धौलपुर कभी डकैतों के साये के लिए बदनाम था, लेकिन अब यह जिला संवैधानिक मूल्यों की रोशनी में अपनी नई पहचान गढ़ रहा है. जिला परिषद के सीईओ निवृत्ति अवहद सोमनाथ, आईएएस के नेतृत्व में चल रहा चंद्रज्योति अभियान शिक्षा, नागरिक भागीदारी और लोकतांत्रिक मूल्यों को रोजमर्रा की जिंदगी में उतारने की अनूठी पहल है.
अभियान का केंद्र संविधान की प्रस्तावना है. जिले के 350 से अधिक विद्यालयों में पचास हजार से ज्यादा बच्चे अब सुबह की प्रार्थना में प्रस्तावना का वाचन करते हैं. बाल संसद और बहस प्रतियोगिताओं से न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व का अभ्यास किया जा रहा है. 750 से अधिक प्रशिक्षित शिक्षक कक्षा में संविधान को जीवंत बना रहे हैं.
350 से अधिक विद्यालयों में पचास हजार से ज्यादा बच्चे
स्कूलों से आगे यह पहल ग्राम सभाओं, बाल-मित्र पंचायतों और सार्वजनिक आयोजनों तक फैल रही है. जिला परिषद कार्यालय की दीवारों पर बने संविधान ऑन द वॉल जैसे भित्तिचित्र कठिन अनुच्छेदों को भी सरल बना रहे हैं. सबसे अभिनव पहल डिजिटल संविधान घर है. पुराने भवनों को समुदाय की भागीदारी से डिजिटल पुस्तकालयों में बदला गया है, जिनमें वाई-फाई, कंप्यूटर, स्मार्ट टीवी, प्रिंटर और सौर ऊर्जा जैसी सुविधाएं हैं.
जिले में अब तक बन चुकी हैं 18 डिजिटल लाइब्रेरियां
धौलपुर में अब तक 18 डिजिटल लाइब्रेरियां बन चुकी हैं, 10 पर काम जारी है और अगले चरण में 35 से 40 और बनाने की योजना है. इनका संचालन ग्राम सभा और पंचायत करती हैं. मैनेजमेंट कमेटियों में शिक्षक, महिला स्वयं सहायता समूह और जनप्रतिनिधि शामिल हैं. चंद्रज्योति अभियान साबित कर रहा है कि जब संविधान किताबों से निकलकर चौपाल तक पहुंचता है, तब लोकतंत्र सच में जीवित और सशक्त होता है.