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पढ़ाई के लिए जान जोखिम में डाल रहे सरकारी स्कूल के बच्चे, रोजाना पैदल पार करनी पड़ती है माचक नदी

हरदा जिला मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर दूर माचक नदी को पैदल पार करने वाले इन स्कूली बच्चों का रोजाना अपना जीवन खतरे में डालना पड़ता है. कारण यह है कि वन क्षेत्र के गांव, रतनपुर, जामन्या, आमाखाल और खुटवाल में माध्यमिक और हाई स्कूल नहीं है.

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नदी पार करते स्कूली बच्चे.
नदी पार करते स्कूली बच्चे.

मध्यप्रदेश के हरदा जिले में स्कूली बच्चों को शिक्षा प्राप्त करने के लिए इन दिनों जिंदगी दांव पर लगाना पड़ रही है. वन क्षेत्र से आने वाले यह बच्चे रोजाना ही माचक नदी को पैदल पार करके मगरधा के सरकारी स्कूल जाते हैं. इन बच्चों को डर तो लगता है, लेकिन पढ़ाई के लिए बच्चे और उनके पालक जोखिम ले रहे हैं. इस संबंध में कलेक्टर का कहना है कि जल्द ही एक पुल के लिए प्रस्ताव भेजेंगे, लेकिन तत्काल मे कोई व्यवस्था करेंगे.

हरदा जिला मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर दूर स्थित माचक नदी को पैदल पार करने वाले इन स्कूली बच्चों का रोजाना अपना जीवन खतरे में डालना पड़ता है. कारण यह है कि वन क्षेत्र के गांव, रतनपुर, जामन्या, आमाखाल और खुटवाल में माध्यमिक और हाई स्कूल नहीं है, इसलिए इन चार गांव के करीब 40 बच्चों को बरसात के दिनों में रोजाना ऐसे ही जोखिम लेना पड़ता है. यहां के ग्रामीण अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलाना तो चाहते हैं, लेकिन गांव में सिर्फ प्राथमिक शाला ही होने के कारण आगे की पढ़ाई के लिए बच्चों को मगरधा जाना पड़ता है.

ऐसे में बरसात के मौसम में माचक नदी पार करना बेहद मुश्किल होता है. नदी में ज्यादा पानी होने की दशा में बच्चे कई दिनों तक स्कूल नहीं पहुंचते. खास बात यह है कि इन बच्चों के माता बच्चों की पढ़ाई के लिए खासे चिंतित रहते हैं. 

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मगरधा शासकीय स्कूल के प्राचार्य पीयूष राठौर ने बताया कि रतनपुर, जामन्या, आमाखाल और खुटवाल के करीब 40 बच्चे स्कूल आते हैं. बरसात में नदी पार करके आते हैं. उन्होंने कहा कि दोनों पंचायती मिलकर नाव चलाने की प्लान बना रहे हैं.

इस मामले में हरदा कलेक्टर सिद्धार्थ जैन का कहना है कि जल्द ही वैकल्पिक व्यवस्था बनाई जाएगी. उन्होंने कहा कि स्थाई हल के लिए एक पुल निर्माण के लिए प्रस्ताव बनाकर भेजेंगे.

बहरहाल, इस समस्या का हल वैसे तो नदी पर पुल निर्माण के बाद होगा, लेकिन प्रशासन यदि तत्कालिक व्यवस्था बनाने की कोशिश करे तो ग्रामीण और बच्चों को इसका फायदा मिल सकता है.

मगरधा से लगे वन क्षेत्र के ग्रामीण भले ही खुद ज्यादा पढ़े-लिखे नहीं हैं, लेकिन बच्चों को पढ़ाने के लिए सभी सजग हैं. बच्चों की शिक्षा के प्रति उनकी जागरूकता का प्रमाण है कि रास्ता सुगम नहीं होने के बाद भी ग्रामीण बच्चों को स्कूल भेज रहे हैं.

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