उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में रविवार को 'साहित्य आजतक का दूसरा दिन रहा. यह आयोजन शनिवार को शुरू हुआ था. दो दिवसीय कार्यक्रम में जाने-माने लेखक, साहित्यकार व कलाकार शामिल हो रहे हैं. साहित्य के महामंच पर दूसरे दिन 'किताब, सिनेमा और सीरीज' सेशन में जाने माने लेखक, निखिल सचान ने शिरकत की. सचान अपनी किताब पापामैन, यूपी65, नमक स्वादनुसार, और जिंदगी आइसपाइस को लेकर काफी चर्चित हैं. उनके साथ ही कोड काकोरी के लेखक एवं 'अतिथि तुम कब जाओगे' फिल्म में संवाद लेखक मनोज राजन त्रिपाठी भी शामिल हुए. मनोज राजन त्रिपाठी का पत्रकारिता के क्षेत्र से भी गहरा जुड़ाव रहा है. उन्होंने कई बड़े मडिया संस्थानों के साथ काम किया है. दोनों लेखकों ने साहित्य आजतक के मंच पर अपने विचार व्यक्त किए.
'कॉर्पोरेट की नौकरी छोड़ लेखक बना'
निखिल सचान ने कहा, मेरा फिल्मों की दुनिया से कोई लेना देना नहीं था. मैं कोटक बैंक में काम कर रहा था. लेकिन तब तक मेरी चार किताबें आ गई थी. इसके बाद मैंने 2021 में कॉर्पोरेट नौकरी छोड़ दी और फुल टाइम लेखक बन गया. किताब लिखने से जिंदगी नहीं चल सकती, इसलिए फिल्मों के लिए भी लिखा, जिससे कमाई हो जाती है.
'स्टार जैसा कभी महसूस नहीं किया'
लोग स्टार की तरह ट्रीट करें तो कैसा लगता है, इस सवाल पर उन्होंने कहा कि स्टार जैसा अभी कुछ नहीं है, अभी संघर्ष चल रहा है. जब आप फिल्म में एक नए लेखक के तौर पर अपना जीवन शुरू करते हैं, तो वहां से एक लंबा संघर्ष करना होता है. ये इंडस्ट्री बहुत मुश्किल है. मुझे स्टार जैसा कभी फील नहीं होता.
बारहवीं तक मेरी पढाई हिंदी में हुई. इसके बाद मैं इंग्लिश मीडियम का स्टूडेंट हो गया. IIT के समय में भी हिंदी से लगाव नहीं छूठा. अपनी रचना के बारे में उन्होंने एक कविता सुनाई. जिसकी शुरुआत, 'वैसे तो दुनिया में तमाम त्रासदियां हुईं से की...
'मेरे लिए कोई भी व्यक्ति करैक्टर हो सकता है': मनोज राजन त्रिपाठी
वहीं मनोज राजन त्रिपाठी ने कहा कि अगर आपके पास पैर है, मसल है और आप रिकॉर्ड ब्रेकिंग के लिए खेल सकते हैं तो आप तेंदुलकर और बोल्ट हो सकते हैं. मेरे लिए कोई भी व्यक्ति करैक्टर हो सकता है. सलीम जावेद के बारे में उन्होंने बात की और कहा कि उन्होंने भी शुरू में बहुत संघर्ष किया.
संघर्ष के बाद सलीम जावेद ने बहुत कमाई की. फिल्मों में कई बार वो एक्टर से ज्यादा कमाई करते थे. नए लेखकों को उन्होंने बताया कि लिखने का मौका अगर बड़े बैनर से मिल रहा है तो लिख देना चाहिए. बाद में आपको अपने मन के लिखने का मौका मिलेगा. उन्होंने एक के बाद एक कई गाने सुनाये, जिसके बोल थे...रात कली एक ख्वाब में आई और गले का हार हुई. इसके बाद प्यार दीवाना होता है मस्ताना होता है....तू रंग शरबतों का मैं मीठे घाट का पानी....
मनोज राजन त्रिपाठी ने दर्शकों के मांग पर कई और गाने सुनाए जिनके बोल थे...तुम ही सोचो जरा क्यों न रोके तुम्हें, जान जाती है जब उठके जाते हो तुम....आज जाने की जिद न करो...रंजिश ही सही दिल दुखाने के लिए आ...मेरी आवाज ही पहचान है...पूरे सत्र के दौरान दर्शकों ने दोनों लेखकों की बातें सुनकर खूब मनोरंजन किया.