस्पताल में आपात-स्थिति के दौरान आए मरीज को इलाज के लिए मना नहीं किया जा सकता है. इलाज के लिए मरीज के परिवार से डिपॉजिट की डिमांड भी नहीं की जा सकती. ऐसे में प्राइवेट अस्पताल इस बात को लेकर चिंतित थे कि हर मरीज अपनी बीमारी को इमरजेंसी बताकर निशुल्क इलाज करवाने की कोशिश करेगा. कानून में आपात-स्थिति को भी अच्छी तरह से परिभाषित नहीं किया गया था. इस बात ने डॉक्टरों को और डरा दिया था. 

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2. डॉक्टरों और सरकार के बीच हुए समझौते के तहत पूरी तरह से प्राइवेट अस्पताल को इस कानून से बाहर कर दिया गया है. यानी ऐसा कोई भी अस्पताल जिसने सरकार से अनुदानित दर पर भूमि या भवन के रूप में सरकार से कोई सुविधा नहीं ली है, वह आरटीएच कानून के दायरे में नहीं आएगा. इसके अलावा 50 बिस्तरों से कम वाले निजी मल्टी स्पेशियलिटी अस्पतालों को भी इस कानून से बाहर रखा गया है.

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3. राइट टू हेल्थ कानून में पीपीपी मोड पर स्थापित अस्पताल, सरकार से मुफ्त या रियायती दर पर जमीन लेकर बने हॉस्पिटल और ट्रस्ट के द्वारा संचालित (भूमि या भवन के रूप में सरकार से वित्त पोषण) किए जाने वाले अस्पताल को शामिल किया गया है. 

4. राजस्थान सरकार के आरटीएच कानून के विरोध में पूरे प्रदेश के डॉक्टर हड़ताल पर चले गए थे. स्वास्थ्य व्यवस्था चरमराने के बाद सरकार ने हड़ताली डॉक्टरों के खिलाफ एक्शन लेना शुरू कर दिया था. अब सरकार और डॉक्टरों के बीच हुए समझौते में इस बात पर भी सहमति बनी है कि डॉक्टरों के खिलाफ दर्ज किए गए पुलिस केस और आंदोलन के दौरान बनाए गए मामले वापस लिए जाएंगे.

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5. अलग-अलग प्राइवेट अस्पतालों का संचालन करने वाले संचालकों और डॉक्टरों की यह शिकायत थी कि उन्हें अस्पताल के लिए लाइसेंस और दूसरी जरूरी स्वीकृति लेने में परेशानियों का सामना करना पड़ता है. समझौते में डॉक्टरों के इस पॉइंट को भी शामिल किया था. इस पर सहमति जताते हुए सरकार ने अस्पतालों के लाइसेंस और दूसरी स्वीकृतियों के लिए सिंगल विंडो सिस्टम शुरू करने की बात कही है.

6. आरटीएच के विरोध में हड़ताल पर गए डॉक्टरों का कहना था कि इस कानून के कारण प्राइवेट अस्पतालों के कामकाज में ब्यूरोक्रेट्स का दखल बढ़ जाएगा. लेकिन दोनों के बीच सहमति बनने के बाद अब निजी अस्पतालों को इससे बाहर ही कर दिया गया है. इसके अलावा इस बात पर भी सहमति बनी है कि फायर NOC नवीनीकरण की जरूरत हर 5 साल में होगी.

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7. राजस्थान सरकार के आरटीएच कानून में बेहद सख्त निमय शामिल किए गए हैं. जैसे की अगर कोई भी इस कानून की अवहेलना करता है तो पहली बार में 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा. दूसरी बार भी ऐसा ही होता है तो 25 हजार रुपये का जुर्माना वसूला जाएगा. लेकिन डॉक्टरों से बातचीत के बाद अब यह तय किया गया है कि IMA के 2 प्रतिनिधियों के परामर्श के बाद नियमों में बदलाव किया जाएगा.

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8. कानून में यह भी प्रावधान है कि इलाज के बाद ही मरीज और उसके परिजनों से फीस ली जा सकती है. लेकिन अगर मरीज फीस देने में असमर्थ होगा तो फिर बकाया फीस सरकार चुकाएगी या फिर मरीज को किसी और दूसरे अस्पताल में शिफ्ट कर देगी. इसके अलावा इलाज के दौरान मानवीय गरिमा और गोपनीयता का ख्याल रखा जाएगा.

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9. कानून में इसे भी शामिल किया गया है कि कानूनी मामला होने पर भी अस्पताल पुलिस की एनओसी या पुलिस रिपोर्ट मिलने के आधार पर इलाज में देरी नहीं करेंगे. मरीज को उपचार के दस्तावेज, जांच रिपोर्ट, इलाज के डिटेल और बिलों की कॉपी उपलब्ध करानी होगी. सर्जरी और कीमोथेरैपी की पहले से ही सूचना देकर मरीज या उसके परिजनों से सहमति लेनी होगी.

10. इसके साथ ही आरटीएच कानून में कहा गया है कि किसी पुरुष कर्मचारी द्वारा महिला मरीज की शारीरिक जांच के दौरान एक अन्य महिला की उपस्थिति जरूरी होगी. सभी सरकारी और निजी अस्पतालों से रेफरल ट्रांसपोर्टेशन की सुविधा मिलेगी. दूसरा ओपिनियन लेने के लिए मरीज को पहले इलाज करने वाले हेल्थ प्रोवाइडर से इलाज की डिटेल और सूचना लेने का अधिकार होगा. गारंटीड सर्विसेज से कोई भी प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से इनकार नहीं कर सकेगा.

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