अपने पिता की हसरतें, चाहतें, अरमान, सपने सब जानती हैं पंकजा. वक्त ने तो अनहोनी उसके पिता गोपीनाथ मुंडे के साथ कर दी, लेकिन अब उनके उसूलों को, आदर्शों को अपनी प्रेरणा बनाना चाहती है एक बिटिया. वंश बेटे चलाते हैं, इन रस्मों-रिवाज़ों को तोड़कर, विधि विधान के साथ पिता को मुखाग्नि भी पंकजा ने ही दी.