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बिहार के जोश के साथ बंगाल के लिए बीजेपी का ऐलान-ए-जंग, ममता बनर्जी को बड़ी चुनौती

बिहार के बाद बीजेपी अब पश्चिम बंगाल में सत्ता पर काबिज होने की कोशिश में जुट गई है. ममता बनर्जी अपनी तरफ से पहले से ही तैयारी में जुटी हुई हैं, लेकिन बीजेपी को ये भी समझना होगा कि बिहार और पश्चिम बंगाल के राजनीतिक मिजाज और हालात में लंबा फासला है.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बंगाल फतह का ऐलान कर दिया है, और ममता बनर्जा पहले से ही मोर्चे पर डटी हुई हैं. (Photo: PTI)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बंगाल फतह का ऐलान कर दिया है, और ममता बनर्जा पहले से ही मोर्चे पर डटी हुई हैं. (Photo: PTI)

ममता बनर्जी के लिए खतरे के संकेत तो 2025 के शुरू में ही मिल गए थे. दिल्ली विधानसभा चुनाव के बाद से ही बीजेपी की नजर पश्चिम बंगाल पर टिकी हुई है. और, तैयारियों की शुरुआत भी दिल्ली चुनाव के बाद ही हो गई थी - बस, किसी बात का इंतजार था, तो बिहार चुनाव के नतीजों का. 

और, बीजेपी दफ्तर में जीत के जश्न के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी साफ कर दिया कि बिहार के बाद अब बंगाल की ही बारी है. अव्वल तो बीजेपी के लिए दिल्ली जैसी चुनौतियां पश्चिम बंगाल में ही हैं, क्योंकि अब तक वो बंगाल में सत्ता हासिल नहीं कर सकी है. 

केंद्र की सत्ता पर काबिज होने के 10 साल बाद बीजेपी को दिल्ली में सफलता मिल पाई, पश्चिम बंगाल में भी तभी प्रयास जारी हैं. 2019 के आम चुनाव में उम्मीद की एक किरण भी जगी थी, लेकिन 2021 में सारे उपाय करने के बाद भी बीजेपी 77 सीटों पर ही सिमट कर रह गई. 

तब प्रशांत किशोर ने दावा किया था कि बीजेपी की 100 सीटें भी नहीं आएंगी. बंगाल चुनाव 2021 में प्रशांत किशोर टीएमसी के चुनावी रणनीतिकार हुआ करते थे. बंगाल चुनाव में तो प्रशांत किशोर की भविष्यवाणी सही हुई, लेकिन बिहार चुनाव में वो चूक गए. इस बार प्रशांत किशोर ने जेडीयू के 25 सीटों पर सिमट जाने का दावा किया था. मालूम हुआ, नीतीश कुमार की जेडीयू को तो 85 सीटें मिल गई, लेकिन तेजस्वी यादव की आरजेडी 25 पर ऑलआउट हो गई. बिहार चुनाव में प्रशांत किशोर अपनी जन सुराज पार्टी के साथ खुद भी चुनाव लड़ रहे थे. लेकिन, जीरो बैलेंस पर मन मसोस कर रह गए. पहले ही उपचुनाव में 10 फीसदी वोट हासिल करने वाले प्रशांत किशोर काफी पीछे रह गए.

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ममता बनर्जी के लिए खतरा तो दिल्ली चुनाव के रिजल्ट के साथ ही बढ़ गया था, बीजेपी के बिहार जीत लेने के बाद खतरे में इजाफा ही हुआ है - फिर भी सवाल ये है कि बीजेपी का दिल्ली और बिहार एक्सपेरिमेंट पश्चिम बंगाल में कितना कारगर हो पाएगा?

बिहार चुनाव नतीजों के हिसाब से तो अगला खतरा ममता बनर्जी के सामने है

दिल्ली के बीजेपी मुख्यालय में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पार्टी कार्यकर्ताओं से कहा कि बीजेपी बिहार के बाद अब बंगाल में सरकार बनाएगी. बोले, गंगा बिहार से बंगाल तक बहती है... बिहार ने बंगाल में भाजपा की जीत का मार्ग प्रशस्त किया है... बंगाल से भी 'जंगलराज' को हटाएंगे.

मोदी ने कहा, मैं बंगाल के भाइयों और बहनों को भी बधाई देता हूं... अब आपके साथ मिलकर भाजपा पश्चिम बंगाल से भी जंगल राज को उखाड़ फेंकेगी. और, बताया कि बिहार की जीत ने केरल, तमिलनाडु, पुड्डुचेरी, असम और पश्चिम बंगाल के भाजपा कार्यकर्ताओं में ऊर्जा भर दी है... बिहार ने बंगाल में भाजपा की जीत का मार्ग भी प्रशस्त किया है.

मतलब, अब बंगाल में भी बीजेपी के कैंपेन में जंगलराज गूंजेगा. पिछले चुनाव में बीजेपी ने पश्चिम बंगाल में भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाते हुए ममता बनर्जी को कठघरे में खड़ा कर दिया था, लेकिन ममता बनर्जी ने तमाम पैंतरे अपनाते हुए बीजेपी को आगे बढ़ने से रोक दिया था. 

