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पुष्कर मेला में देसी बनाम विदेशी... कबड्डी मैच में विदेशी सैलानियों ने सीखे कुश्ती के दांव-पेच, VIDEO

पुष्कर मेला 2025 में आयोजित देसी बनाम विदेशी कबड्डी के मैच ने खेल और संस्कृति को एक सूत्र में पिरो दिया. विदेशी सैलानियों ने भारतीय खेल भावना और परंपरा को करीब से महसूस किया.

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पुष्कर मेले में कबड्डी मैच से गूंजा मैदान (Photo: Dinesh Parashar/ITG)
पुष्कर मेले में कबड्डी मैच से गूंजा मैदान (Photo: Dinesh Parashar/ITG)

पुष्कर मेला 2025 का माहौल हर बार की तरह इस बार भी रंगों, संगीत और परंपरा से भरा रहा. लेकिन इस बार एक ऐसी घटना हुई जिसने सबका ध्यान खींच लिया - जब देसी युवकों और विदेशी सैलानियों के बीच कबड्डी का मैच खेला गया. यह मुकाबला सिर्फ खेल नहीं था, बल्कि भारतीय संस्कृति और विदेशी उत्साह का सुंदर संगम बन गया.

इस अनोखे खेल में विदेशी खिलाड़ी पूरे जोश के साथ उतरे. वे भारतीय खिलाड़ियों के साथ कबड्डी के दांव-पेच सीखते नजर आए. कभी रेड मारते हुए गिर जाते, तो कभी बचाव के गुर सीखते हुए हंसी-ठिठोली करते दिखे. उनके चेहरे पर भारतीय खेल का रोमांच और हमारी संस्कृति को समझने का उत्साह साफ नज़र आ रहा था.

यह प्रतियोगिता देखने वालों के लिए भी बेहद दिलचस्प रही - जहां खेल के साथ-साथ हंसी, तालियां और रंगीन माहौल हर तरफ गूंज रहा था.

संस्कृति से जुड़ने का एक जरिया

पुष्कर मेला अपनी चहल-पहल, लोक संगीत, पारंपरिक पोशाकों और मेले की रौनक के लिए मशहूर है. लेकिन इस बार कबड्डी मैच ने इसमें एक नया आयाम जोड़ दिया. विदेशी खिलाड़ी सिर्फ खेल नहीं रहे थे, बल्कि वे हमारी भारतीयता और राजस्थानी परंपरा को अपनाने की कोशिश कर रहे थे.

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राजस्थानी संस्कृति से उनका यह जुड़ाव देखने लायक रहा. मैच के बाद, विदेशी खिलाड़ियों ने स्थानीय टीम के खिलाड़ियों से हाथ मिलाते हैं, उत्साहित होकर फोटो लेते हैं, और देसी कबड्डी का सम्मान करते हैं. कई तो कहते हैं - "इंडियन कबड्डी इज अमेज़िंग, वी ट्राय नॉट टु गिव अप!"

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भारतीय संस्कृति का गर्व

यह आयोजन साबित करता है कि खेल केवल प्रतिस्पर्धा नहीं, बल्कि संस्कृति से जुड़ने का माध्यम भी हो सकता है. पुष्कर मेला हमेशा से भारत की विविधता और परंपरा का दर्पण रहा है और इस बार यह कबड्डी मैच उस दर्पण में एक नई तस्वीर जोड़ गया - सांस्कृतिक मेलजोल, दोस्ती और अपनत्व की.

ऐसे पल ही वो हैं जो बताते हैं कि भारत की पहचान सिर्फ त्योहारों और इतिहास में नहीं, बल्कि उसकी जीवंत परंपराओं और खेलों में भी बसती है.

राजस्थान की रेतीली धरती पर जब विदेशी और देसी खिलाड़ी एक साथ झुके तो लगा कि लगा मानो खेल के ज़रिए भारत ने दुनिया को एक नया संदेश दिया हो - 'हम सब एक हैं, और संस्कृति हमारी साझा ताकत है.'

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