जयपुर के नीरजा मोदी स्कूल में कक्षा 4 की मासूम अमायरा के सुसाइड के बाद उसके परिवार की पूरी दुनिया उजाड़ दी है. गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान मां का दर्द शब्दों में ढल गया, लेकिन हर वाक्य में एक टीस, एक कसक, और एक अपूरणीय खो का एहसास साफ झलकता रहा. लेकिन अब अपनों की चुप्पी और सिस्टम की लापरवाही से टूटा परिवार इंसाफ की लड़ाई सड़क पर उतरकर लड़ेगा. 22 नवंबर को जयपुर में कैंडल मार्च निकाला जाएगा, जिसमें परिजन और अभिभावक चार घंटे का मौन-व्रत रखकर न्याय की मांग करेंगे.
पीसी में बिलखती मां ने बेहद टूटे हुए स्वर में कहा, ''हर सुबह यही सोचकर आंख खुलती है कि काश! उस दिन उसे स्कूल नहीं भेजा होता…काश! जयपुर शिफ्ट होने के बाद उसका एडमिशन नीरजा मोदी स्कूल में न कराया होता…' आज हमारे जीवन में बस ‘काश’ ही बचे हैं.
उनकी आंखों से बहते आंसू जैसे हर 'काश' के साथ यह सवाल भी पूछ रहे थे कि आखिर एक सुरक्षित माहौल देने का दावा करने वाला स्कूल एक नन्ही बच्ची की जिंदगी कैसे निगल गया.
अमायरा के पिता विजय ने स्कूल प्रशासन को सीधा जिम्मेदार ठहराते हुए कहा. ''स्कूल की लापरवाही ने मेरी बच्ची की जान ले ली. जब तक नीरजा मोदी स्कूल की मान्यता रद्द नहीं होगी, हमारी अमायरा के लिए न्याय अधूरा रहेगा.'' उन्होंने बताया कि न तो शिक्षा विभाग और न ही पुलिस दोनों से किसी भी तरह का स्पष्ट जवाब नहीं मिला है.
मृत बच्ची के पिता ने एक हैरान करने वाला खुलासा करते हुए कहा, ''एक अधिकारी ने मुझसे पूछा कि क्या बच्ची ने हेलोवीन पर कुछ देखा था? कोई सपना आया था?''
उन्होंने कहा, ''क्या यही जांच का तरीका है? क्या ऐसे सवाल एक पिता से पूछे जाते हैं जिसकी बच्ची अब इस दुनिया में नहीं है.'' विजय ने कहा कि FIR होने के बावजूद पुलिस मामले की प्रगति बताने को तैयार नहीं.