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ड्रामा, सस्पेंस और इमोशन... महान कलाकार धर्मेंद्र की यूं खामोश विदाई खलेगी

धर्मेंद्र पिछले सात दशक से लगातार अपनी फिल्‍मों के जरिये अपने दौर के युवाओं के रोल मॉडल रहे. हिट फिल्में देते रहे हैं. आज कई पीढ़ियों के लोग उनके निधन और ताबड़तोड़ अंतिम संस्‍कार कर दिए जाने की खबर से हैरान हैं. इतने महान कलाकार और पद्मभूषण से सम्‍मानित धर्मेंद्र के अंतिम दर्शन न कर पाने का मलाल हमेशा रहेगा.

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धर्मेंद्र का अंतिम दर्शन न हुआ, लेकिन वे यादों में सदा बने रहेंगे.
धर्मेंद्र का अंतिम दर्शन न हुआ, लेकिन वे यादों में सदा बने रहेंगे.

रहने को सदा दहर में आता नहीं कोई, तुम जैसे गए ऐसे भी जाता नहीं कोई.

हिंदी फिल्मों के महान कलाकार धर्मेंद्र के निधन पर श्रद्धांजलि देते हुए एक एक्स यूजर कैफी आजमी के इस शेर को कोट करते हुए लिखतीं हैं कि वह अपनी अंतिम यात्रा में एक राष्ट्रीय नेता के तरह सम्मान के हकदार थे. उन्हें एक गहरे रंग की शीशों वाली एंबुलेंस में ले जाना बेहद अपमानजनक और दिल तोड़ देने वाला लगा. हिंदी फिल्मों में ही-मैन और ग्रीक गॉड के नाम से लोकप्रिय इस कलाकार के चले जाने से प्रशंसक मातम में हैं, पर उनके दुख को और गहरा कर रहा है अपने प्रिय कलाकार का अंतिम दर्शन न पाना.

दरअसल जाना तो एक दिन सभी को होता है. पर उनके प्रशंसकों को यह बात खल गई है कि उनकी अंतिम यात्रा को वो सम्मान क्यों नहीं मिला जिसके वे हकदार थे. धर्मेंद्र की लोकप्रियता अपने समय के सबसे बड़े सुपर स्टारों से भी कहीं ज्यादा थी. राजेश खन्ना और अमिताभ बच्चन के सुपर स्टारडम के समय में भी जब बॉलीवुड बड़ी फिल्में बनाता था उसमें धर्मेंद्र कंपल्सरी होते थे. धर्मेंद्र के बिना किसी बड़ी की कल्पना करना उस दौर में संभव ही नहीं था.

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याद करिए जुगनू, शालिमार, यादों की बारात, चरस, शोले, मेरा गांव मेरा देश, रजिया सुल्तान, द बर्निंग ट्रेन आदि दर्जनों ऐसी फिल्में हैं जो अपने समय की सबसे महंगी फिल्में थीं. जब ये फिल्में बनीं तो राजेश खन्ना और अमिताभ बच्चन का जमाना था. पर बड़ी फिल्मों के नायक धर्मेंद्र ही होते थे. शायद यही कारण था कि सदी की महातनम फिल्म शोले में सदी के महानायक अमिताभ से अधिक स्क्रीन प्रजेंस उन्हें मिला था.  

महान कलाकार धर्मेंद्र के लिए अपनी भावना लिखें इस श्रद्धांजलि लिंक पर.
 
फिल्म इंडस्ट्री में धर्मेंद्र के रिश्ते सभी के साथ अच्छे थे. उनके लिए कभी कोई कैंप नहीं था. उनको लेकर कभी कोई कंट्रोवर्सी नहीं हुई. इस पंजाबी जट्ट को जो अच्छा लगा दिल खोलकर किया. पीठ के पीछे राजनीति करने वाली फिल्मी दुनिया की चूहा दौड़ में वे कभी शामिल नहीं रहे.

जिस दौर में बॉलिवुड के सभी पुराने सितारे फ्लॉप हो चुके थे, उस दौर में भी धर्मेंद्र सोलो हीरों के रूप में हिट पर हिट फिल्में दे रहे थे. अस्सी के दशक में एक दौर ऐसा आया जब अमिताभ बच्चन, जितेंद्र, राजेश खन्ना आदि पुराने सितारों की फिल्में बॉक्स ऑफिस पर औंधे मुंह गिर रही थीं. धर्मेंद्र की लोहा, कातिलों के कातिल, हुकूमत जैसी फिल्में सुपरहिट हो रही थीं. जाहिर है कि उनके प्रशंसकों में कई पीढ़ियों के लोग शामिल हैं. पर आज उनका दिल टूटा हुआ कि उनके प्यारे सितारे को जीवन के आखिरी मौके पर भी वो सम्मान नहीं मिला जिसका वो हकदार था.

