
राजस्थान में एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) के नए मुखिया के एक आदेश को लेकर हंगामा मच गया था. विपक्ष तो विपक्ष, सत्ताधारी दल के ही विधायकों ने अधिकारी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था. विवाद बढ़ता देख एसीबी के महानिदेशक का अतिरिक्त प्रभार संभाल रहे अतिरिक्त महानिदेशक हेमंत प्रियदर्शी ने विवादित आदेश वापस ले लिया है.
एसीबी कार्यालय की ओर से उस आदेश को वापस लिए जाने के संबंध में महानिदेशक का अतिरिक्त प्रभार संभाल रहे हेमंत प्रियदर्शी का पत्र जारी किया गया है. हेमंत प्रियदर्शी के हस्ताक्षर से जारी इस पत्र में कहा गया है कि पकड़े गए आरोपी या संदिग्ध का नाम या फोटो सार्वजनिक नहीं करने को लेकर 4 जनवरी को जारी आदेश तत्काल प्रभाव से वापस लिया जाता है.
गौरतलब है कि राजस्थान सरकार ने एसीबी के अतिरिक्त महानिदेशक प्रथम को महानिदेशक का अतिरिक्त प्रभार सौंपा था. एसीबी महानिदेशक का अतिरिक्त प्रभार संभालने के बाद हेमंत प्रियदर्शी ने एक आदेश जारी किया था जिसमें कहा गया था कि रिश्वतखोरी के आरोप में पकड़े गए किसी भी अधिकारी या कर्मचारी की फोटो या नाम सार्वजनिक नहीं किया जाएगा.

एसीबी महानिदेशक का अतिरिक्त प्रभार संभालने के बाद उन्होंने कहा था कि रिश्वतखोरी के आरोपी का नाम या फोटो तब तक जारी नहीं किया जाएगा, जब तक कि कोर्ट में उसके खिलाफ दोष सिद्ध नहीं हो जाएगा. एसीबी के महानिदेशक (अतिरिक्त प्रभार) के इस आदेश पर हंगामा खड़ा हो गया था. सत्ताधारी कांग्रेस के नेताओं ने भी इसे लेकर हेमंत प्रियदर्शी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था.
सांगोद सीट से कांग्रेस के विधायक भरत सिंह कुंदनपुर ने एसीबी के मुखिया के इस कदम को भ्रष्ट अधिकारियों को संरक्षण देने वाला बताया था. भरत सिंह कुंदनपुर ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर हेमंत प्रियदर्शी के इस कदम का विरोध करते हुए यहां तक कह दिया था कि इस तरह की मानसिकता वाला अधिकारी एसीबी का मुखिया रहने लायक नहीं है.
भरत सिंह कुंदनपुर ने सीएम गहलोत को लिखे पत्र में कहा था कि ये अधिकारी सरकार के शून्य भ्रष्टाचार के नारे को चुनौती दे रहा है. उन्होंने हेमंत प्रियदर्शी को पद से हटाने की मांग करते हुए कहा था कि एसीबी के मुखिया के पद पर किसी अच्छे और ईमानदार अधिकारी को नियुक्त किया जाए.