
आमतौर पर देवरानी-जेठानी के बीच हर बात को लेकर कंपटिशन होता है लेकिन यह कंपटिशन राजनैतिक भी हो जाये तो ? खण्डवा में कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला जब भाजपा के वरिष्ठ नेता स्वर्गीय हुकुमचंद यादव की तीन बहुओं ने महापौर पद के लिए भाजपा से अपनी दावेदारी जताई. उनकी सबसे बड़ी बहू रोहिणी त्रिलोक यादव, मंझली चारुलता मंगल यादव और सबसे छोटी अमृता अमर यादव, तीनों ने भाजपा प्रत्याशी चयन समिति के समक्ष अपना दावा पेश किया था. लेकिन पार्टी हाईकमान ने सबसे छोटी बहू अमृता अमर यादव को टिकट देना तय किया.
आमतौर पर यह धारणा रहती है कि टिकट न मिलने पर बाकी के दावेदार रूठकर घर बैठ जाते हैं. लेकिन यादव परिवार की इन बहुओं ने पूरी परिपक्वता दिखाते हुए मिलकर चुनाव लड़ा और जीत भी उनके हिस्से में आई. जीत का जश्न भी तीनों ने साथ मिलकर मनाया. खण्डवा की नवनिर्वाचित महापौर अमृता यादव ने कांग्रेस की आशा मिश्रा को बड़े अंतर से हराया है.
बड़ी जीत के बाद अब अमृता यादव ने कहा कि यह भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं की जीत है. शहर के विकास के लिए जो काम अधूरे रह गए हैं उन्हें वह पूरा करेंगी. उन्होंने इस जीत के पीछे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और भाजपा के कार्यकर्ताओं का आभार माना है.

देवरानी की जीत पर जेठानी रोहिणी यादव ने कहा कि हमें खुशी इस बात की है कि हमारे स्वर्गीय ससुर हुकुमचंद यादव को जो प्यार शहर की जनता से मिला, हमारे परिवार को अब भी उतना ही प्यार मिल रहा है.
उल्लेखनीय है कि अमृता यादव के पति अमर यादव न केवल पार्षद रहे है. बल्कि, वे नगर निगम में सभापति भी रहे हैं. इसी तरह त्रिलोक यादव भी सबसे पहली परिषद में पार्षद रहे हैं. उनके पिता हुकुमचंद यादव ने भी अपना राजनैतिक करियर बतौर पार्षद ही शुरू किया था और इसके बाद वे चार बार खण्डवा से विधायक चुने गए. कुश्ती में मध्यप्रदेश केसरी रहे हुकुमचंद यादव राजनीति के भी बड़े खिलाड़ी रहे हैं. अब उनके पुत्र और बहुएं राजनीति की दूसरी पारी खेल रही हैं.