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बीजेपी अपने अलग अलग प्लान के साथ आगे बढ़ने की कोशिश कर रही है. पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी अभी से लोगों को सिंगूर विवाद की याद दिलाने लगे हैं. शुभेंदु अधिकारी लोगों से वादा कर रहे हैं कि बीजेपी सत्ता में आने पर टाटा ग्रुप को वापस बंगाल लाया जाएगा. 

बिहार चुनाव में मुद्दा बने पलायन को शुभेंदु अधिकारी बंगाल में भी आजमाने की कोशिश में लग रहे हैं. लगता है बीजेपी का इरादा तृणमूल कांग्रेस को पलायन और रोजगार के मुद्दे पर घेरने का है. लेकिन, तैयार तो ममता बनर्जी भी लगती हैं. कभी ममता बनर्जी के बेहद करीबी रहे शुभेंदु अधिकारी को बीजेपी ने पिछले चुनाव से पहले अपने पाले में मिला लिया था. हालात ये बन गए कि ममता बनर्जी को शुभेंदु अधिकारी के खिलाफ नंदीग्राम से चुनाव मैदान में भी उतरना पड़ा, और हार का मुंह भी देखना पड़ा था. 

दूसरे राज्यों से बंगाल के लोगों को वापस बुलाने के लिए ममता बनर्जी तो पहले से ही भाषा आंदोलन चला रही हैं. प्रवासी मजदूरों से ममता बनर्जी कह चुकी हैं कि वे पश्चिम बंगाल लौट आएं, और सरकार उनके लिए जरूरी इंतजाम करेगी. अगर लौटने में भी कोई असुविधा होती है, तो राज्य सरकार मदद के लिए तैयार है.

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ममता बनर्जी बीजेपी शासित राज्यों में प्रवासी मजदूरों के साथ बांग्ला भाषा बोलने के कारण भेदभाव और परेशान करने का आरोप लगा रही हैं - और अलग अलग तरीके से भाषा आंदोलन चला रही हैं. 

ममता बनर्जी की बंगाल में मोर्चेबंदी

1. SIR के खिलाफ तो ममता बनर्जी पहले ही सड़क पर उतर चुकी हैं. अपना पसंदीदा मार्च भी कर चुकी हैं. जब भी ममता बनर्जी को किसी चीज का विरोध करना होता है, तो वो ऐसे ही अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ मार्च करती हैं. एसआईआर के खिलाफ भी वैसा ही किया है. 

बिहार की तरह एसआईआर का काम पश्चिम बंगाल में भी शुरू हो चुका है, और बीएलओ की तरफ से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को भी संबंधित फार्म दिया जा चुका है. 

बिहार में चुनावों से पहले एसआईआर का जोरदार विरोध हुआ, लेकिन बाद में तो यही देखने को मिला कि कोई नामलेवा भी नहीं है. बिहार में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने तेजस्वी यादव के साथ वोटर अधिकार यात्रा निकाली, और वोट चोरी का आरोप लगाकर चुनाव आयोग को टार्गेट करते हुए प्रधानमंत्री मोदी पर हमला बोला था. 

2. ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार की तरफ से दार्जिलिंग पहाड़ियों के गोरखा मसले पर इंटरलॉक्यूटर की नियुक्ति पर कड़ी आपत्ति जताई है. मुख्यमंत्री की तरफ से इस सिलसिले में प्रधानमंत्री के एक पत्र भी लिखा गया है. ममता बनर्जी ने नियुक्ति को असंवैधानिक करार दिया है. 

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ममता बनर्जी का आरोप है कि केंद्र सरकार ने ये कदम पश्चिम बंगाल सरकार से सलाह मशविरा किए बगैर उठाया है. कहा है, ये पूरी तरह असंवैधानिक, केंद्र के अधिकार क्षेत्र से बाहर और कानूनी रूप से वैध नहीं है. 

बीजेपी की तैयारी अपनी जगह है, और ममता बनर्जी के लिए खतरनाक भी है. लेकिन बिहार और पश्चिम बंगाल में बहुत सारे फर्क भी हैं. बिहार में बीजेपी जेडीयू के साथ सत्ता में बनी हुई है, लेकिन पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी से लड़ाई लड़नी है. 

हां, दिल्ली और पश्चिम बंगाल का मामला बीजेपी के हिसाब से एक जैसा हो सकता है. 2025 से पहले तक बीजेपी के लिए दिल्ली भी पश्चिम बंगाल की ही तरह बड़ी चुनौती बना हुआ था. लेकिन, बीजेपी नेतृत्व को ये भी नहीं भूलना चाहिए कि अरविंद केजरीवाल और ममता बनर्जी में बड़ा फर्क है. देखना है, बीजेपी पश्चिम बंगाल में दिल्ली जैसे प्रयोग करती है क्या? 

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