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MP पुलिस ट्रेनिंग स्कूलों ने 64 गांवों को लिया 'गोद', हर हफ्ते ग्रामीणों की परेशानी समझने जा रहे ट्रेनी सिपाही

MP पुलिस के ADG (ट्रेनिंग) राजा बाबू सिंह ने बताया कि इस अभ्यास का उद्देश्य रंगरूटों को गांव के बुनियादी मुद्दों को समझाना और शुरुआत से ही आम लोगों से जुड़ाव बनाना है.

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MP पुलिस की ट्रेनिंग में नवाचार.(Photo:Insta/ptspachmarhi)
MP पुलिस की ट्रेनिंग में नवाचार.(Photo:Insta/ptspachmarhi)

मध्य प्रदेश पुलिस के 4000 से ज्यादा ट्रेनी कांस्टेबलों को ग्राम समुदाय संपर्क अभ्यास (village community outreach exercise) के लिए चुना गया है. इस अनूठे अभ्यास के लिए संगठन के राज्यव्यापी प्रशिक्षण संस्थान राज्य भर के 64 गांवों को गोद ले रहे हैं.

पुलिस अधिकारियों ने न्यूज एजेंसी पीटीआई को बताया कि भोपाल स्थित बल के प्रशिक्षण निदेशालय ने 'ग्राम संपर्क सामुदायिक संपर्क' कार्यक्रम की परिकल्पना की है, जिसके तहत इन स्कूलों द्वारा अपने आस-पास के 8 गांवों को गोद लिया गया है या चिन्हित किया गया है. मध्य प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में 8 पुलिस प्रशिक्षण स्कूल (PTS) फैले हुए हैं.

इन संस्थानों में भर्ती होने वाले हर ट्रेनीकांस्टेबल को ग्रुप में सप्ताह में एक बार चुने हुए गांवों का दौरा करने और स्थानीय लोगों, सरपंचों और वरिष्ठ नागरिकों से मिलकर आम चिंता और बुनियादी सुविधाओं से जुड़े 27 मुद्दों पर उनकी प्रतिक्रिया लेने के लिए कहा गया है. इसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, अपराध, स्वच्छता और गांवों में जैविक उर्वरकों की उपलब्धता आदि से संबंधित विषय शामिल हैं.

मध्य प्रदेश पुलिस के अतिरिक्त महानिदेशक (ट्रेनिंग) राजा बाबू सिंह ने बताया, इन पुरुषों और महिलाओं को ट्रेंड करने का 'पुराना और अप्रचलित' तरीका उन्हें 9 महीने तक पुलिस ट्रेनिंग सेंटर की चारदीवारी में आम लोगों से दूर रखना और उन्हें एक उग्र सैनिक की तरह प्रशिक्षित करना था, जिससे उन्हें दूसरों से अलग महसूस हो.

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1994 बैच के भारतीय पुलिस सेवा (IPS) अधिकारी एडीजी ने कहा कि फिर इन कर्मियों को लाठी या राइफल लेकर न्याय करने के लिए दुनिया में उतार दिया जाता है, कभी-कभी वे आम लोगों की संवेदनशीलता और ज़रूरतों की परवाह नहीं करते, इसलिए उन्होंने कहा, उन्होंने इस सोच और प्रशिक्षण को 'बदलने' का फैसला किया.

IPS राजा बाबू सिंह ने कहा, "इसके बाद यह निर्णय लिया गया कि ट्रेनी कांस्टेबलों को इस आउटरीच अभ्यास के माध्यम से स्थानीय लोगों के साथ सहानुभूति और जुड़ाव के साथ-साथ उनकी जरूरतों के प्रति संवेदनशील होना भी सिखाया जाना चाहिए."

यह भी पढ़ें: MP: ट्रेनिंग के दौरान पुलिस कांस्टेबल करें रामचरितमानस का पाठ, IPS अफसर का सुझाव

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि प्रशिक्षुओं द्वारा एकत्रित फीडबैक को जिला स्तर के सरकारी अधिकारियों के साथ शेयर किया जाएगा ताकि आउटरीच अभ्यास के दौरान ग्रामीणों की उठाई गई समस्याओं के समाधान के प्रयास किए जा सकें.

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