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सुप्रीम कोर्ट के बाद राजस्थान हाईकोर्ट भी सख्त, आवारा कुत्तों पर छिड़ा विवाद!

राजस्थान हाईकोर्ट ने बढ़ती डॉग बाइट घटनाओं पर सख्ती दिखाते हुए जयपुर, जोधपुर और उदयपुर नगर निगमों को आवारा कुत्तों को पकड़कर शेल्टर होम भेजने का आदेश दिया है. आदेश के बाद रेस्क्यू अभियान तेज हुआ, लेकिन एनिमल लवर्स इसे क्रूरता बताते हुए वैक्सीनेशन, स्टरलाइजेशन और एडॉप्शन को असली समाधान मान रहे हैं.

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राजस्थान में आवारा कुत्तों पर छिड़ा विवाद.(Photo: Vishal Sharma/ITG)
राजस्थान में आवारा कुत्तों पर छिड़ा विवाद.(Photo: Vishal Sharma/ITG)

देशभर में लगातार बढ़ती डॉग बाइट घटनाओं को देखते हुए अदालतें अब सक्रिय हो गई हैं. सुप्रीम कोर्ट के बाद अब राजस्थान हाईकोर्ट ने भी इस पर सख्ती दिखाते हुए जयपुर, जोधपुर और उदयपुर नगर निगमों को आवारा कुत्तों को पकड़कर शेल्टर होम भेजने के निर्देश दिए हैं. आदेश के बाद नगर निगम ने रेस्क्यू ऑपरेशन तेज कर दिया है. हालांकि, इस कार्रवाई को लेकर अब विवाद भी खड़ा हो गया है.

दरअसल, जयपुर नगर निगम की रेस्क्यू टीम लगातार शहर में सर्च अभियान चला रही है. शिकायत मिलने पर आक्रामक कुत्तों को पकड़कर शेल्टर होम ले जाया जा रहा है. ग्रेटर नगर निगम के रेस्क्यू ऑफिसर डॉ. राकेश कालोनिया ने बताया, सुप्रीम कोर्ट की पुरानी गाइडलाइन के मुताबिक आक्रामक कुत्तों को पकड़कर 72 घंटे ऑब्जरवेशन में रखा जाता है. 

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यदि डॉग रैबीज पॉजिटिव पाया जाता है तो कुछ दिनों में उसकी मौत हो जाती है, अन्यथा उसका वैक्सीनेशन कर उसे वापस उसी इलाके में छोड़ दिया जाता है. उन्होंने बताया कि हाल के दिनों में डॉग बाइट शिकायतों में भारी इजाफा हुआ है, जिसके चलते रेस्क्यू ऑपरेशन की संख्या बढ़ाई गई है. वहीं, यह कार्रवाई एनिमल लवर्स को नागवार गुजर रही है.

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उनका तर्क है कि एक की गलती की सजा सभी कुत्तों को देना क्रूरता है. उनका मानना है कि समस्या का समाधान केवल पकड़ने में नहीं, बल्कि वैक्सीनेशन, स्टरलाइजेशन और एडॉप्शन जैसी योजनाओं में है. एनिमल लवर्स का कहना है कि यह संघर्ष अब इंसान बनाम जानवर नहीं, बल्कि सुरक्षा बनाम संवेदनशीलता की लड़ाई बन चुका है.

हाईकोर्ट के आदेश के बाद नगर निगम सक्रिय

राजस्थान में हाल के महीनों में कई डॉग बाइट की घटनाएं सामने आई हैं. कहीं मासूम बच्चों को काटने की खबरें आईं, तो कहीं बुजुर्गों पर हमला हुआ. इन घटनाओं से आमजन में डर का माहौल है. वहीं, पशु अधिकारों को लेकर काम करने वाले लोग कहते हैं कि इंसानों और जानवरों के बीच संतुलन बनाए बिना समस्या का हल संभव नहीं है. फिलहाल हाईकोर्ट के आदेश के बाद नगर निगम सक्रिय हो गया है.

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