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'हिल स्टेशन या तीर्थ स्थल?' माउंट आबू के नाम बदलने पर उठे सवाल, विरोध में उतरे संगठन

राजस्थान के माउंट आबू का नाम बदलकर 'अबूराज तीर्थ' करने और मांस और शराब पर प्रतिबंध लगाने की सरकारी कोशिशों से राजनीतिक और सामाजिक विवाद उत्पन्न हो गया है. स्थानीय व्यापारी और लोग प्रस्ताव का विरोध कर रहे हैं. 23 संगठनों ने मिलकर मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा को ज्ञापन सौंपा है. 

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माउंट आबू का नाम बदलने को लेकर राजस्थान में मचा बवाल (फोटो क्रेडिट - राजस्थान टूरिज्म)
माउंट आबू का नाम बदलने को लेकर राजस्थान में मचा बवाल (फोटो क्रेडिट - राजस्थान टूरिज्म)

राजस्थान के सिरोही जिले में स्थित हिल स्टेशन माउंट आबू का नाम बदलने की कोशिशों ने प्रदेश में राजनीतिक और सामाजिक तूफान खड़ा कर दिया है. ऐसा प्रस्ताव लाया गया है कि माउंट आबू का नाम बदलकर ‘अबूराज तीर्थ’ कर दिया जाना चाहिए. साथ ही मांस और शराब पर प्रतिबंध लगाने को लेकर प्रस्ताव लाया गया है, जिसका जमकर विरोध हो रहा है. स्थानीय लोगों और व्यापारियों का कहना है कि ऐसा करने से व्यवसाय पर बुरा असर पड़ेगा और लोग पलायन के लिए मजबूर हो जाएंगे.

कहां से शुरू हुआ मामला?

डिपार्टमेंट ऑफ लोकल सेल्फ गवर्नमेंट ने नगर परिषद आयुक्त से अप्रैल 2025 में माउंट आबू का नाम बदलने और मांस-शराब पर प्रतिबंध लगाने को लेकर टिप्पणी मांगी थी. 

सितंबर 2024 में नगर परिषद की बैठक में इस संबंध में प्रस्ताव पास हुआ था और इसे प्रदेश की सरकार को भेजा गया था. हालांकि, प्रस्ताव अभी भी लंबित है. इस पर कोई भी फैसला नहीं लिया गया है.

धार्मिक कारण या आर्थिक नुकसान?

नगर परिषद की बैठक में प्रस्ताव का तर्क दिया गया कि माउंट आबू धार्मिक रूप से बेहद ही महत्वपूर्ण है. इसलिए इसका नाम बदलकर ‘अबूराज तीर्थ’ कर दिया जाना चाहिए.

स्थानीय लोगों कर रहे विरोध

स्थानीय संगठन, व्यापारी और होटल व्यवसायी नगर परिषद के प्रस्ताव का विरोध कर रहे हैं. इन लोगों का कहना है कि माउंट आबू दुनियाभर में प्रसिद्ध नाम है. ऐसे में नाम बदलने से पर्यटकों के बीच भ्रम पैदा होगा. 

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गुजरात से बड़ी संख्या में लोग यहां आते हैं और अपनी छुट्टियों को एंजॉय करते हैं. ऐसे में मांस और शराब के प्रतिबंध होने से वो लोग कहीं और छुट्टियां मनाने चले जाएंगे.

मांस और शराब के प्रतिबंध होने से पर्यटकों की संख्या घट जाएगी, जिसका असर स्थानीय कारोबार पर होगा. 

कौन कर रहा है प्रस्ताव का विरोध?  

माउंट आबू का नाम बदलने, मांस और शराब पर प्रतिबंध लगाने को लेकर 23 संगठनों ने मिलकर मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा को ज्ञापन सौंपा है. 

ये प्रमुख संगठन इस प्रस्ताव का विरोध कर रहे हैं - माउंट आबू होटल एसोसिएशन, सिंधी सेवा समाज, मुस्लिम औक़ाफ़ कमेटी, नक़्की झील व्यापार संस्था और स्ट्रीट वेंडर कमेटी. 

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आर्थिक प्रभाव की चेतावनी

माउंट आबू होटल एसोसिएशन के सचिव सौरभ गंगाडिया ने कहा है कि प्रतिदिन यहां पांच से छह हजार पर्यटक आते हैं. 15 हजार लोग पर्यटन पर निर्भर हैं. ऐसे में अगर पर्यटन कम होता है तो बेरोजगारी बढ़ेगी और लोग पलायन करने को मजबूर हो जाएंगे. 

सड़क विक्रेता समिति सचिव ने कहा है कि माउंट आबू का नाम बदलना और प्रतिबंध लगाने से पूरी आबादी को भारी नुकसान पहुंचेगा. 
 

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