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बीमारी और मौत पर सस्पेंस-ड्रामा और इमोशन

धर्मेंद्र के निधन की खबर को लेकर इसी महीने 11 नवंबर को बवाल हो गया, जबकि ब्रीच कैंडी अस्पताल से इस बारे में जानकारी लीक हुई. देओल परिवार ने इसे लेकर बहुत नाराजगी जताई थी. पहले बेटी ईशा देओल ने, बाद में पत्नी हेमा मालिनी ने भी सोशल मीडिया पर परिवार की निजता का सम्‍मान करने के लिए कहा. फिर एक वक्‍त ऐसा भी आया जब घर के बाहर खड़े फोटोग्राफरों पर सनी देओल बरस पड़े. कुलमिलाकर, पिछले 15 दिनों में धर्मेंद्र के स्‍वास्‍थ्‍य को लेकर तरह-तरह की बातें हुईं, जिसने उनके परिवार और फैंस दोनों को विचलित किया. सोमवार को भी जब धर्मेंद्र के बारे में खबरें आना शुरू हुईं तो पहले लोगों को विश्‍वास नहीं हुआ. लेकिन, आखिर में वही हुआ जो अंतिम सत्‍य है. धर्मेंद्र उस सत्‍य को प्राप्‍त हो गए.

किसी की मृत्‍यु का सबसे बड़ा आघात उसके परिजन ही भुगतते हैं. धर्मेंद्र के परिजनों के प्रति पूरा देश संवेदना प्रकट कर रहा है. लेकिन, उनके अंतिम दर्शन न हो पाने से उनके करोड़ों फैंस का दिल भी टूटा है. आमतौर पर धर्मेंद्र जैसे लीजेंड को अंतिम विदाई देने का एक प्रोटोकॉल रहा है. राष्‍ट्रीय सम्‍मान तो छोडि़ए, निधन की खबर पर ही सस्‍पेंस बना रहा.

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धर्मेंद्र को राष्‍ट्रीय सम्‍मान के साथ अंतिम विदाई दी जानी चाहिए थी. पता नहीं क्‍यों, ऐसा हो नहीं पाया. धर्मेंद्र देश के तीसरे नंबर के सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्मभूषण से भी सम्मानित हो चुके थे. पहले उनकी बीमारी को लेकर अस्पताल में जो सस्पेंस बना उससे भी उनके प्रशंसकों को आघात लगा. बाद में  बाद में उनकी मौत को लेकर अफवाह पर ड्रामा भी देखने को मिला. जब परिवार के लोगों ने मीडिया पर अपनी नाराजगी भी दिखाई.

धर्मेंद्र बीजेपी सांसद रहे. उनके बेटे सनी देओल और हेमा मालिनी भी बीजेपी के टिकट पर लोकसभा पहुंचे हैं. लेकिन इस परिवार का सभी दलों से नजदीकी नाता रहा है. लेकिन, प्रधानमंत्री मोदी भी धर्मेंद्र के निधन पर शोकसंवेदना तब जता पाए, जब उनके अंतिम संस्‍कार की खबर आम हो गई. आम लोगों के लिए तो परिजनों की ओर से कोई सूचना ही जारी नहीं की गई. 

मुंबई के विले पार्ले स्थित पवन हंस श्मशान घाट पर उनका अंतिम संस्कार बिना किसी बेहद निजी तौर पर किया गया. सोशल मीडिया पर लोग आश्‍चर्य जता रहे हैं कि ऐसी गोपनीयता क्‍यों बरती गई? इसका स्पष्ट कारण परिवार को सार्वजनिक करना चाहिए. उनके अंतिम संस्कार के समय सिर्फ करीबी बॉलीवुड सितारे अमिताभ बच्चन, सलमान खान, आमिर खान आदि ही पहुंच सके थे. राज्य स्तर पर सम्मान जैसे गन सैल्यूट आदि नहीं मिला. जो पद्म भूषण विजेता और एक जनप्रतिनिधि के लिए अपेक्षित होता है. कुछ रिपोर्ट्स में कहा गया कि परिवार ने तुरंत संस्कार की इच्छा जताई, जिससे कोई बड़ा आयोजन संभव न हुआ. पर हकीकत क्या थी शायद ये सस्‍पेंस ही रहे.
 

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