
लड़कियों के ख्वाब में राजकुमार आते हैं, चपरासी या सफाईकर्मी नहीं... यह लाइन कितनी ही बार लोगों ने सुनी होगी. हकीकत भी इससे परे नहीं है. हाल ही में ज्योति और आलोक के मामले के बाद एक बार फिर ऐसी चर्चाओं का दौर शुरू हो गया जिसमें अनगिनत 'बेवफाई' के किस्से कहे जाने लगे हैं. लेकिन आलोक सिर्फ एक व्यक्ति नहीं है जिसके साथ ऐसा हुआ, बल्कि सोशल मीडिया पर जब चर्चाओं का दौर शुरू हुआ तो ऐसे कई आलोक देखने को मिले. हमारे आसपास भी ऐसी कहानियों की भरमार है. लेकिन मैं यहां आलोक या उनकी पत्नी के बीच के मामले पर चर्चा नहीं करना चाहता, यह एक घोर पारिवारिक मामला है. मेरा ध्यान तो आलोक के उस बयान की एक लाइन ने अपनी तरफ खींचा जिसे उन्होंने मीडिया के सामने दिया. और जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है.
आलोक का जो वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है उसमें उन्होंने कई बातें शेयर कीं, उन्हीं बातों में उन्होंने बताया कि मामला इतना बढ़ चुका है कि ज्योति उनसे कहती हैं, 'स्वेच्छा से तलाक दे दो नहीं तो मैं कोर्ट जाऊंगी. मैं तुम्हारे ऊपर 376, अन्य धाराएं लगाकर पूरे परिवार को बर्बाद कर दूंगी, जेल भेज दूंगी. तलाक लेकर रहूंगी.' जिसके बाद ज्योति मौर्य ने पति और ससुराल वालों के खिलाफ दहेज उत्पीड़न समेत कई गंभीर मामलों में धूमनगंज थाने में शिकायत दर्ज करवाई है. इतना ही नहीं पुलिस ने आलोक पर दहेज उत्पीड़न मामले की जांच तेज कर दी है.
'मेरी इच्छा की पूर्ति हो नहीं तो कोर्ट जाऊंगी, दहेज़ का मामला दर्ज करवा दूंगी, पूरे परिवार को बर्बाद कर दूंगी, जेल भेज दूंगी...', एक समय पर जिन कानून को बनाने की वजह महिलाओं के साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ उन्हें इंसाफ दिलाना रहा, अब महिलाएं उन्हीं कानूनों का इस्तेमाल पुरुषों के खिलाफ हथियार के तौर पर भी कर रही हैं. दहेज और मारपीट के तहत मामला दर्ज करवा दिया जाना बेहद आम होता जा रहा है. और यही कानून पति या उसके परिवार को धमकाने का जरिया भी बन गए हैं.
ऐसे में अगर भारत में धारा 498A के तहत दर्ज होने वाले मामलों की बात करें तो यह सालाना बढ़ते जा रहे हैं. हर साल महिलाओं के खिलाफ अपराध के जितने मामले दर्ज होते हैं, उनमें से 30% से ज्यादा धारा 498A के ही होते हैं. नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की रिपोर्ट के मुताबिक, 2021 में धारा 498A के तहत देशभर में 1.36 लाख से ज्यादा मामले दर्ज किए गए थे. जबकि, इससे एक साल पहले 2020 में 1.11 लाख मामले दर्ज किए गए थे.
लेकिन धारा 498A के मामलों में कन्विक्शन रेट देखें तो सिर्फ 100 में से 17 केस ही ऐसे हैं जिनमें दोषी को सजा मिलती है. 2021 में अदालतों में धारा 498A के 25,158 मामलों में ट्रायल पूरा हुआ था. इनमें से 4,145 मामलों में ही आरोपी पर दोष साबित हुआ था. बाकी मामलों में या तो समझौता हो गया था या फिर आरोपी बरी हो गए थे. यहां मैं साफ़ कर दूं कि इस कानून का किसी भी सूरत में विरोध नहीं कर रहा हूं बल्कि यह बताने का प्रयास कर रहा हूं कि इसी के ज़रिये कई बार निर्दोष भी शिकार हो जाते हैं. जैसे जिस चाकू का इस्तेमाल सब्जियां और फल काटने में हो रहा है, वैसे ही उसी से कत्ल भी हो रहे हैं.
तलाशेंगे तो ऐसे एक नहीं बल्कि कई मामले मिल जाएंगे...
दहेज़ के फेक मामलों से जुड़ा एक वाकया बताता हूं- मेरी पहचान में एक युवक है. कॉलेज से इंजीनियरिंग पूरी करने के बाद, घरवालों ने शादी का दबाव देना शुरू कर दिया. अब तो अच्छा कमाते हो, जीवन को आगे बढ़ाना चाहिए... जैसे तमाम उदाहरण देकर घरवालों ने शादी के फैसले पर उसकी हामी ले ली. और शादी भी हो गयी. लेकिन कुछ समय बाद लड़के के हाथ कुछ ऐसे कागज़ लगे जिसके बाद उसके होश उड़ गए. ये सभी कागज़ लड़की के मेडिकल ट्रीटमेंट से जुड़े थे. जिनके मुताबिक लड़की मेंटली स्टेबल नहीं थी, जिसको लेकर उसका इलाज चल रहा था.
इन कागजों के मिलने के बाद जब लड़के ने लड़की वाले के परिवार से पूछा कि आपने यह सब पहले क्यों नहीं बताया तो लड़की के परिवार का कहना था कि अब हमसे कोई मतलब नहीं. शादी कर दी, तुम संभालो. अब बात लड़की के सबसे बड़े राज को छिपा कर शादी कर देने की थी. सो दोनों परिवारों में बातचीत बहस में बदल गयी. यह बहस कब विवाद में बदल गई पता ही नहीं चला. बात यहां तक आ गई कि लड़की वालों ने लड़के वालों के खिलाफ दहेज़ के आरोप में मामला दर्ज करवा दिया. विक्षिप्त लड़की के साथ झूठ बोलकर शादी का मामला अब दहेज़ आरोप में बदल चुका था.
एक लंबे समय तक चली कचहरी की दौड़ इस बात पर आकर रुकी कि सब कुछ सेटल हो जाएगा, बस इसके बदले हमें 50 लाख रुपए दे दिए जाएं. यह मांग लड़की के परिवार की थी. यह एक बड़ी मांग थी, जिस परिवार ने शादी में एक भी रुपया दहेज़ नहीं लिया उसे अब दहेज़ के मामले में बरी होने के लिए पचास लाख चुकाने की शर्त रख दी गई. यह मामला भी काफी समय चला और अंत में 25 लाख पर जाकर ख़त्म हो गया. लड़के के परिवार से 25 लाख रुपए लेकर लड़की के घरवालों ने मामला सेटल कर दिया. ऐसी सिर्फ एक कहानी नहीं है, आप अगर तलाशेंगे तो पाएंगे कि ऐसी कई कहानियां हैं जो आपके इर्द गिर्द ही हैं.
हाल ही में ओडिशा हाईकोर्ट ने भी आईपीसी की धारा 498A के 'दुरुपयोग' पर अहम टिप्पणी की थी. एक मामले की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि धारा 498A का दुरुपयोग अक्सर पति के परिवार पर दबाव बनाने के लिए किया जाने लगा है. हालांकि दहेज़ हत्याओं के आंकड़ें भी हैरान करने वाले हैं, लेकिन इसे भी झुटलाया नहीं जा सकता कि 498A का इस्तेमाल एक हथियार की तरह भी हो रहा है. आप सोशल मीडिया खोल लें, तो पाएंगे कि इसी धारा के फेर में ऐसे अनगिनत पुरुष भी फंसे हुए हैं, जिन्होंने एक रुपया तक दहेज़ नहीं लिया और न ही कोई उत्पीड़न किया, लेकिन आरोप लगाने वाली पत्नी को मेंटिनेंस देने के लिए अपने पुरखों की ज़मीन तक बेचनी पड़ गयी, कंगाल हो गए.